चिदंबरम की जन्म कुण्डली

जाने और समझें कैसा रहेगा पी. चिदंबरम का भविष्य उनकी जन्म कुंडली से—
जानिए पूर्व वित्तमंत्री की जन्म कुंडली को—✍?✍?

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?वित्तमंत्री पी चिदंबरम के जन्म के समय (15 सितंबर 1945, समय सुबह 03.00 बजे (प्रातः3 A M), स्थान कराईकुडी-तमिलनाडु) पूर्वाषाढा नक्षत्र, मिथुन लग्न, आयुष्यमान (सौभाग्य योग) था।इनका जन्म शनिवार को राधा अष्टमी को अर्थात विक्रम सम्वत 2002 (विलम्बी नाम था) के भाद्रपद मास की शुक्ल पक्षीय को मूल नक्षत्र के प्रथम चरण में हुआ था। उस दिन चन्द्रमा धनु राशि में स्थित था।उस दिन रवि योग,गण्डमूल नक्षत्र बना हुआ था।✍?✍?

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?श्री पलानीअप्पन चिदंबरम जी का जन्म मिथुन लग्न तथा धनु राशि में हुआ ।लग्नेश चतुर्थेश बुध पराक्रमेश सूर्य के साथ बुद्धादित्य योग बना रहा है जिस पर शनि केतु की दृष्टि भी है। जो नाम सम्मान ज्ञान तो देता है साथ ही अहंकार अहम गुस्सा, मितभाषी, लगन, अकेलापन भी देता है। उन्होंने बचपन में संघर्ष किया है, वे बहुत ही स्वाभिमानी व्यक्ति हैं वे हार मानने वाले व्यक्ति नहीं हैं बल्कि लगातार प्रयत्न करने वाले व्यक्ति हैं। 
सूर्य, बुध और बृहस्पति ने इन्हें कुशल वक्ता, प्रशासक एवं अर्थशास्त्री भी बनाया। इनके जीवन में पहला बड़ा चमत्कार पंचमेश गुरु की अंतर्दशा में सन् 1985 में हुआ जब ये पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए और राजीव गांधी सरकार में कार्मिक मंत्री बने।
अब तक इन्होंने कई राजनैतिक यात्राएं की हें किन्तु अंतिम पड़ाव कांग्रेस पार्टी ही रही। इनके जीवन में सबसे अहम परिवर्तन या विकास बृहस्पति की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा जून 2008 से फरवरी 2011 तक और फिर उसके बाद क्रमशः सूर्य और चन्द्र की अंतर्दशा में हुआ। इस समय यह भारत के गृहमंत्री रहे तब आतंकवाद एवं नक्सलवाद खत्म करने के लिए कई कड़े फैसले लिए, जिसका विरोध भी सहना पड़ा।
सर्वाधिक प्रभावशाली व्यक्तित्व एवं संकटमोचक के रूप में पहचान बनाने वाले पी चिदंबरम जुलाई 2012 में फिर वित्तमंत्री बने। वह अब तक देश के लिए सात बजट प्रस्तुत कर चुके है। इन पर जुलाई 2018 से बृहस्पति की महादशा में बुध की अंतर्दशा चल रही है।अक्टूबर 2020 तक। राहू उच्च राशिगत होकर लग्न में मंगल शनि के साथ बैठे हैं अतः आने वाला समय इनके लिए स्वास्थ्य एवं गरिमा की दृष्टि से कठिन चुनौतियों लाने वाला है।
द्वितीयेश चंद्रमा केतु के साथ सप्तम में अष्टमेश भाग्येश शनि तथा षष्ठेश लाभेश मंगल उच्च के राहु से दृष्ट है। जो धन की लालसा या धन के प्रति अधिक रुचि पैदा करता है। परिवार कुटुंब का सुख नहीं मिलने देता। पत्नी से विचारों की भिन्नता और पत्नी का स्वास्थ्य प्रभावित करता है, पेट की शिकायत या पेट से संबंधित रोग भी देता है। द्वितीय स्थान में शुक्र स्थिति के कारण बहुत कमजोर हो गया है अर्थात समय-समय पर धन की कमी, आमदनी से अधिक खर्च की संभावनाएं बनी रहती हैं। 
बचपन में धन की कमी महसूस हुई होगी पराक्रमेश सूर्य लग्नेश चतुर्थेश के साथ योगकरी बन गया है जो व्यक्ति को सजग प्रयत्नशील, निर्भिक, उच्च, प्रशासनिक क्षमता वाला व्यक्ति बनाता है। साथ ही व्यक्ति सुनता तो सभी की है लेकिन करता अपने मन की है चतुर्थेश बुध अच्छा नहीं, इनके मित्र कम और शत्रु अधिक बनते हैं। इन्हें मित्रों से कोई लाभ नहीं मिलेगा। 
चतुर्थ स्थान का बृहस्पति दशमेश सप्तमेश होकर दोषी बन गया है अर्थात उन्हें समय समय पर स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां जैसे- बवासीर, आखों की रोशनी, नजर संबंधी परेशानियां होती रहेंगी, उन्हें कमजोरी, घबराहट होती रहेगी। 
पंचमेश व्ययेश शुक्र द्वितीय स्थान में कमजोर हैं जो व्यक्ति को चालाक, बुद्धिमान, अहंकारी, विवेकी बनाता है, साथ ही उच्च शिक्षा भी दिलाता है। षष्टेश लाभेश मंगल शनि राहु के साथ लग्न में अच्छा नहीं अर्थात 1 अगस्त 1982 से 1 अगस्त 1989 तक ऑपरेशन, चोट के योग थे।इनका यह काल खंड अच्छा नहीं रहा था।
 सप्तमेश दशमेश बृहस्पति चौथे घर में कुछ कमजोर और दोषयुक्त है जो दांपत्य सुख तथा स्थिरता के लिए अच्छा नहीं अष्टमेश भाग्येश शनि लग्न में अच्छा है। इनकी जन्मकुंडली में सभी ग्रह सिर्फ पांच घरों में माला तथा महाभाग्यशाली योग का सृजन कर रहे हैं। इसीलिए ये वित्त मंत्री तथा गृह मंत्री के उच्च पदों को मात्र 67 वर्ष की उम्र में प्राप्त किये। लेकिन लग्न में शनि मंगल राहु की स्थिति अच्छी नहीं, जो उनके नाम सम्मान योग्यता को समय-समय पर प्रभावित करेगी स्वास्थ्य भी प्रभावित होगा। 
सप्तम में चंद्रमा केतु की स्थिति अच्छी नहीं, एक राजनीति से जुड़े व्यक्ति के लिए यह योग व्यक्ति को सार्वजनिक जीवन में नहीं आने देता है, व्यक्ति भीड़ या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच नहीं जाता, न हीं संबंध बनाए रखता है और भीड़ में गया भी या संबंध बनाने की कोशिश की भी तो उसका प्रभाव हमेशा उल्टा ही पड़ता है व्यक्ति जनप्रिय या लोकप्रिय नहीं बन पाता है। अष्टमेश लग्न में अच्छा नहीं लेकिन भाग्येश भी होने पर अच्छा बन गया है। 
दशमेश बृहस्पति चतुर्थ स्थान में अच्छा है लेकिन यह बृहस्पति दोषी भी है जो अब किसी भी स्थिति से अच्छा नहीं है जो इन्हें कभी भी पद त्यागने के लिए मजबूर कर सकता है। लाभेश षष्ठेश मंगल लग्न में राहु शनि के साथ अच्छा नहीं जो स्वास्थ्य दांपत्य जीवन पद प्रतिष्ठा को प्रभावित करता रहेगा।
 व्ययेश पंचमेश शुक्र धन स्थान में कमजोर स्थिति में स्थित है जो धन कुटुंब के लिए अच्छा नहीं विंशोत्तरी क्रम में उनकी बृहस्पति की दशा चल रही है। जो 01 अगस्त 2031 तक चलेगी जो कि अच्छी नहीं है।
उनकी जन्म कुंडली मे वर्तमान में 2015 से देव गुरु वृहस्पति की महादशा में शनि की अंतर्दशा में देवगुरु वृहस्पति का प्रत्यंतर चल रहा हैं।गुरु व्यय भाव में स्थित हैं।सप्तम स्थान स्थित चन्द्रमा, केतु से दृष्ट होकर ग्रहण योग बना रहा हैं। आगामी समय में उन्हें अगस्त 2025 तक कई बार अपमानित होना पड़ सकता है। उनका राजनीतिक जीवन भी प्रभावित होगा ।।विशेष सावधानी रखें। आगे भी समय अच्छा नहीं है।✍?✍?

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?तमिलनाडु के छोटे-से गांव में हुआ जन्‍म —
पी. चिदंबरम का जन्म 16 सितंबर, 1945 को तमिलनाडु के गांव कनाडुकथन में हुआ था. उनका पूरा नाम पलानीअप्पन चिदंबरम है. चिदंबरम ने आरंभिक शिक्षा मद्रास क्रिश्चियन सेकेंडरी स्कूल, चेन्नई से पूरी की. उन्‍होंने चेन्नई के प्रेसिडेंसी कॉलेज से विज्ञान में सांख्यिकी विषय के साथ स्नातक की डिग्री हासिल की. उन्‍होंने बोस्टन के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से बिजनेस मैनेजमेंट में मास्‍टर डिग्री हासिल की.
शुरुआती दौर में वकालत से जुड़े चिदंबरमपी. चिदंबरम शुरुआती दौर में चेन्नई हाईकोर्ट में वकालत करते थे. साल 1984 में वे वरिष्ठ वकील के तौर पर नामित हुए. चिदंबरम कई राज्‍यों के हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में बतौर वकील काम कर चुके हैं. पी. चिदंबरम के परिवार में पत्नी नलिनी चिदंबरम और एक बेटा है, कीर्ति चिदम्बरम.✍?✍?

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काफी अनुभवी राजनेता हैं चिदंबरम –पी. चिदंबरम एक मंजे हुए अनुभवी राजनेता हैं. यह अलग बात है कि कई अवसर पर चिदंबरम के निर्णय की काफी आलोचना हुई. जनलोकपाल आंदोलन जब चरम पर था, तो चिदंबरम देश के गृहमंत्री थे. जब दिल्‍ली पुलिस ने कानून व्‍यवस्‍था बिगड़ने का हवाला देकर अन्‍ना हजारे को गिरफ्तार करके उन्‍हें तिहाड़ भेजा, तो पी. चिदंबरम पर उंगली उठी. तब ऐसा कहा गया कि इस अप्रिय स्थिति के लिए देश के गृहमंत्री होने के नाते चिदंबरम ही जिम्‍मेदार हैं.
अन्‍ना हजारे की गिरफ्तारी के मामले में चिदंबरम की खूब किरकिरी हुई. रामलीला मैदान में योगगुरु रामदेव के समर्थकों पर हुए लाठीचार्ज के मामले में भी पी. चिदंबरम पर सवाल उठाए गए.✍?✍?

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सियासी जीवन में आता रहा उतार-चढ़ाव —पी. चिदंबरम ने वर्ष 1972 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सदस्यता ग्रहण की. चिदंबरम 1973 में तमिलनाडु में युवा कांग्रेस अध्यक्ष और तमिलनाडु कांग्रेस प्रदेश समिति के महासचिव भी रह चुके हैं. वर्ष 1984 में तमिलनाडु के शिवगंगा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीतने के साथ पी. चिदंबरम सक्रिय राजनीति में आए. इस सीट से उन्होंने लागातार 6 बार तक जीत दर्ज की.✍?✍?

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कई अहम पदों पर किया काम —राजीव गांधी सरकार के अंतर्गत पी. चिदंबरम कार्मिक मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय में उप-मंत्री के तौर पर कार्य कर चुके हैं. साल 1986 में पी. चिदंबरम को लोक-शिकायत व पेंशन मंत्रालय के साथ कार्मिक मंत्रालय में भी मंत्री पद मिला. साल 1986 के अक्टूबर में पी. चिदंबरम को केन्द्रीय गृह मंत्रालय में, आंतरिक सुरक्षा मंत्री का पदभार दिया गया. साल 1991 में पी. चिदंबरम को राज्य मंत्री के पद पर वाणिज्य मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभारी बनाया गया. वर्ष साल 1995 में वह दोबारा इस पद पर आसीन हुए.✍?✍?

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साल 2008 में बने गृहमंत्री—वर्ष 2004 में मनमोहन सरकार के अंतर्गत दोबारा पी. चिदंबरम को वित्त-मंत्रालय सौंपा गया. इस पद पर वह 2008 तक रहे. साल 2008 में दिल्ली में हुए आतंकवादी धमाकों के बाद तत्कालीन गृहमंत्री शिवराज पाटिल के इस्तीफा दिए जाने के बाद पी. चिदंबरम को गृहमंत्री बनाया गया।✍?✍?

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विवादों से रहा गहरा नाता—पी. चिदंबरम का विवादों से नाता कभी छूट नहीं पाया. चिदंबरम पर संसद में हिंदी भाषी सांसद और हिंदुओं के खिलाफ टिप्पणी करने जैसे कई आरोप लगे. चिदंबरम पर यह भी आरोप लगा कि वह राजीव गांधी ट्रस्ट के निदेशकों में से एक हैं. पी. चिदंबरम को किताबें पढ़ने का बहुत शौक है. चिदंबरम बैडमिंटन और शतरंज जैसे खेलों में दिलचस्पी रखते हैं।

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