यह सही है कि कश्मीर में सुरक्षा और सतर्कता बढ़ानी पड़ी है, लेकिन इसे लेकर चिंतित हो रहे लोग यह क्यों नहीं देख पा रहे हैं कि वहां हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं और पाबंदियां हटाने का सिलसिला बढ़ रहा है? यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि बीते एक पखवाड़े में घाटी में जान-माल का नुकसान नहीं हुआ है। नि:संदेह तथाकथित आजादी के सपने से प्रभावित कश्मीर के लोगों को राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल होने में समय लगेगा, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि ऐसे कश्मीरियों को यह दिवास्वप्न दिखाया जाए कि बीते हुए दिन फिर लौट सकते हैं। यह नहीं हो सकता, क्योंकि इस मामले में देश न केवल एकजुट, बल्कि दृढ़-संकल्पित भी है। इसी संकल्प भाव के कारण ही कश्मीर में आतंक और अलगाववाद के समर्थकों के हौसले पस्त हैं और पाकिस्तान को समझ नहीं आ रहा है कि वह करे तो क्या करे? यह सही समय है जब कश्मीर संबंधी फैसले पर राष्ट्र एक स्वर में बोले, क्योंकि इसी से दुनिया को यह संदेश जाएगा कि भारत अपने रुख से टस से मस होने वाला नहीं।प्रेषक- डाॅ हेमन्त कुमार
ग्राम/पोस्ट-गोराडीह
जिला- भागलपुर