राष्ट्रीय ध्वज  तिरंगे का इतिहास

0
1053

 जैसा कि आप सभी को विदित  है कि तिरंगा हमारे देश का राष्ट्रीय ध्वज है जिसको हर राष्ट्रीय दिवस पर फहराया या ध्वजारोहण किया  जाता है। तिरंगे का आज जो स्वरूप देख रहे हैं वैसा पहले नहीं था इस के रूप में परिवर्तन होता रहा इसके पीछे काफी लंबा इतिहास है। इसके बनाने में किसका हाथ रहा होगा शायद ही कुछ लोगों को पता हो। इस वर्ष हम स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे करने जा रहे हैं और यह वर्ष अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है ऐसे शुभअवसर पर इसका इतिहास जानना बहुत जरूरी हो जाता है। राष्ट्रीय ध्वज या तिरंगा हमारे देश का सम्मान और स्वतंत्र राष्ट्र का प्रतीक है वैसे सभी देशों के अपने-अपने राष्ट्रध्वज हैं जिसको देखकर उस देश की पहचान की जाती है इसी तरह तिरंगे से हमारे भारत देश की पहचान है जब कभी हमारे देश की कोई राष्ट्रीय टीम बाहर दूसरे देशों में जाती है या खेलने के लिए जाती है तब भी तिरंगा झंडा हमारा राष्ट्रीय ध्वज उनके साथ जाता है।

भारतीय भारतीय राष्ट्रीय ध्वज की कल्पना पिंगली वैकेया जी ने की थी और इसके वर्तमान स्वरूप को 22 जुलाई सन 1947 को संविधान की विधान सभा बैठक के दौरान अपनाया गया था जो 15 अगस्त 1947 अंग्रेजों से भारतीय स्वतंत्रा के कुछ पूर्व ही गई थी ।पहले इसे 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजो से भारत की स्वतंत्रता से कुछ दिन पूर्व की गई थी। इसके पश्चात 15 अगस्त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच भारत में राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया।

तिरंगे का निर्माण करने वाले व्यक्ति का नाम था पिंगली वैकेया था जिनका जन्म 2अगस्त सन 1876 में आंध्रप्रदेश के मछलीपट्टनम के समीप एक गांव में हुआ था। अभी 2 अगस्त को उनकी 146 वा जन्म दिवस मनाया गया जिसमे माननीय प्रधान मंत्री श्री मोदी जी उनके परिवार को सम्मानित किया। 19 साल की उम्र में वैंकेया जी ब्रिटिश आर्मी ज्वाइन कर ली थी। बाद में दक्षिण अफ्रीका में एंग्लो बोअर के युद्ध के दौरान उनकी महात्मा गांधी जी से मुलाकात हुई।इस मुलाकात ने उनके जीवन में एक परिवर्तन ला दिया और वे स्वदेश लौट आए।उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आजादी के लिए आवाज उठाई। स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने बदचढ़कर हिस्सा लिया।जब उन्होंने तिरंगे का निर्माण किया तब उनकी उम्र केवल 45 वर्ष की थी।

तिरंगे को भारतीय ध्वज के रूप  में मान्यता मिलने में करीब 45 वर्ष लग गए। चरखे की जगह अशोक चक्र को स्थान दिया गया।

 सन् 1925 में इस ध्वज में केवल  दो ही रंग थे एक हरा और दूसरा लाल जिसमे चरखे की आकृति को लाइनों द्वारा बनाई गई थी। बाद में 1931 में इस ध्वज में तीन रंग हो गए। सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद तथा आखिर में हरा रंग। बीच सफेद रंग में बने लाइनों वाले चरखे को गांधी जी वाले चरखे की आकृति बनाई गई। बाद में सन 1947 में इसके स्थान पर अशोक चक्र बनाया गया जो वर्तमान में हमारा राष्ट्रीय ध्वज है। इस अशोक चक्र में चौबीस तीलियां हैं । राष्ट्रीय ध्वज केसरिया रंग देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है ।बीच में सफेद रंग अशोक चक्र शांति और सत्य का प्रतीक है और नीचे हरा रंग देश की खुशहाली और यहां की भूमि के हरा भरा दर्शाता है। 

आर के रस्तोगी 

Previous articleआज के इस्लामिक देश सऊदी अरब में कभी पूर्ण विकसित थी हिन्दू सभ्यता
Next articleनयी सभ्यता और  संस्कृति में रक्षाबंधन का महत्व
आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here