-संजय कुमार फरवाहा
मेरी नजर से देखिए। जरा सोचिए, हम जरा सा भी बीमार हो जाते हैं तो सीधे डॉक्टर के पास दोड़े दोड़े चले जाते हैं। डॉक्टर से इलाज करवाते हैं। ठीक होकर घर वापिस चले आते हैं, जब भी बीमारी के बारे में सोचते हैं तो कहते हैं मुझे तो डॉक्टर ने बचा लिया, वो तो भग्वान का रूप है। पर मैं सोचता हूँ की एक इंसान और है जो जो डॉक्टर से पहले हमें बिमारिओं से बचाता है। हम में से किसी ने उस के बारे में शायद सोचा भी नहीं होगा कभी भी उसे भगवान का का दर्जा नहीं दिया होगा। क्या आप जानते हैं वोह कौन है ? वोह है एक आम सा दीखने वाला सफाई करने वाला। सफाई वाला ही एक ऐसा इंसान है जो हमें डॉक्टर से पहले सफाई कर हजारों बीमारीओं से बचाता है। खुद को फैले गंद, गंदे पानी और बदबू का सामना करके अपनी सासों को भारी करके आप को साफ सांसे दिल्वाता है। फिर भी आपकी प्रशंसा के दो बोल सुन्ने को तरस जाता है। आप की ही उपेक्षा का शिकार बन कर रह जाता है, जरा मेरे नज़रिए से सोचिए वो आप के स्वास्थ्य को ठीक रखने में कितना मददगार साबित होता है ।
धन्यवाद संजय जी। आपने समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति ”सफाईकर्मी” की ओर समाज का ध्यान खींचा। पर मित्र, हमारे यहाँ सफाईकर्म एक जाति विशेष से जुड़ा है। उम्मीद है आप पेशेगत जाति-व्यवस्था से लड़ने की बात भी करेंगे।