तर्ज: नई………।
मु: ओ सृष्टि के रचियता —- 4, तूने क्या गजब किया।
बनाई सारी सृष्टि उसमें खुद ही छिप गया।।
ओ सृष्टि के रचियता —- 4, तूने क्या गजब किया। …………..।
अ: १ रमा हुआ है तेरा नूर ब्रह्माण्ड में ऐसे। २
माखन छुपा हुआ है, दही दूत में जैसे।।
मंथन किया है जिसने -2 उसको ही मिल गया।।
(श्रद्धा से जिसने ध्याया -2 उसको ही मिल गया । )
बनाई सारी सृष्टि उसमें खुद ही छिप गया।।…………………….।
अ: २ तूने ही बनाया है यह खेल बड़ा प्यारा। २
बल्ला भी तूही, गेंद भी तू, खिलाडी न्यारा।।
तेरे इस खेल का यह राज -2, नहीं कोई प् गया।।
बनाई सारी सृष्टि उसमें खुद ही छिप गया।।…………………….।
अ: ३ ब्रह्म विष्णु शिव बनाये, देवता अनेक। २
जीव जंतु बनस्पतियों की योनियाँ अनेक।।
सब में प्रभु तेरा ही -2, यह नूर खिल गया
बनाई सारी सृष्टि उसमें खुद ही छिप गया।।…………………….।
अ ४: नन्दो भैया भी तेरा गुंड गान कर रहे। २
सुबह शाम पूजा अर्चन ध्यान धर रहे
सब भक्तों को तेरा ही – 2, सुधा पान मिल गया
बनाई सारी सृष्टि उसमें खुद ही छिप गया।।…………………….।
नन्दो भैया हाथरसी