भजन: प्रभु महिमा

तर्ज: नई………।

मु: ओ सृष्टि के रचियता —- 4, तूने क्या गजब किया।
बनाई सारी सृष्टि उसमें खुद ही छिप गया।।
ओ सृष्टि के रचियता —- 4, तूने क्या गजब किया। …………..।

अ: १ रमा हुआ है तेरा नूर ब्रह्माण्ड में ऐसे। २
माखन छुपा हुआ है, दही दूत में जैसे।।
मंथन किया है जिसने -2 उसको ही मिल गया।।
(श्रद्धा से जिसने ध्याया -2 उसको ही मिल गया । )
बनाई सारी सृष्टि उसमें खुद ही छिप गया।।…………………….।

अ: २ तूने ही बनाया है यह खेल बड़ा प्यारा। २
बल्ला भी तूही, गेंद भी तू, खिलाडी न्यारा।।
तेरे इस खेल का यह राज -2, नहीं कोई प् गया।।
बनाई सारी सृष्टि उसमें खुद ही छिप गया।।…………………….।

अ: ३ ब्रह्म विष्णु शिव बनाये, देवता अनेक। २
जीव जंतु बनस्पतियों की योनियाँ अनेक।।
सब में प्रभु तेरा ही -2, यह नूर खिल गया
बनाई सारी सृष्टि उसमें खुद ही छिप गया।।…………………….।

अ ४: नन्दो भैया भी तेरा गुंड गान कर रहे। २
सुबह शाम पूजा अर्चन ध्यान धर रहे
सब भक्तों को तेरा ही – 2, सुधा पान मिल गया
बनाई सारी सृष्टि उसमें खुद ही छिप गया।।…………………….।

नन्दो भैया हाथरसी

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नन्द किशोर पौरुष
मेरा नाम नन्द किशोर पौरुष नन्दो भैया हाथरसी हैं| मेरे पिता का नाम स्व ठाकुर भगवन सिंह विमल हैं| मेरा जन्म दादन पुर हाथरस में हुआ हैं| मेरे पिता जी कवि और लेख़क थे| मैंने वणिज्य में स्नात्कोत्तर किया हैं | प्राइवेट कंपनी में लेखा विभाग में कार्यरत रहा हु| मैं भूषण स्टील में काम किया हैं| मेरा भजन और कविता में बचपन से रूचि रही हैं|Email: nalineshpaurush@gmail.com Phone: 7678611008 Address: शाहदरा दिल्ली

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