कांग्रेस की नैया के खिवैया बने राहुल गांधी के स्क्रिप्ट राईटर्स और सलाहकारों पर वाकई आने लगा है तरस . . .

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लिमटी खरे

कांग्रेस की नैया के खिवैया बने राहुल गांधी जब भी बोलते हैं तो क्या वे उस बारे में विचार नहीं करते! क्या कारण है कि राहुल गांधी अक्सर विवादों में ही घिरे रहते हैं। देश की सबसे पुरानी और आधी सदी तक देश पर राज करने वाली कांग्रेस पार्टी के स्टार प्रचारक राहुल गांधी से इस तरह के वक्तव्यों की उम्मीद की जा सकती है जो वे अक्सर ही दिया करते हैं। राहुल गांधी को सोचना होगा कि उनके द्वारा दिए जाने वाले भाषणों की स्क्रिप्ट कौन लिख रहा है! उनको सलाह देने वाले कौन हैं! क्या इस तरह के वक्तव्यों के साथ ही राहुल गांधी यह सपना देख रहे हैं कि 2024 के आम चुनावों में भाजपा से वे लोहा ले पाएंगे!

सियासत में एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाना आम बात है, पर इसमें धर्म के बारे में कुछ कहना शायद उचित इसलिए भी नहीं है क्योंकि धर्म पूरी तरह आस्था और विश्वास का विषय है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर निकले हैं और उनकी न्याय यात्रा मध्य प्रदेश से गुजर रही है। देश के हृदय प्रदेश के शाजापुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते और कटाक्ष करते हुए राहुल गांधी ने कहा है कि पीएम मोदी चाहते हैं कि आप दिन भर जय श्री राम बोलो और भूखे रह जाओ . . .

देखा जाए तो विपक्षी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष होने के नाते राहुल गांधी का यह धर्म है कि वे सत्तारूढ़ दल पर आरोप प्रत्यारोप लगाएं, उन्हें कोसें, उनकी असफलताओं को गिनाएं पर धर्म पर इस तरह से बोलने का अधिकार शायद उन्हें नहीं ही है। भगवान श्री राम सभी के अराध्य हैं, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। राहुल गांधी ने भगवान श्री राम के संबंध में जो कहा वह किस संदर्भ में कहा है यह बात तो वे ही जानें, पर उनकी यह बात वास्तव में दिल में पीड़ा उठाने के लिए पर्याप्त मानी जा सकती है।

राहुल गांधी के सलाहकार कौन हैं, उनके स्क्रिप्ट राईटर्स कौन हैं! इस बारे में राहुल गांधी को तय करना चाहिए कि उनको दी जाने वाली सलाह या उनके भाषणों के बाद उनकी छवि किस तरह की निर्मित हो रही है। राहुल गांधी भूल जाते हैं कि रामानंद सागर जिस रामायण सीरियल के निर्माता निर्देशक थे, उसका प्रसारण 18 महीने तक हुआ था। रामायण सीरियल का प्रसारण 25 जनवरी 1987 से 31 जुलाई 1988 तक हुआ था। उस दौर में रामायण सीरियल के प्रसारण के दौरान गलियां सूनी हो जाया करती थीं। यह सब कब हुआ! जाहिर है कांग्रेस के शासनकाल में, फिर राहुल गांधी भगवान राम के बारे में इस तरह का वक्तव्य कैसे दे सकते हैं!

राहुल गांधी के द्वारा जो बात कही गई है उससे भाजपा के नेता कितने आहत हुए हैं, यह तो भाजपा जाने पर राम पर आस्था रखने वाला हर आम भारतीय इससे बुरी तरह आहत हुआ ही होगा। हम अपनी बात करें तो बचपन में जब हमें पहली कक्षा में गिनती सिखाई जाती थी तब एक दो तीन चार नहीं वरन एक के स्थान पर राम, दो, तीन, चार सिखाया जाता था। उस दौर के शिक्षक चाहे वे किसी संप्रदाय के रहे हों, वे यही कहा करते थे कि राम सबसे पहले हैं।

देखा जाए तो राहुल गांधी के द्वारा भाजपा की राह ही आसान की जा रही है। कभी कभी तो ऐसा प्रतीत होने लगता है कि राहुल गांधी के आसपास भाजपा के रणनीतिकारों ने ही लोगों को प्लांट किया हो। सनातन धर्म में आस्था रखने वाले के लिए भगवान राम अराध्य हैं। इसके बाद भी राम मंदिर के मामले में कांग्रेस का स्टैण्ड उसके गले की फांस बनता जा रहा है। राहुल गांधी को भगवान राम के बारे में इस तरह से बात कहकर पैर पर कुल्हाड़ी मारने के बजाए कुल्हाड़ी पर जाकर पैर मारने जैसा काम तो कतई नहीं करना चाहिए था।

आज विभिन्न मीडिया पोर्टल्स पर अगर नजर डालें तो एक खबर प्रमुखता के साथ दिख रही है, वह है लोकसभा चुनावों के पहले चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को सार्वजनिक बयानों में सतर्क रहने की सलाह दी है। आयोग का कहना है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भविष्य में अपने सार्वजनिक बयानों में अधिक सावधान और सतर्क रहने की सलाह दी गई है। दिल्ली हाई कोर्ट ने पहले चुनाव आयोग से कहा था कि वह पिछले साल नवंबर में अपने भाषण के लिए कांग्रेस सांसद के खिलाफ उचित कार्रवाई करे। राहुल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा नेताओं पर हमला करते हुए जेबकतरे शब्द का इस्तेमाल किया था। चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पैनौती और जेबकतरे वाले तंज को लेकर राहुल गांधी को नोटिस भी जारी किया था।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के हितचिंतकों विशेषकर सोनिया गांधी और प्रियंका वढ़ेरा को चाहिए कि पिछले एक साल में राहुल गांधी के सलाहकार कौन रहे हैं! उनके भाषण किसने तैयार किए हैं! कांग्रेस के राष्ट्रीय, प्रदेश, जिला, ब्लाक संगठनों के पदाधिकारियों के द्वारा कांग्रेस की रीति नीति, राहुल गांधी के बयानों को कितना शेयर किया है। इसके अलावा सोशल मीडिया पर राहुल गांधी को ट्रोल करने वाले संदेशों का कितनी ईमानदारी से जवाब दिया है, ताकि राहुल गांधी जिन पर हर कांग्रेसी की आस टिकी है, का उपहास सोशल मीडिया पर उड़ने से रोका जा सके।

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