संदेशा भेज रहा हूँ मैं,
संदेशा भेज रहा हूँ मैं,
अंतर्मन खोल रहा हूँ मैं,
जो बात लबो से कह ना सका,
कविता से बोल रहा हूँ मैं,
जन्मदाता हो, प्राणदाता हो,
मेरे जीवन भाग्यविधाता हो,
आपसे बढ़कर कोई नहीं है,
मुझको बस मालूम यही है,
ये जीवन अर्पण तुमको है,
पर कुछ मर्यादाएँ हमको है,
इसलिए जहन के शब्दों को इतना तोल रहा हूँ मैं,
संदेशा भेज रहा हूँ मैं,अंतर्मन खोल रहा हूँ मैं,
जो बात लबो से कह ना सका,कविता से बोल रहा हूँ मैं,
सही-गलत का भान हमें ना,
जीवन की पहचान हमें ना,
ऊँगली पकड़कर चलना सिखाया,
ठोकर की पहचान कराया,
सच पर चलना जिसने सिखाया,
सही गलत का भेद बताया,
उनसे ही अपने दिल की बातें खोल रहा हूँ मैं,
संदेशा भेज रहा हूँ मैं,अंतर्मन खोल रहा हूँ मैं,
जो बात लबो से कह ना सका,कविता से बोल रहा हूँ मैं,
ये जीवन दिया तुम्हारा हैं,
कुछ ना अधिकार हमारा है,
जो उचित फैंसला आप करो,
हमको भी वही गवारा है,
जो बच्चो के दिल की बातों को,
बिन कहे समझ जाते है,
उनके ही सम्मुख अपनी सांसो को खोल रहा हूँ मैं,
संदेशा भेज रहा हूँ मैं,अंतर्मन खोल रहा हूँ मैं,
जो बात लबो से कह ना सका,कविता से बोल रहा हूँ मैं,
आप उसे अपना ले बस
इतनी विनती करता हूँ,
नादानी है, गलती नहीं,
इतना स्वीकार मैं करता हूँ,
मेरे जीवन से छोटा
एक हिस्सा मांग रहा हूँ मैं,
पैसो के बाजार में खुद को बिन मोल बेच रहा हूँ मैं,
संदेशा भेज रहा हूँ मैं,अंतर्मन खोल रहा हूँ मैं,
जो बात लबो से कह ना सका,कविता से बोल रहा हूँ मैं,