अनिल अनूप
मैं पाकिस्तान बोल रहा हूँ, कई दिनों से मैं बोलना चाहता था, लेकिन यह सोचकर चुप था कि मेरे बोले बगैर भी भारत की सरकार, यहाँ के क्रिकेट खेलने वाले और क्रिकेट को भगवान की तरह पूजने वाले लोग मेरी बात को समझ जाएंगे, मगर अब मुझे लगता है कि मुझे बोलना ही पड़ेगा।
जब जब भारत में कोई आतंकी हमला होता है भारत में सत्ता में बैठे राजनेता से लेकर विपक्ष में बैठे लौह पुरुष तक मुझे गालियाँ देते हैं और मैं यहाँ खूब ठहाके लगाकर हँसता हूँ। मुझे इन नेताओं पर और इन बयान देने वालों से लेकर भारत के टीवी चैनलो के साथ ही भारत के लोगों पर तरस आता है। भारत पर होने वाले हर हमले में मेरा हाथ बताया जाता है, जबकि मैं मोहम्मद अली जिन्ना और दाउद इब्राहिम की (जी हाँ हमारे पाकिस्तन के तो ये ही माई-बाप हैं) कसम खाकर कहता हूँ कि इसमें मेरा नहीं बल्कि भारत का हाथ हैं। क्या दाउद इब्राहिम पाकिस्तान में पैदा हुआ? क्या उसके गुर्गे पाकिस्तान में पैदा हुए? तो फिर इन सबमें मेरा हाथ कैसे हो सकता है? मैने तो भारत में पैदा हुए वहाँ पले-बढ़े देश के होनहार और कमाउ पूत को अपने यहाँ शरण दी, इसमें मैने क्या गुनाह किया? दाउद के बाकी लोग भारत में ही रहकर अपना काम कर रहे हैं और दाउद का हर कहा मानते हैं, अगर दाउद इतना ही बुरा आदमी है तो फिर उसके लोगों को भारत की सरकार ने संरक्षण क्यों दे रखा है? क्यों भारत के नेता और वहाँ के पुलिस अधिकार दाउद इब्राहिम के हर आदमी को पकड़कर थोडे़ दिनों में उसे भले आदमी का लायसेंस देकर छोड़ देते हैं? क्या पाकिस्तान में दाउद की गुटखा फैक्ट्री दाउद ने लगवाई? क्या मुंबई के बिल्डर और दूसरे कारोबारी, पुलिस अधिकारी पाकिस्तानी हैं जो दाउद के कहने पर करोड़ों रुपया पाकिस्तान भेज रहे हैं, और हमारी शराफत तो देखिए हम तो भारत से जितना रुपया हवाला के माध्यम से आता है उतनी ही नकली करेंसी वापस भारत भेज देते हैं, ताकि हिसाब बराबर बना रहे। हमारी इस भलमानसाहत के बदले में हम पर आरोप लगाया जाता है कि हम भारत में नकली करेंसी भेज रहे है, क्या वाहियात बात है?
हम तो हर बार कोशिश करते हैं कि भारत को नीचा दिखाया जाए इसके लिए जब आपके क्रिकेट खिलाड़ी हमारे देश में आते हैं तो हम उनके सामने ही भारत का झंडा उल्टा टांगते हैं, मगर वाह रे आपके देशभक्त क्रिकेट खिलाड़ी, देश के इतने बड़े अपमान पर चूँ तक नहीं करते, और वाह रे हिन्दुस्तान की जनता इन क्रिकेट खिलाड़ियों को सरे आम जूते मारने की बजाय इनको हीरो की तरह सिर पर बिठाकर घूमती है, जिस देश मे अपने झंडे के अपमान को सहने वाले खिलाड़ियों को सम्मान दिया जाता है वहाँ हमारे जैसा देश जिसे भारत से अपने कई अपमानों का बदला लेना है, क्या कुछ नहीं करेगा?
और तो और हमारे देश के प्रातःस्मरणीय भूतपूर्व राष्ट्रपति परवेज मुसर्रफ जब भारत गए तो उन्होंने अपने हवाई जहाज पर भारत का झंडा ही उल्टा लगाया मगर आपकी सरकार को जरा भी शर्म नहीं आई।
आपके फिल्मी दुनिया के लोग हमारे यहाँ की फिल्मी दुनिया के दो दो कौड़ी के सितारों को जिस तरह से सिर पर उठाकर घूमते हैं और उनको अपनी फिल्मों में काम देने के लिए मरते हैं, उसको देखकर ऐसा लगता है कि कहीं ऐसा न हो कि हमारे देश में फिल्मी सितारों का अकाल पड़ जाए। आपके टीवी चैनलों को अपने देश में अच्छे गाने वाले नहीं मिलते हैं तो हमारे देश के लड़कों और लड़कियों को लेजाकर अपनी टीआरपी बढ़वाते हैं। जबकि दूसरी ओर हमारा स्वाभिमान देखिए हमने आपके देश की लता मंगेशकर से लेकर किसी भी गायक या गायिका को आज तक अपने देश की जमीन पर पैर तक न रखने दिया।
आपके देश की राजनीति में हमने एक लौह पुरुष के बारे में बहुत सुना, जब वे हमारे देश में आए तो मोहम्मद अली जिन्ना की कब्र पर जाकर मोम से पिघल गए, और जिस जिन्ना को हिन्दुस्तान का बच्चा-बच्चा गाली देता है उसे उन्होंने सच्चा राष्ट्रवादी कहकर हमारे इतिहास में एक नई तारीख लिख दी। इसके बाद पाकिस्तान को आतंकवादी देश कहना मोहम्मद अली जिन्ना जैसे हमारे राष्ट्रपिता को गाली देना है।
आपके देश के फिल्मी सितारे आज भी दाउद भाई की पार्टियों में आना अपनी शान समझते है, अगर सबूत चाहिए तो सउदी अरब की कुछ खास होटलों की दीवारें चीख-चीख कर इसका सबूत दे देगी कि आपके फिल्मी सितारे दाउद भाई की पार्टियों में आने को कैसे उतावले रहते हैं। आखिर उनके जैसा मेहमाननवाज न तो कोई हुआ है न होगा…
दाउद भाई के दोस्तों के दोस्त संजय दत्त अपने मुन्ना भाई आपके ही देश की अदालतों द्वारा मुंबई के बम धमाकों में भारत की एक अदालत द्वारा दोषी घोषित किए जाने के बावजूद शान से गाँधीजी का अवतार बनकर घूम रहे हैं, आपके पास एक से एक ऐसे लोग हैं जो अगर हमारे देश में होते तो अब तक सरे आम फाँसी पर चढ़ा दिए जाते, मगर आप हैं कि उनको देवता की तरह पूजते हो। इसके बावजूद मुझ पर यह आरोप लगाना कि मैं आतंकवादी घटनाएँ करवा रहा हूँ, इस बात पर मैं सख्त ऐतराज करता हूँ। इस मसले को मैं संयुक्त राष्ट्र संघ में ले जाउंगा। वहाँ जाकर मैं यह तर्क दूंगा कि अगर मैने दाउद को भारत को सौंप दिया तो वहाँ के फिल्म निर्माता उसको लेकर मु्न्ना भाई जैसी कोई फिल्म बना सकते हैं, वहाँ की सियासी पार्टी उनको अपनी पार्टी से चुनाव लड़ा सकती है। इसके बाद उन पर थोड़े बहुत मुकदमें चलाकर उनको बाइज्जत रिहा किया जा सकता है। अगर हमने भारत को दाउद इब्राहिम सौंप दिया तो फिर भारत सरकार वहाँ होने वाले आतंकी हमलों और बम धमाकों के लिए किसे जिम्मेदार ठहराएगी?
इसलिए हम तो भारत के एक अच्छे पड़ोसी होने के नाते दाउद भाई को अपने पास रखे हुए हैं कि अगर कहीं वो भारत जाकर चुनाव लड़ लिए और मंत्री या प्रधानमंत्री हो गए तो हमारा एक होनहार बेटा हमेशा हमेशा के लिए हमसे बिछुड़ जाएगा। क्योंकि एक आतंकवादी का तो धर्म होता है मगर सत्ता में बैठे मंत्रियों का कोई धर्म नहीं होता। अगर भारत को वाकई में दाउद चाहिए तो पहले उनके मुंबई में बैठे रिश्तेदारों और उसके गुर्गो को पकड़े जो दाउद के नाम पर भारत भर में जमकर वसूली कर रहे हैं मगर पाकिस्तान को उसका हिस्सा नहीं पहुँचा रहे हैं।
हमारे देश में बेनजीर भुट्टो जैसी लौह महिला भी हुई जो कई सालों तक इंग्लैंड में बैठकर अपनी राजनीति चलाती रही, उसने एक बार कहा था कि हम हिन्दुस्तान से सौ साल तक युध्द करेगे और इस एक बयान के दम पर वह प्रधानमंत्री बन गई, मगर हमारे देश के भारत परस्तों ने उसकी हत्या कर दी क्योंकि लम हिन्दुस्तान से सौ साल तक युध्द नहीं लड़ना चाहते थे, मगर आपके हिन्दुस्तान के नेताओं की तारीफ करना होगी कि उन्होंने बेनजीर भुट्टो को इतने शानदार शब्दों में श्रध्दांजलि दी कि पाकिस्तान के लोग ही शर्म से पानी पानी हो गए, हिन्दुस्तानी नेताओं, अखबारों और टीवी चैनलों की श्रध्दांजलि देखकर-पढ़ सुनकर ही पाकिस्तानियों को पता चला कि मोहतरमा इतनी महान नेता थी। जबकि हमारे यहाँ तो यह बताया जाता था कि मोहतरमा हिन्दुस्तान से सौ सालों तक युध्द करने पर आमदा थी।
अंत में इतना ही कहना चाहता हूँ कि जब तक आपके देश में गुटका किंग, फिल्मी दुनिया में बैठे पाकिस्तान परस्त और आपके देश के स्वाभिमान को गिरवी रखकर क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ी मौजूद हैं तब मुझे यानी पाकिस्तान को क्या अड़ी है कि मैं आपके देश में कोई आतंकवादी कार्रवाई करुँ। यह काम तो आपके दाउद भाई के लिए बाँये हाथ का खेल हैं l