मुझे याद आता है अपना बचपन सुहाना

मुझे याद आती है मेरी नानी”” सुनाती थी जादूगर वाली कहानी,

जहॉ गुजरा बचपन, वह बचपन सुहाना

नानी की कथडी वो बिस्‍तर  पुराना।
नांद में नहाना, कुए से पानी लाना
दूद छिरिया का पीना मस्‍ती में जीना
वो लालटेन,चिमनी, वो चूल्‍हे का जमाना।।1।।
मुझे याद आता है अपना बचपन सुहाना ; 
नर्मदापार ननिहाल जाना,

आम-महुआ के नीचे समय बिताना
नाव का सफर बडा सुहाना,  

उफनती नर्मदा में उसपार जाना।
नाव चलाते मल्‍लाह प्‍यारे, 

बारिस की झडी वो बाढ का जमाना।
हरघर का दूद शहर में आना, 

बीच मंझधार में सबका दूद चढाना।।।2।।
मुझे याद आता है अपना बचपन सुहाना ;
गईया की सार में किंची अंटी खेलना,  

अंटे को कुहनी से गुच्‍चू में ढकेलना
संगी साथी बन मामाओं का मुझे झेलना, 

मुझे जिताने आखिरी तक खेलना
दाडी कहलाता गॉव का मैदान, 

होली दीवाली पे दिखती उसकी शान
दारू दूद की धार में नगरा,बांधता 

हर बीमारी हर आपदा के प्रान।।।3।।

मुझे याद आता है अपना बचपन सुहाना
गॉव में जंगल जंगल में गॉव, है बचपन की अनबूझ कहानी।
बगवाडा मेेेरा ननिहाल है,

कहता हूं बचपन की बेबाक जुवानी।
वो फेफर पर चढना बरगद पर खेलना, 

पेडों से था गहरा नाता
जंगल से तेंदू, महुआ, अचार लाना, 

मिलजुल खाना सबको भाता।।।4।।
गईया की शारे बडी बडी, और बडे सबके ऑगन
लम्‍बी चौडी गलियॉ, खेलने को मैदान थे मनभावन।
ज्‍वार. भुटटा के खेत थे निराले, 

मचान पर होरिया भगाते बच्‍चे सारे
कपडा लपेटें बुत खडा करते खेते में, 

देख जानवर भागते प्‍‍यारे। ।।5।।
मुझे याद आता है ;;;
तेंदू, ककरी,डंगरा कचईया,

तोड लाते थे बिहारी नाना
घी में भिगो ज्‍वार की रोटी 

खूब खिलाते दोनों मामा।
नानी पकाती दलिया, भूंजा,

मिटटी की थी हडिया न्‍यारी 
पानी में गुड घोल सतुआ खिलाती, 

मौसी थी राजकुमारी।।।6।।
मुझे याद आता है ;;;
बेर,सीताफल, कवीट –बील, 

ननिहाल थी इनकी रजधानी
गॉव में जंगल जंगल में गॉव,है 

बचपन की अनबूझ कहानी।
सुनाती थी जादूगर वाली कहानी,

हूंका भरवाती मुझसे नानी
डरना, सहमना, नानी से लिपटना 

प्‍यार अपना लुटाती मुझे नानी।।7।।

आत्‍माराम यादव पीव

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