बेदाग करार, मोदी सरकार

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अनिल अनूप 

हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने फ्रांस से खरीदे राफेल लड़ाकू हवाई जहाजों की कीमत को आधार बनाकर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। राहुल गांधी के साथ-साथ अन्य दलों के नेताओं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से नाराज कई अन्य जिम्मेवार लोगों ने भी मोदी सरकार पर राफेल हवाई जहाजों की खरीद को लेकर कई प्रश्न किए व सरकार पर सीधा निशाना भी साधा। कांग्रेस अध्यक्ष का लक्ष्य तो उपरोक्त मुद्दे को उछालकर जहां कांग्रेस के समय हुए बोफोर्स तोपों व मनमोहन सिंह सरकार के समय हुए घपलों से जन साधारण का ध्यान हटाकर राजनीतिक लाभ लेना ही था। राहुल गांधी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल रहे। भाजपा के गढ़ माने जाने वाले तीनों राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सफलता मिली। 
विधानसभा चुनाव परिणाम आने के पश्चात अब देश के सर्वोच्च न्यायालय ने राफेल हवाई जहाजों की खरीद मामले में मोदी सरकार को बेदाग करार दिया है। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने राफेल सौदे को लेकर मोदी सरकार विरुद्ध जितनी भी याचिकाएं थी उनको खारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष इन याचिकाओं में मोटे तौर पर चिंता के तीन मुद्दे-निर्णय लेने की प्रक्रिया, विमानों की कीमत और भारतीय आफसेट साझीदार के चयन संबंधी मुद्दे उठाए गये थे। आरोप लगाया गया था कि 58 हजार करोड़ की डील में अनियमितता बरती गयी। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने कहा कि अरबों डॉलर कीमत के राफेल सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है। पीठ ने कहा हम संतुष्ट हैं। प्रक्रिया में यदि मामूली बदलाव हुआ भी है तो इसकी परिणति ठेके को निरस्त करने या इसमें न्यायालय द्वारा विस्तृत जांच कराने की आवश्यकता नहीं है। ऑफसेट साझेदार के मामले पर तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि किसी भी निजी फर्म को व्यावसायिक लाभ पहुंचाने का कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। शीर्ष अदालत ने कहा कि लड़ाकू विमानों की जरूरत है। तीन सदस्यीय पीठ की तरफ से फैसला पढ़ते हुए चीफ जस्टिस गोगोई ने कहा, लड़ाकू विमानों की खरीद प्रक्रिया में हस्तक्षेप का कोई कारण नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा कि कीमतों के तुलनात्मक विवरण पर फैसला लेना अदालत का काम नहीं है। शीर्ष अदालत ने 14 नवम्बर को सुनवाई पूरी की थी। याचिका दायर करने वालों में भाजपा के दो नेता और पूर्व मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी, अधिवक्ता प्रशांत भूषण, मनोहर लाल शर्मा और विनीत ढांडा तथा आप पार्टी के नेता संजय सिंह शामिल थे। प्रशांत भूषण ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट का फैसला पूरी तरह से गलत है। उधर, अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा, मुझे लगता है कि राफेल सौदे में सरकार को क्लीन चिट मिल गई है। उन्होंने कहा न्यायालय ने हमारी सभी दलीलें मानी हैं। इस बीच केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, राहुल झूठ परोस रहे थे। हम उम्मीद करते थे कि वह निर्णय को विनम्रता से स्वीकारेंगे, लेकिन उनका दंभ और संस्थाओं के प्रति असम्मान झलका। रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी ने एक बयान में कहा, मैं फैसले का स्वागत करता हूं। इससे साबित हो गया है कि निजी तौर पर मुझ पर और रिलायंस समूह पर लगाए गए आरोप पूरी तरह से मिथ्या, बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित थे। उन्होंने कहा, भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और दसाल्ट एविएशन ऑफ फ्रांस के साथ ऑफसेट समझौते समेत रक्षा के महत्त्वपूर्ण क्षेत्र में सरकार की मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया नीतियों के प्रति योगदान देने को लेकर हम प्रतिबद्ध हैं। राफेल पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर दोहराया कि देश का चौकीदार चोर है। नयी दिल्ली में एक प्रैस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा यह कैसे हो सकता है कि जो कैग रिपोर्ट फैसले की बुनियाद है वह पीएसी में किसी को नहीं दिखी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में दिखी। उन्होंने कहा, जब कोई झूठ बोलता है तो वह कहीं न कहीं नजर आ जाता है। सरकार हमें बताए कि सीएजी रिपोर्ट कहां हैं? राहुल ने कहा, मोदी जी ने संस्थाओं की धज्जियां उड़ा दी हैं। यहां पर 30 हजार करोड़ रुपए की चोरी हुई है। प्रधानमंत्री ने अनिल अंबानी को 30 हजार करोड़ रुपए की चोरी कराई है। जांच होगी तो खुलासा हो जाएगा। वित्तमंत्री अरुण जेटली और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस और गांधी परिवार पर निशाना साधा। वित्त मंत्री ने कहा, राहुल ने देश की सुरक्षा से खिलवाड़ किया। जिस झूठ का निर्माण किया उसकी मियाद सिर्फ तीन महीने की थी। झूठ की जिन्दगी हमेशा छोटी होती है और सच हमेशा अटल रहता है। रक्षा मंत्री ने कहा, फैसला आने से पूरे विवाद का अंत हो गया है। यह फैसला केंद्र सरकारकेंद्र सरकार की जीत है। कोर्ट ने कहा कि राफेल सौदे में हर चीज का ध्यान रखा गया है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि यह फैसला भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वालों के मुंह पर तमाचा है। राहुल गांधी को झूठ बोलने के लिए देश से माफी मांगनी चाहिए।सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने जो ‘मैं न मानू’ वाली नीति अपनाई है वह अनुचित है। भावी लोकसभा चुनावों को मुख्य रखते हुए जो लोग मोदी व भाजपा विरोधी है वह राफेल हवाई जहाज खरीदने के मुद्दे को किसी न किसी तरह चर्चा में रखना चाहते हैं। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए निर्णय के बाद अब जन साधारण राहुल गांधी व उनके सहयोगियों द्वारा राफेल मुद्दे पर लगाए आरोपों को शायद ही कोई गंभीरता से ले। कांग्रेस केवल अपना चेहरा व छवि बचाने के लिए राफेल खरीद के मुद्दे को उछालने की कोशिश तो अवश्य करेगी लेकिन उसे 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में उपरोक्त मुद्दे को उछालने से कोई लाभ मिलने वाला नहीं।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी तथा उनके सहयोगी अगर अब भी राफेल मुद्दे को उछाल राजनीतिक लाभ लेने की सोच रहे हैं तो गलत सोच रहे हैं। क्योंकि देश के सर्वोच्च न्यायालय ने राफेल सौदे को लेकर मोदी सरकार को बेदाग घोषित कर दिया है। इसके बाद राहुल गांधी द्वारा राफेल के मामले में लगाए आरोपों को शायद ही कोई गंभीरता से लेगा।

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