सुख की चाह में

असीम समृद्धिशाली जागीरें

मेरे जीवन की

बियावान धरती से सॅटकर

जगत पिता परमेश्वर ने

अपनी अन्य संतानों में

असमान वितरित की है?

जीवन की

इन सब जागीरों में

चंद लोगों ने

सुन्दरतम महल बनाकर

सुख के फाटक लगाये हैं

मेरे

ये तथाकथित पड़ोसी

अपने महल की

खिड़कियों से

रात गये बेईमान सुन्दरी को

काले लिबास का जामा पहनाकर

तिजौरियो में भरते हैं

और दिन के साफ उजाले में

वैभवता की शक्ल में

अपने कु-चरित्र पर

ईमान का पानी चढ़ाते हैं।

उनके जीवन में झूठ

हर पल सत्य बनकर

प्रखरित होता है

उनके महल में बिछा

ये रंगीन कालीन

गरीब बेवशों की

मजबूरियॉ है।

जो उनका पेट काटकर

बिछायी गई है।

गुम्बज में चमकता

ये विदेशी झूमर

युवाओं के सपनों को चुराकर

जार-जार होते दिलों को मिलाकर

आने वाली उनकी

हर रोशन जिंदगी की

खूबसूरत रंगीन चमक से

चमकाया है।

महल में जगह-जगह

लहराते ये रेशमी परदे

तुच्छ भेंटे है

मजबूर लाचारों की।

लम्बी कतारों को

नजरअंदाज कर

मामूली तोहफों के रूप में

कुछ चिर-परिचित

लक्ष्मी भक्तों ने इन्हें दी है।

जो फाइलों के ढेर में

अपना कीमती वक्त बर्बाद नहीं करते

और पलक झपकते ही

कतारों में खडे

तथाकथित लोगों के

कीमती वक्त और भावी अरमानों को

धराशायी करके तुच्छ भेंटों से

अपना काम करवातें  है।

महल की शान बनी

ये चमचमाती रंगीन गाड़ियां

करीने से सजी

कई अमूल्य वस्तुएं

सिफारिश के

मजबूत थाल में

रिश्वत के साथ सजाकर

व्यवहार कुशलता रूपी

कपड़े से ढककर

उन्हें ईमानदारी के साथ दी गई है।

महलों में रहने वाले

इन पड़ोसियों ने

कई उपहारों को स्वीकार करके

अपने व बच्चों के

भावी जीवन के लिये

हर तरह के साधन जुटाए है।

लेकिन उन्हें ज्ञात नहीं

उनकी इस आदत ने पीव

कई अन्जान लोगों का

जीवन चौपट कर रखा है,

और कईयों को जीते जी ,

आत्महत्या/मरने को विवश किया है।

आत्‍माराम यादव पीव

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