पाकिस्तान का आतंकी रूपी चेहरा एक बार फिर पूरी दुनिया के सामने उजागर हो गया है। भारत की सीमा में घुसपैठ करने का प्रयास करते हुए एक और आतंकी भारत के सैन्य बल ने पकड़ लिया है। जिसने स्वयं इस बात को स्वीकार किया है कि वह पाकिस्तान का रहने वाला है। इसके बाद पाकिस्तान अपनी पुरानी आदत के अनुसार फिर से वही राग अलापने का काम कर रहा कि आतंकी सज्ज़ाद पाकिस्तान का नहीं है। पाकिस्तान की इस हरकत की कुत्ते की पूंछ से तुलना की जाये तो काम नहीं होगी। पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद का एक बार फिर खुलासा हुआ है। पहले नावेद बाद में सज्ज़ाद का पकड़ा जाना आतंकवाद की जिंदा प्रस्तुति कही जा सकती हैं। पाकिस्तान के हुकमरान भले ही सीधे तौर पर इसमें सम्मिलित नहीं हों, लेकिन जिस प्रकार से पाकिस्तान की सरकारों द्वारा आतंकवादियों को ताकत प्रदान करने वालों को प्रश्रय दिया जाता है, उसकी सत्यता को पाकिस्तान झुठला भी नहीं सकता।
हम जानते हैं कि पाकिस्तान की पूरी जनता इन आतंकवादियों के जुनूनी झांसे में इस कदर जकड़ चुकी है कि वे चाहकर भी इस जकड़ से बाहर नहीं आ सकते। पाकिस्तान के आतंकी आकाओं द्वारा संचालित किए जा रहे आतंकी प्रशिक्षण केंद्रों से प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात ही पाकिस्तान की इस भटकी हुई युवा शक्ति को भारत में भेज दिया जाता है। ऐसी आतंकी शक्तिओं की घुसपैठ का दश भारत कई बार भोग चुका है। पाकिस्तान की जनता के समक्ष भारत का जो चित्र प्रस्तुत किया जाता है उससे ऐसा लगता है कि पाकिस्तान को अपनी किसी भी गलती का पछतावा नहीं है, पाकिस्तान की जनता के बीच भारत को आतंकी देश के रूप में प्रचारित किया जाता है, जो अपने गुनाहों पर पर्दा डालने जैसा है। यहां यह बात गौर करने लायक है कि इन आतंकियों के भारतीय नेटवर्क में जो लोग शामिल हैं उनके पास इसकी पूरी जानकारी तो रहती है, साथ ही आतंकियों को पूरा आश्रय देते हैं। हालांकि यह बात जांच का विषय हो सकती है। लेकिन इस विषय पर सामान्य व्यक्ति भी अध्ययन करे तो कई बातें स्वतः ही सामने आती चली जाती हैं। जिससे भारत में स्थापित पाकिस्तानी नेटवर्क का खुलासा स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
सीमा पर घुसपैठ करने के बाद भारतीय सीमा में पकड़े गए दोनों आतंकियों के बारे में पाकिस्तान का जो अपेक्षित व्यवहार होना चाहिए था, कमोवेश वैसा ही दिखाई भी दे रहा है। दोनों आतंकियों के पाकिस्तानी परिजन उनको अपना बता रहे हैं तो पाकिस्तान की सरकार ने फिर से उनके पाकिस्तानी होने से नकार दिया है। पाकिस्तान द्वारा अपनी करतूत छुपाने का यह पहला मौका नहीं है, इसके पूर्व भी पाकिस्तान ने उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली को चरितार्थ किया है। इस घुसपैठ के पीछे पाकिस्तान की मंशा क्या है, क्या यह भारत में अशांति फैलाने की कार्यवाही का हिस्सा है, यदि नहीं तो फिर क्यों यह घुसपैठ की कार्यवाही की जा रही है। हम यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि पाकिस्तानी आतंकवादियों ने भारत में कई बम विस्फोट करके उपद्रव फैलाने का भरसक प्रयास किया। आखिर पाकिस्तान ऐसी कार्यवाहियां करके क्या प्रमाणित करना चाहता है। वास्तव में पाकिस्तान की यह कार्यवाही एक प्रकार से भारत में भय का वातावरण पैदा करने की है। ऐसे भय के कारण जनता में आसुरी शक्तियों के विरोध की क्षमता समाप्त होने लगती है। पाकिस्तान को यह बात सोचना चाहिए कि जिस दिन भारतीय समाज अपनी आत्मरक्षा करते हुए हिंसा पर उतारू हो जाएगा, उस दिन पाकिस्तान तो क्या दुनिया का कोई भी देश भारत की तरफ आँख उठाकर देखने की भी हिम्मत नहीं कर सकता। आज भारत में देश की सुरक्षा को लेकर जिस प्रकार की सक्रियता का भाव निर्मित हो रहा है, उसे देखकर पाकिस्तान को सचेत हो जाना चाहिए।
इसमें एक नई बात यह भी हो सकती है कि पूरे विश्व में भारत की साख जिस प्रकार से बढ़ रही है, वह भारत के दुश्मन देश होने के कारण पाकिस्तान को हजम नहीं हो रही। पाकिस्तान की मंशा यह भी हो सकती है कि भारत के मूल स्वरूप को उभरने से रोका जाए। पाकिस्तान ही नही विश्व के सारे देश इस बात को जानते हैं कि भारत जिस दिन अपने मूल स्वरूप को अपनाकर कार्य करने लगेगा तब तब भारत शक्ति सम्पन्न और सामर्थ्यवान बनने की ओर कदम बढ़ा देगा। इसके आधार पर इस बात की आशंका को भी बल मिलता है कि भारत की बढ़ती हुई शक्ति को रोकने के पाकिस्तानी घुसपैठ की यह कार्यवाही कहीं कहीं किसी बड़े अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र का हिस्सा तो नहीं ? क्योंकि विश्व के विकसित देशों की सूची में शामिल देश यह कभी नहीं चाहते कि भारत उनके समकक्ष खड़ा हो। यह भी हो सकता है कि इन देशों ने पाकिस्तान को भारत में गड़बड़ी फैलाने के उद्देश्य से इस घुसपैठ के अभियान में हर तरीके की अप्रत्यक्ष मदद की हो। क्योंकि वर्तमान में पाकिस्तान के बारे में यह बात कई लोग जानते और मानते हैं कि वहां अभिजात्य वर्ग को छोड़कर शेष जनता की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से खराब है। यही स्थिति पाकिस्तान के बेरोजगार नागरिकों को कुछ धन के लालच में आतंकी बनने के लिए मजबूर करती है। अगर पाकिस्तान पूरी संजीदगी के साथ आतंक पर काबू पाना चाहता है तो उसे सबसे पहले इस आर्थिक बदहाली को दूर करने उपाय तलाशने होंगे। अगर ऐसा हुआ तो ही पाकिस्तान खुशहाली के मार्ग पर अग्रसर हो सकता है।
भारतीय सीमा पर जिस प्रकार की स्थितियां पाकिस्तान द्वारा पैदा की जा रहीं हैं उससे तो प्रथम दृष्टया ऐसा ही लगता है कि पाकिस्तान एक तरफ वार्ता की बात करता है तो दूसरी तरफ सीमा पर घुसपैठ कराने के उद्देश्य से गोलीबारी करता है। क्या दोनों बातें एक साथ हो सकतीं हैं, कदाचित नहीं। आतंकियों के एक बहुत बड़े समूह का भारत में प्रवेश करना वास्तव में एक बहुत खतरे का संकेत है। इस बात को अभी हाल ही में पकड़े गए आतंकी सज्ज़ाद ने स्वयं स्वीकार किया है कि उसके साथ अन्य आतंकी घुसपैठ करने को तैयार थे, लेकिन भारत की सेना ने हमारी घुसपैठ को विफल कर दिया। इसके साथ ही उसने यह भी कहा है कि नावेद के समय भी कुछ आतंकियों ने घुसपैठ की। यह आतंकी भारत में ही हैं। आतंकी सज्ज़ाद ने यह भी कहा कि यह सभी आतंकी भारत के अलग अलग शहरों में बस गए हैं। अब सवाल यह आता है कि भारत में इनको आश्रय कौन देता है, ऐसा आश्रय प्रदान करके कहीं हम अपने ही देश के साथ खिलवाड़ तो नहीं कर रहे ? अगर इस सत्य है तो हमें इन देश विघातक शक्तियों पर निगाह रखनी होगी। हमारे खुफिया तंत्र को अपनी सक्रियता को और विस्तार देना होगा।
सुरेश हिन्दुस्थानी