खेल पथ पर स्वर्णिम लक्ष्य को प्राप्त करता भारत

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विश्व पटल पर किसी भी देश को नंबर एक का दर्जा तभी प्राप्त होता है ,जब उसका प्रदर्शन हर क्षेत्र में अच्छा हो। आज भारत विकाशील से विकसित राष्ट्र की तरफ काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है।कुछ वर्षों से देश खेल के क्षेत्र में काफीं आगे बढ़ चूका है।अब देश एक स्पष्ट लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहा है।एशियाड शुरू होने से पहले ही भारतीय खेल संघ ने अपने  ‘इस बार 100 पार’ के उद्देश्य को खिलाडियों और उनके प्रशिक्षकों को स्पष्ट रूप से सूचित कर दिया था। हांगझोऊ एशियाई खेलों में भारत ने इतिहास रच दिया है। ‘इस बार 100 पार’ का लक्ष्य को लेकर उतरे भारतीय दल ने 100 से ज्यादा पदक जीत लिए हैं। भारत के लिए इससे बड़ी खुशी क्या होगी कि आजादी के 75 वें वर्ष के अमृतकाल में देश ने 19 वें एशियाई खेलों में पदकों का शतक पूरा किया है। स्पर्धाओं के 13 वें दिन भारत ने हॉकी के स्वर्ण सहित नौ पदक जीतकर पदकों की संख्या 95 तक पहुंचाई। 14 वें दिन की शुरुआत में ही भारतीय तीरंदाजों ने चार पदक दिलाए और फिर कबड्डी टीम ने स्वर्ण जीतकर भारत का पदकों का शतक पूरा कर दिया।यह एशियाई खेलों के इतिहास में भी पहली बार है जब भारत ने 20 से अधिक स्वर्ण पदक जीते हैं। इससे पहले सबसे ज्यादा स्वर्ण 72 साल पहले यानी 1951 दिल्ली एशियाई खेलों में आए थे। तब भारत ने 15 स्वर्ण जीते थे। भारत ने जकार्ता में हुए पिछले एशियाई खेलों के 70 पदकों के कीर्तिमान को तो पहले ही ध्वस्त कर दिया था और अब तो 100 पदकों का संकल्प लेकर चीन जाने वाले भारतीय खिलाड़ियों ने अपने लक्ष्य को सिद्ध भी कर लिया है। भारतीय खिलाड़ी कई स्पर्धाओं के फाइनल में हैं। इस साल निशानेबाजी और एथलेटिक्स जैसे खेलों में भारत ने शानदार प्रदर्शन किया ।

चार साल में एक बार आयोजित होने वाले इस मल्टी स्पोर्ट्स इवेंट के सभी संस्करणों में भाग लेने वाले भारत ने एशियाई खेल की स्थापना और इसे शुरू करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके अलावा भारत ने एशियाई खेल के पहले संस्करण की मेज़बानी भी की थी जिसका आयोजन देश की राजधानी नई दिल्ली में किया गया था।भारत ने  वर्ष 1951 के एशियाई खेल  में 51 पदक जीते थे, जिसमें 15 स्वर्ण, 16 रजत और 20 कांस्य पदक शामिल था। एशियाई खेल की पदक तालिका में भारत से आगे सिर्फ जापान था, जिसने 60 पदक जीतकर पहला स्थान हासिल किया था। तैराक सचिन नाग  ने 1951 में नई दिल्ली में 100 मीटर फ्रीस्टाइल स्पर्धा में जीत दर्ज करते हुए एशियन गेम्स में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया था।इसी वर्ष रोशन मिस्त्री भी एशियाई खेलों में पदक जीतने वाली प्रथम भारतीय महिला बनी थी, जब उन्होंने 1951 के एशियन गेम्स की 100 मीटर रेस स्पर्धा में रजत पदक अपने नाम किया था।भारत ने एशियन गेम्स के अब तक के हर संस्करण में स्वर्ण पदक हासिल किया है और महाद्वीपीय प्रतियोगिता में पांचवां सबसे सफल देश है।

भारत के ट्रैक एंड फील्ड एथलीटों ने 18 संस्करणों में सबसे अधिक 254 पदक हासिल किया है।इस वर्ष चीन में आयोजित 19 वें संस्करण में भारत ने सौ का आकड़ा पार कर लिया है। दिग्गज भारतीय धावक मिल्खा सिंह बिना किसी शक के भारतीय एथलेटिक्स का सबसे बड़ा नाम हैं, जिन्होंने 1958 के एशियाई खेल में 200 मीटर और 400 मीटर की स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता और इसके बाद जकार्ता में 1962 के संस्करण में दो और स्वर्ण (400 मीटर और 4 गुणा 400 मीटर रिले) अपने नाम किया।इसके बाद एशियाई खेल की ट्रैक एंड फील्ड प्रतियोगिता में भारत की स्वर्णिम परंपरा को पीटी उसा ने जारी रखा।’पय्योली एक्सप्रेस’ के नाम से जाने जाने वाली पीटी उषा ने 1986 के एशियाई खेल में ट्रैक पर शानदार प्रदर्शन किया। उस साल भारत के द्वारा जीते गए पांच में से चार स्वर्ण पदक जीते पीटी उषा ने जीते थे। तीन बार की ओलंपियन पीटी उषा ने सियोल 1986 खेलों में चार स्पर्धाओं (200मीटर, 400 मीटर, 400 मीटर हर्डल रेस और 4 गुणा400 मीटर रिले) में एशियन गेम्स रिकॉर्ड को तोड़ा।पीटी उषा ने एशियाई खेल में सबसे सफल भारतीय एथलीट के रूप में अपने शानदार करियर का अंत 11 पदकों के साथ किया जिसमें 4 स्वर्ण और 7 रजत पदक शामिल हैं। जकार्ता में आयोजित हुए एशियन गेम्स 2018 में भारत ने पदकों की लिहाज से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और रिकॉर्ड 70 पदक जीते, जहां एक बार फिर से एथलेटिक्स सबसे सफल खेल रहा। भारत ने 2018 एशियाई खेल की एथलेटिक्स प्रतियोगिता में 20 पदक हासिल किया ।

एशियाई खेल 2018 में नीरज चोपड़ा भाला फेंक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने। इस प्रदर्शन को नीरज चोपड़ा ने इस वर्ष भी जारी रखा ।चीन में आयोजित इस वर्ष के एशियाई खेल में भारत के महिला खिलाडी ने रिकार्ड कायम करते हुए भाला फेक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया ।इस वर्ष महिला खिलाडियों ने कई प्रतियोगितायों में पदक हासिल कर आगामी ओलम्पिक के लिए अपना टिकट पक्का कर लिया है । 2013 कामनवेल्थ गेम के दौरान भारतीय ओलम्पिक संघ पर कैग रिपोर्ट के बाद भ्रष्टाचार के आरोप लगे ।इस पूरे मामले ने काफी तूल पकड़ा और आगामी संसदीय चुनाव को प्रभावित किया ।सत्ता परिवर्तन के बाद मौजूदा प्रधानमंत्री ने विभिन्न खेल संगठनों में सुधार के लिए गैर राजनीतिक व्यक्तियों को मौका देने की योजना बनाई।ज्यादातर खेल संगठनों के प्रबन्धन की बागडोर आज उन खिलाडियों के हाथों में है ,जो सम्बंधित खेल से जुड़े है ।इसी योजना का परिणाम है कि आज प्रसिद्ध एथिलीट पी टी उसा भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष पद को शुशोभित कर रही हाई ।सरकार का ऐसा मानना है कि जबतक खेल संगठनों को राजनीति से दूर नही किया जाएगा तब तक खेल के स्तर में न ही सुधार किया जा सकता और न ही इसमें पारदर्शिता लाई जा सकती है ।आज जिस कुश्ती ने हमे खेल महाकुम्भों में भारत के पदकों की झोली भर देती थी ,वही कुश्ती अब तक केवल 5 मेडलों का ही योगदान इस एशियाई खेल में दे पाई है । इसमें में भी खास बात यह है कि इन मेडलों में एक भी गोल्ड नही है । आज एक मेडल और कुश्ती में आने की उम्मीद है। इस बार कई ऐसे खेलों में पदक आये है ,जिनका नाम भी आम जनमानस को पता नहीं है ।

इस लक्ष्य को प्राप्त करना उतना आसान नहीं था ,जितना इस समय लग रहा है ।पहले एशियाई खेल में दूसरे नंबर पर रहने वाला भारत पदक के दौड़ में लगातार पिछड़ता जा रहा था ।खिलाड़ी लगातार खेलों से दूर होते जा रहे थे ।कई खेल ऐसे थे जिनके खिलाड़ियों को आगे बढ़ने में सहयोग देने के लिए न तो कोई कम्पनी आगे आती थी और न ही राज्य सरकारें  ।आज केंद्र सरकार की स्पष्ट नीति के कारण अब केंद्र के साथ राज्य सरकारें भी खिलाड़ियों को नौकरी देने के साथ साथ उनके सहयोग के लिए हमेशा तत्पर रहती है  ।इस समय खेल को लेकर युवाओं में काफीं उत्साह है  ।अभी भी हम कुछ देशों की अपेक्षा पदक की दौड़ में काफी पीछे है  ।इस एशियाई खेल के परिणाम ने भारतीय खिलाड़ीयों को एक नई ऊर्जा प्रदान किया है ।इस परिणाम के बाद यह कहा जा सकता है कि आने वाला समय भारत का है  ।

नीतेश राय

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