जापानी कंपनियों के जरिए दुनिया में जाता भारत राग

0
166

jbicडॉ. मयंक चतुर्वेदी

भारत का आर्थ‍िक मोर्चे पर सफलता का राग अब विदेशी धरती पर जोर-शोर क साथ सुनाई देने लगा है। इस दिशा में जापान में जो प्रयोग हुआ और उसके जो निष्कर्ष आए हैं। आज वे भारत के लिए कई मायने रखते हैं। इन निष्कर्षों ने बता दिया है कि भारत की स्वीकार्यता विश्व क्षितिज पर आर्थ‍िक क्षेत्र को लेकर निरंतर बढ़ रही है।  

वस्तुत: ऐसा इसी‍लिए कहा जा रहा है, क्यों कि जापान अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग बैंक (जेबीआईसी) ने अपने देश की विनिर्माण क्षेत्र की एक हजार कंपनियों का जो सर्वेक्षण कराया, उसके निष्कर्ष अधि‍कतम भारत के पक्ष में आए हैं। इस सर्वेक्षण में भविष्‍य के निवेश के लिए भारत को पहला स्‍थान प्राप्‍त हुआ है जबकि इंडोनेशिया को दूसरा तथा चीन को तीसरा स्‍थान मिला है। वास्तव में जेबीआईसी का आया यह सार अभी से यह बताने के लिए पर्याप्त है कि भविष्य का भारत आने वाले दिनों में कितना प्रगतिशील और अधुनिक होगा।

भारत सरकार के द्वारा लगातार अपने औद्योगिक नियमों का सरलीकरण करने से यहां निवेश करने के लिए लगातार व्यापारिक माहौल बन रहा है। अकेले आज जापान की ही भारत में काम करने वाली 12 सौ से अधि‍क कंपनियां हैं जो वर्ष, प्रतिवर्ष निरंतर यहां निवेश कर रही हैं। भारत में कुछ जापानी कंपनियां तो अगले 2-3 वर्षों में 75 हजार करोड़ रूपये (लगभग 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का निवेश करने को लेकर गंभीरता से विचार कर रही हैं। यही हाल यहां काम कर रहीं कोरियाई, अमेरिकी, फ्रांस, जर्मनी तथा ब्रिटेन की कंपनियों का है। इन सभी देशों की कंपनियां भारत में लाभ कमाते हुए लगातार भारी मात्रा में अपना निवेश कर रही हैं। आज देश के हजारों-लाखों युवक इन कंपनियों की बदौलत रोजगार पा रहे हैं। सही मायनों में देखाजाए तो यह सरकार की लगातार औद्योगि‍क नीति में किए जा रहे आमूल-चूक परिवर्तन के कारण संभव हो सका है।

फिर जिसमें कि सरकार ने विशेषतौर पर जापानी निवेशकों की मदद के लिए एक विशेष प्रबंधन दल जापान प्‍लस भी बनाया हुआ है, जो लगातार जहां बिजनेस के सिलसिले में आने वाली दिक्कतों को लेकर जापानी कंपनियों के साथ सक्रिय रूप से बातचीत करता रहता है। जिन कंपनियों के काम प्रगति पर हैं उसे लेकर भी यह जापान प्लस विभिन्‍न मंजूरशुदा प्रक्रियाओं के बारे में उन्हें जानकारी निरंतरता में देता है। इसकी मदद से ही पिछले दिनों डेडिकेटिड फ्राइट कॉरिडोर (डीएफसी) के लिए कार्यरत सोजित्‍ज़ को लेकर उत्पन्न राजस्‍थान सरकार की चिंता से संबंधित मुद्दों को भी हल किया जा सका है। अब जापान प्‍लस को जापानी एकीकृत औद्योगिक पार्कों के विकास में मदद करनी है। इसके लिए जापानी कंपनियों और संबंधित राज्‍य सरकारों के साथ विचार-विमर्श का दौर चल ही रहा है।

वस्तुत: समग्रता के साथ इन सभी बातों का सार यही है कि जापान अंतर्राष्‍ट्रीय सहयोग बैंक (जेबीआईसी) ने जो जापानी विनिर्माण क्षेत्र की एक हजार कंपनियों का जो सर्वेक्षण कराया, उसके आए निष्कर्ष आज यह बता रहे हैं कि विनिर्माण क्षेत्र में एशि‍या में चीन के दिन अब लदने वाले हैं। भले ही इसका असर एक दम ना दिखाई दे किंतु इसकी शुरूआत हो चुकी है। वैसे भी हाल ही में आई विश्व बैंक की ग्लोबल आउटलुक रिपोर्ट का हालिया जारी अंक भी यही बता रहा है कि भारत वर्ष 2017 तक आते-आते आर्थ‍िक और उद्योग विकास में चीन को पछाड़ देगा। फिलहाल आए इस निष्कर्ष से दुनिया में जापानी कंपनियों के जरिए भारत का औद्योगिक राग के डंके की गूंज तो सुनाई देने ही लगी है।

 

Previous articleसंभावनाओं को जन्म देता “नीति आयोग”
Next articleजनरल साब ! ये प्राक्सी वार नहीं खुल्ल्म खुल्ला जंग का ऐलान है !
मयंक चतुर्वेदी मूलत: ग्वालियर, म.प्र. में जन्में ओर वहीं से इन्होंने पत्रकारिता की विधिवत शुरूआत दैनिक जागरण से की। 11 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय मयंक चतुर्वेदी ने जीवाजी विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के साथ हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर, एम.फिल तथा पी-एच.डी. तक अध्ययन किया है। कुछ समय शासकीय महाविद्यालय में हिन्दी विषय के सहायक प्राध्यापक भी रहे, साथ ही सिविल सेवा की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों को भी मार्गदर्शन प्रदान किया। राष्ट्रवादी सोच रखने वाले मयंक चतुर्वेदी पांचजन्य जैसे राष्ट्रीय साप्ताहिक, दैनिक स्वदेश से भी जुड़े हुए हैं। राष्ट्रीय मुद्दों पर लिखना ही इनकी फितरत है। सम्प्रति : मयंक चतुर्वेदी हिन्दुस्थान समाचार, बहुभाषी न्यूज एजेंसी के मध्यप्रदेश ब्यूरो प्रमुख हैं।

1 COMMENT

  1. न मैं श्रम कानून कड़े हैं,श्रम सस्ता है.श्रमिकों के अधिकार सीमित हैं. मज़दूर कब तक जी तोड़ मेहनत करेगा, भ्रष्टाचार के चर्चे जो अखबारों मैं देखने को मिलते हैं वे आशचर्य चकित हैं. भारत मैं श्रम कानून श्रमिक मित्र हैं. हमारे यहाँ वार्षिक अवकाश की संख्या कम होजानी चाहिए. सभी धर्मों के अनुनायियों के लिए वर्ष के ऐच्छिक अवकाश रखे जावे. सौर ऊर्जा ,और ऊर्जा के गैरपरंपरागत स्रोत उपयोग मैं लए जाने पर जोर हो. भारत की प्रगति निश्चित है, जापानी बैंक द्वारा किया गया सर्वेक्षण भारत की स्थिति को देखकर ही सामने आया है,

  2. चीन मैं श्रम कानून कड़े हैं,श्रम सस्ता है.श्रमिकों के अधिकार सीमित हैं. मज़दूर कब तक जी तोड़ मेहनत करेगा, भ्रष्टाचार के चर्चे जो अखबारों मैं देखने को मिलते हैं वे आशचर्य चकित हैं. भारत मैं श्रम कानून श्रमिक मित्र हैं. हमारे यहाँ वार्षिक अवकाश की संख्या कम होजानी चाहिए. सभी धर्मों के अनुनायियों के लिए वर्ष के ऐच्छिक अवकाश रखे जावे. सौर ऊर्जा ,और ऊर्जा के गैरपरंपरागत स्रोत उपयोग मैं लए जाने पर जोर हो. भारत की प्रगति निश्चित है, जापानी बैंक द्वारा किया गया सर्वेक्षण भारत की स्थिति को देखकर ही सामने आया है,

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,043 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress