भारत : पश्चिमी देश ब्रिटेन के चंगुल में

—–विनय कुमार विनायक
भारत सोने की चिड़िया थी
ऐसा कहता विश्व इतिहास
किन्तु यूरोपियन भुक्खड़ थे
धन की उनको थी तलाश!

इसी चाह में एक पुर्तगाली
वास्कोडिगामा कालीकट में
चौदह सौ अठानवे में आया,
तत्कालीन जमोरिन ने उसे
कालीकट, भारत में बसाया।

फ्रांसिस्को-डी-अल्मिडा बना
यहां प्रथम गवर्नर पुर्तगाली,
अल्फांसो-डी-अल्वुकर्स उनका
सकसीडर बना प्रतिभाशाली !

जिसने पन्द्रह सौ दस में जीत
गोवा और बसाया पुर्तगाल का
मुख्यालय भारत की भूमि में
बड़ा ही भव्य और वैभवशाली।

सन् सोलह सौ दो में डच एक
दूसरा यूरोपियन भारत आया
डच इस्ट इंडिया कंपनी बनाया
डच कुछ ज्यादा ही लोलुप थे!

इंडोनेशियाई मसाला द्वीप पर,
शीघ्र ही अंग्रेजों ने उन्हें भगाया,
सत्रह सौ पंचानबे ईस्वी सन में
भारत की भूमि से धक्का देकर!

आगे फिर डेनिस यहां आया
जिन्होंने अंग्रेजों के हाथों में
अपना हिस्सा शीघ्र ही गंवाया
डेनिस को हिंद रास ना आई!

ब्रिटिश इस्ट इंडिया कंपनी
सन सोलह सौ की षोड़षी सी
ससुराल समझ भारत आयी
और यहां पर गद्दी जमाई!

सन् सोलह सौ चौंसठ में
वो फ्रेच ससुरा बुढ़ खूसट
समझ कर बेटी घर आया
यहां कंपनी बसाने झटपट!

किन्तु खिसियानी बिल्ली
बनकर दौड़ी थी ब्रिटेनिया
पेरिस की संधि के तहत
सत्रह सौ तिरसठ में बुड्ढा
फ्रेच छोड़ गया था भारत।

अब फिरंगियों की बन आई
उन्होंने कूटनीति यूं अपनाई
जो भारत को रास नहीं आई
सोने की मुर्गी हलाल हो गई!

गुलामी की बेड़ी में हम जकड़े
एक नहीं,दो नहीं, दो सौ साल!
ईस्वी सन सत्रह सौ संतावन में
लार्ड क्लाइव गोरा गवर्नर आया

हमारे इस प्यारे भारत वतन में
एक गद्दार मीरजाफर को उसने
दोस्त बनाकर मचाया महा कहर
बंगाल प्रांत के पलासी रण में!

एक फांसी का फंदा लटका था
नवाब सिराजुद्दौला के गर्दन में
तबसे यह फांसी का फंदा बना
हमारी गुलामी की बेड़ी-हथकड़ी
अंग्रेज रहा तना हमारे वतन में!

रास्ते में जो भी कुछ खाई थी
लार्ड क्लाइव ने सत्रह सौ साठ में
पाट दिया फ्रेंचों को पानी पिलाके
हराया युद्ध मैदान बांडीवास में!

सन् सत्रह सौ संतावन से साठ तक
क्लाइव रहा बंगाल का गवर्नर लाठ
पुनः सत्रह सौ पैंसठ से सडसठ तक
सन् सत्रह सौ छियासठ में गवर्नर
लार्ड क्लाइव ने किया बड़ा खटपट!

निर्बल कर द्वितीय शाह आलम
मुगल को इलाहाबाद की संधि से
छीना उनसे बादशाही ठाठ और
पढ़ाया कंपनी संरक्षण का पाठ!

फिर दो वेरलास्ट और कार्टियर
सत्रह सौ बहत्तर तक रहा गवर्नर
किन्तु था जिससे सबसे ज्यादा
भय वो वारेन हेस्टिंग्स महोदय!
(सत्रह सौ चौहत्तर से पचासी तक)

सत्रह सौ बहत्तर से बंगाल का गवर्नर
चौहत्तर से बंगाल का गवर्नर जनरल
कलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय बना
वारेन हेस्टिंग्स के पहल करने से!

राजकीय कोषागार को कलकत्ता में
मुर्शिदाबाद से हेस्टिंग्स ने लाया था
एशिएटिक सोसाइटी का रक्षक, लार्ड
प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध का योद्धा
द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध का असुर!

पुनः सत्रह सौ पचासी से छियासी तक
अपकर्षण किया जान मैकफर्सन ने देश
लार्ड कार्नवालिस सत्रह सौ छियासी में
भारत मां का चरण मालिश को आया!

ब्रिटिश नागरिक सेवा ने उसे भरमाया
थाना का संस्थापक कार्नवालिस, रहा
मस्त स्थाई बंदोबस्त में, किन्तु बना
आचार संहिता सिविल पदाधिकारी का
किया था पस्त लार्ड कार्नवालिस ने!

फिर सेवेनटीन नाइंटी थ्री से देश
हुआ कुछ फ्री जब सर जान शोर
अहस्तक्षेप की नीतिपर चलने को
आए थे बिना कुछ शोर मचाए!

इस जान शोर के अशोर के बाद
एक महाशोर आया लार्ड वेलेजली
ना कच्ची कली ना मिस्री की डली
बल्कि मचाया था उन्होंने खलबली!

कहलाकर बंगाल का शेर,चलाया
जिसने सहायक संधि का अंधेर
ठेका में सैन्य सहायता देने का
वह था महोदय लार्ड वेलेजली !

सन अठारह सौ पांच से सात के
हाय रे अभागा गवर्नर जार्ज वार्लो
वेलोर के भारतीय सिपाही विद्रोह से
तुम अपने आप को धिक्कार लो।

लार्ड मिन्टो ने अमृतसर संधि पर
पंजाब के महाराजा रंजित सिंह को
मिनटों में ही तैयार कर लिया था
यही थी लार्ड मिन्टो की सफलता!

गवर्नर कैक्वर्स आफ हेस्टिंग्स आया
सन् ऐट्टीन थर्टीन ईस्वी में भारत
पिंडारी का दमन,,मराठा को मलीन
देश में प्रेस को प्रतिबंध हीन करने।

एक था लार्ड एम हर्स्ट भरतपुर का
किला जीतने में उनको नहीं हुआ कष्ट।
लार्ड वेंटिक; वाह, सन् ऐट्टीन ट्वेंटी ऐट
गवर्नर वेंटिक ने किया पांच वर्ष का वेट
अठारह सौ तैंतीस ईस्वी के चार्टर एक्ट के
तहत बना देश का फर्स्ट गवर्नर जनरल!

लार्ड वेंटिक में था अच्छा दमखम
जिसने सती प्रथा का दमन किया
बालिका हत्या पर लगाकर अंकुश
उससे ही ठगी प्रथा का अंत हुआ!

अंग्रेजी बना था शिक्षा का माध्यम
लार्ड थोमस मैकाले के सहयोग से,
कानून का भी हो गया वर्गीकरण
भारतीयों को मिला पद और मान
वेंटिक था सचमुच में बड़ा महान।

फिर आया चार्ल्स मेटकाफ जिसने
प्रेस के सभी प्रतिबंध का तत्क्षण
कर दिया था साफ,प्रेस का इंसाफ!
एक था लार्ड आकलैंड अठारह सौ
उन्चालीस ईस्वी. में जिसने बजाया
प्रथम आंग्ल अफगान युद्ध का बैंड!

गवर्नर जनरल एलेनवरो ने एलान
कर कहा अफगान युद्ध बंद करो।
गवर्नर जनरल लार्ड हार्डिंग ने किया
आंग्ल-सिख युद्ध का प्रोपर गार्डिंग!

लार्ड डलहौजी (1848-1856 ई.)
लार्ड डलहौजी था अति मनमौजी
अठारह सौ अडतालीस में आया
भारत द्वितीय आंग्ल सिख का
योद्धा,द्वितीय आंग्ल वर्मा युद्ध
कर्मा लार्ड डलहौजी ने अपनाया,

वारिस विहिन राज हड़प की नीति
यद्यपि रेल डाक तार विभाग एवं
प्रतियोगिता परीक्षा का प्रचलन किया
उसने प्रथम बार फिर भी भूत सवार,

उस मनमौजी पर ऐसा कि भड़क उठी
सेना छिन ली गई कंपनी की सरकार
ग्रीष्म कालीन राजधानी शिमला,विधवा
पुनर्विवाह कानून लार्ड डलहौजी की देन
फिर भी हरक्षण डलहौजी रहता बेचैन!

फिर कैनिंग आया ईरानी युद्ध का वह
संचालक, विश्व विद्यालय का स्थापक
लेकिन जन सैन्य विद्रोह को कैनिंग ने
सुलझा ना पाया, ब्रिटेन की महारानी
बन गई भारत वर्ष की भी महारानी
ग.ज.का पद वायसराय में ढल गया!
—विनय कुमार विनायक

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