—विनय कुमार विनायक
भारत कोई नवीन राष्ट्र नहीं
आदि सनातन से चला आ रहा पारंपरिक
सनातनी जैन बौद्ध वैदिक हिन्दू राष्ट्र है!
प्रथम स्वायंभुव मनु के मन्वन्तर से
वर्तमान सातवें वैवस्वत मनु के मन्वन्तर तक
भारत ने अपनी सभ्यता संस्कृति
और विरासती पहचान को कभी नहीं छोड़ी!
सप्त द्वीप नौ खंड में
भारतवर्ष था जम्बूद्वीप तक विस्तृत भूमि
भारतवर्ष नाम पड़ा प्रथम स्वायंभुव मनु के
प्रपौत्र प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ ऋषभदेव के
ज्येष्ठ पुत्र राजा भरत के नाम पर
तब से भरतवंशी प्रजा कहलाने लगी भारत मनुर्भरती!
भारत का आदि धर्म आदिनाथ प्रथम जैन तीर्थंकर
ऋषभदेव से चला अहिंसावादी जैन धर्म कहलाने लगा
जो सातवें वैवस्वत मन्वन्तर के चौबीसवें तीर्थंकर
महावीर तक अनवरत अक्षुण्ण रुप से चलता आ रहा
अहिंसावादी जैन धर्म में आजतक बदलाव नगण्य है!
सातवें वैवस्वत मनु के पिता सूर्य नाम से स्थापित सूर्यवंश और
वैवस्वत मनुपुत्री इला के श्वसुर चंद्र नाम से स्थापित चंद्रवंश की
संतान द्वारा आर्य उपाधि धारण से भारत आर्यावर्त कहलाने लगा!
आगे वैवस्वत मनुपुत्री इला के चंद्रकुल में उत्पन्न
दुष्यंत शकुंतला के पुत्र का नाम भरत रखे जाने से
इस द्वितीय भरत नाम से संपूर्ण आर्यावर्त दक्षिणावर्त
फिर से वर्तमान में भारत देश कहलाने लगा है!
आर्यावर्त नामकरण काल में वेदोदय हुआ
जैन धर्म के संग-संग वर्णाश्रम धर्म यज्ञ यजन
कर्मकाण्ड पशुबलि का वैदिक धर्म चलने लगा था!
‘वैदिक हिंसा हिंसा न भवति’ सिद्धांत पर
वैदिक धर्म आगे चलकर ब्राह्मण धर्म कहलाने लगा!
ईसापूर्व छठी शताब्दी में वैदिक हिंसा
ब्राह्मणवाद वर्णभेद जातिवाद के विरूद्ध बुद्ध का
अहिंसावादी जैन धर्म सा बौद्ध धर्म का पादुर्भाव हुआ!
संपूर्ण जम्बूद्वीप आर्यावर्त दक्षिणावर्त समुद्र पर्यंत
सारे द्वीप समूह एशिया वासी बौद्ध धर्मी हो गया!
मगर भारत पर विदेशी इस्लामी आक्रांताओं के
आक्रमण और अंग्रेजी उपनिवेशवादी जकड़न से
भारत लगातार टूटता बंटता विधर्मी का गुलाम हो गया!
कभी कांधार-काबुल-अफगानिस्तान
पाकिस्तान-बांग्लादेश तिब्बत बर्मा नेपाल भूटान
मालद्वीप श्रीलंका वियतनाम
थाईलैंड मलेशिया इंडोनेशिया कम्बोडिया लावोस
अखण्ड भारतवर्ष का ही हिस्सा था!
उन्नीस सौ उन्नीस ईस्वी में अंग्रेजों ने अफगानिस्तान
और उन्नीस सौ सैंतीस में बर्मा को भारत से तोड़ दिया
उन्नीस सौ अड़तालीस में श्रीलंका भी आजाद हो गया!
नेपाल भूटान को अनुपयोगी समझकर
अंग्रेजों ने छोड़ दिया,तिब्बत को चीन ने हड़प लिया
जिससे ये देश गुलाम व आजाद भारत से अलग रहा
इन देशों का धर्म हिन्दू बौद्ध जस का तस यथावत रहा
आक्रांताओं के विदेशी मजहब से प्रभावित नहीं हो सका!
सन उन्नीस सौ सैंतालीस ईस्वी में अंग्रेजों ने
हिन्दू से धर्मांतरित भारतीय मुस्लिमों के लिए
जिन्ना और इकबाल की मांग पर मजहब के नाम
भारत को तोड़ इस्लामी राष्ट्र पाकिस्तान बना दिया!
फिर भी सारे मुस्लिम पाकिस्तान नहीं गए
बापू गांधी व चाचा नेहरु की तुष्टीकरण नीति से
अधिकांश मुस्लिम भारत में ही रह गए
जिसकी आबादी आज पाकिस्तान से अधिक हो गई!
कांग्रेसी सरकार द्वारा शेष भारत को
धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित कर देने के कारण से
भारत धर्म के आधार पर फिर टूटने के कगार पर
जिसे समय रहते बचाए रखना राष्ट्रवाद की पुकार है!
—विनय कुमार विनायक