भारत की क्वाड में भूमिका

डॉ. संतोष कुमार

अभी हाल ही में QUAD देशों का शिखर सम्मलेन जापान की राजधानी टोक्यो में सम्पन्न हुआ जिसमें भारतीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आलावा जापान के प्रधान मंत्री फुमिओ किशिदा, अमेरिकन राष्ट्र्पति जो बिडेन तथा ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री अन्थोनी अल्बान्सी ने हिस्सा लिया। QUAD (क्वादिलाटेरल सिक्योरिटी डायलाग) जो कि एक सिक्योरिटी डायलाग हैं। जिसकी पहल सन 2007 जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंज़ो अबे ने की थी। किन्तु चीन के दबाब में ऑस्ट्रेलिया के पीछे हट जाने के कारण QUAD के आईडिया को वास्तविकता का रूप नहीं दिया जा सका। किन्तु जब 2017 पुनः शिंज़ो अबे जापान के प्रधानमंत्री बने और भारत, ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड स्टेट्स के सहयोग से क्वाड की स्थापना की। जिसक का मूल उद्देश्य चीन के बढ़ते आर्थिक और सैन्य प्रभाव को रोकना और सदस्य देशों के बीच संवाद और सहयोग स्थापित करना था।
इस पहले मार्च 2021 में प्रथम शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था जिसमें क्वाड नेताओं ने डिजिटल रूप से मुलाकात की। जिसमें मुख्यतौर पर कोविड-19 वैक्सीन उत्पादन, साइबर स्पेस, क्रिटिकल टेक्नोलॉजी कोऑपरेशन, आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन सम्बंधित मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गयी थी। और साथ ही साथ क्वाड नेताओं ने यह भी स्पष्ट किया कि क्वाड सैन्य गठबंधन नहीं है। और ना ही चीन विरोधी मंच। इन नेताओं ने जोर देकर कहा कि क्वाड एक समावेशी और समान विचारधारा वाले राष्ट्रों का एक मंच है। जो एक समान दृष्टि विकसित करने, शांति और समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है। शिखर सम्मेलन की संयुक्त घोषणा “द स्पिरिट ऑफ द क्वाड” में लोकतंत्र के लिए प्रतिबद्धता, रूल बेस्ड आर्डर, और इंडो-पसिफ़िक रीजन की सुरक्षा और समृद्धि को सुनिश्चित करना बताया गया।
क्वाड देशों के पिछले महीने टोक्यो में संपन्न हुए शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने अपने उद्घोषण में कहा क़ि क्वाड ने अपने छोटे से इतिहास में जो परस्पर विश्वास और सहयोग हांसिल किया हैं। वह इन देशों के लोकतान्त्रिक मूल्यों को एक नई ऊर्जा प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘क्वाड’ के स्तर पर हमारे आपसी सहयोग से मुक्त, खुले और समावेशी’ इंडो पसिफ़िक का निर्माण होगा। इसके साथ साथ एक आर्थिक फोरम बनाने की भी घोषणा की गयी।
क्वाड देशों के साथ भारत के रिश्ते कई मायनों में महत्वपूर्ण माने जा रहे है। सबसे पहले, चीन के सैनिक और आर्थिक उदय ने जो एशिया में हलचल पैदा की हैं। इसके साथ ही साथ भारतीय सीमा पर चीन का बढ़ता सैन्य प्रभाव और चीन का भारत के प्रति आक्रामक रवैया हैं। इसलिए, चीन के बढ़ते सैन्य और आर्थिक प्रभाव का मुकाबला करने के लिए, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया से सहयोग महत्वपूर्ण होजाता हैं। दूसरा, आतंकवाद के मुद्दे के पर अमेरिकी सरकार के पाकिस्तान पर लगातार दबाब डालने के बावजूद भी चीन ने हमेशा इस्लामाबाद का समर्थन किया हैं। कश्मीर मुद्दे पर भी चीन हमेशा पाकिस्तान साथ खड़ा नजर आया हैं। जबकि अमेरिका ने यूएनएससी में हमेशा भारतीय स्थिति का समर्थन किया है। एक अन्य क्षेत्र जिसमें क्वाड भारत के लिए हितकर हो सकता हैं। वह है चीन का ‘वन बेल्ट एंड वन रोड इनिशिएटिव’ जो भारत की क्षेत्रीय संप्रभुता को चुनौती देता है। इसी दिशा में ‘मालाबार नेवल’ एक्सरसाइज का विस्तार कर जापान और ऑस्ट्रेलिया को शामिल करना भारत की रणनीतिक और विदेश नीति एक अहम् हिस्सा माना जारहा हैं। भारत क्वाड को एक ऐसे मंच के रूप में देखता हैं जो ना केवल भारत की रणनीतिक स्वायत्तता सुनिश्चित करेगा, अपितु भारत को अपनी सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी का विस्तार करने के लिए भी एक मंच प्रदान करता है।

निष्कर्ष के तौर पर यह कहा जासकता हैं। आने वाले समय में इंडो-पसिफ़िक रीजन की शांति और सुरक्षा भारत क्वाड साझेदारी पर काफी निर्भर करेगी। न केवल भारतीय प्रधानमंत्री मोदी बल्कि जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की सरकारें भी इस स्थिति को भलीभांति समझती हैं। जिसका उदाहरण दो साल में क्वाड के चार शिखर सम्मेलनों का आयोजन करना हैं। जहाँ पर ये देश राजनितिक, रणनीतिक, आर्थिक, सामाजिक मुद्दों पर सहयोग करने के साथ साथ चीन पर दबाब बनाना भी हैं। यही कारण हैं कि चीन ने इसे एशिया का नाटो (मिलिट्री संगठन) मानता हैं। जबकि भारत और दूसरे क्वाड देशो का मानना हैं कि क्वाड अपने लोकतांत्रिक मूल्यों और अंतराष्ट्रीय कानून पर आधारित एक गैर सैनिक संगठन हैं। जिसका मकसद एशिया पसिफ़िक रीजन में शांति और स्थिरता तथा आपसी समझ और सहयोग को बढ़ाना हैं।

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