क्या भगवान है ?

0
221

देश में लॉक डाउन व कोरोना काल चल रहा था | सभी लोग अपने अपने घरो में बंद थे | सारी सडके सुनसान पड़ी थी | केवल पुलिस वाले ही दिखाई दे रहे थे या इक्का दुक्का आवश्यक चीजो को सप्लाई करने वाले वाहन दिखाई दे रहे थे | भोपाल शहर के टी टी नगर में एक छोटे से परिवार में तीन प्राणी रहते थे –पति पत्नि व एक तीन महीने की एक छोटी सी प्यारी सी बच्ची | पत्नि का नाम अनुष्का जो एक प्राइवेट हॉस्पिटल में नर्स थी और उसके पति अजीत एक मजदूर जो एक फैक्ट्री में काम करता था | फैक्ट्री लॉक डाउन के कारण बंद थी पर अनुष्का को हॉस्पिटल में अपनी छोटी बच्ची को पिता के पास छोड़कर जाना पड़ता था |

अचानक अनुष्का मरीजो को देखते देखते कोरोना पॉजिटिव हो गयी और उसको वही हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ा और वह घर नहीं आ सकती थी और अपनी तीन माह की बच्ची को अपना दूध भी नहीं पिला सकती थी | इस बात को देखकर पिता अजीत काफी परेशान हो गया और सोचने लगा कि वह भूखा तो रह सकता है पर वह मासूम बच्ची को कैसे भूखा रख सकता है |उसने घर के सभी डिब्बे टटोले पर वे भी खली निकले | काफी घर को टटोलने के पश्चात उसे एक सैंपल के रूप में एक छोटा सा दूध के पाउडर का पैकेट मिला जो मुश्किल से दो बार ही घोलकर पिलाया जा सकता था ,पर थोड़ी ख़ुशी इस बात की थी उसके पास अभी 250 रूपये थे जो उसे अपनी पत्नि अनुष्का के बेग से मिले थे | उस दिन उस दूध के पाउडर को दो तीन बार घोल कर बच्ची को पिला दिया और उसकी भूख को शांत कर दिया परउसको अगले दिन की चिंता सता रही थी | |उसको उसको अगले दिन की चिंता सता रही थी |

अगले दिन अजीत 250 रूपये लेकर अपनी बच्ची के साथ घर से दूध की तालाश में निकला पर बाजार लॉक डाउन के कारण बंद था पर उसने हिम्मत नहीं हारी | लगभग तीन किलोमीटर पैदल चलकर उसे एक बड़ा सा होटल दिखा दिया | होटल के बाहर दो गार्ड खड़े थे | अजित ने उन्ही खड़े गार्डो से पूछा ,”क्या मुझे इस बच्ची के लिये आधा लीटर दूध मिल सकता है ? मेरी यह बच्ची बड़ी भूखी है और आज सुबह से उसने दूध नहीं पिया चूकी इसकी मम्मी कोरोना के कारण हॉस्पिटल में एडमिट है और घर भी नहीं आ सकती और न ही इसे अपना दूध भी पिला सकती | गार्डो को छोटी मासूम बच्ची को देखकर दया आ गयी | उनमे एक गार्ड होटल के अंदर गया और होटल के मालिक से उस बच्ची व अजीत की घटना सुनाई | होटल का मालिक बाहर निकला और अजित से बोला, “तुम्हे क्या चाहिये ?’” अजित बोला मुझे इस बच्ची के लिये आधा लीटर दूध चाहये | मेरे पास केवल 250 रूपये है |” होटल का मालिक बोला ,” अच्छा आधा लीटर मिल जाएगा पर 200 रूपये लगेगे “|

अजित असमंजस में पड गया और सोचा इतना महँगा दूध | पर दूसरी तरफ उसकी मासूम बच्ची भूख से बिलबिला रही थी,बेचारा मजबूर मजदूर क्या करता | बच्ची को भूख से बिलखता नहीं देख सकता था | उसने 200 रुपए देकर आधा लीटर दूध लेकर घर आ गया उसने दूध को गर्म करके बच्ची को पिलाया और कुछ समय के बाद वह सो गयी | पर अजित को दुसरे दिन की चिंता सताने लगी | वह अगले दिन सुबह उठा और बचे हुये 50 रुपये लेकर बच्ची के साथ दूध की तालश में निकला पर दुबारा से उस होटल पर जाने की हिम्मत न जुटा पा सका क्योकि उसके पास तो केवल 50 रूपये ही बचे थे | फिर उसने सोचा की चलो एक बार जाकर होटल पर कोशिश करता हूँ | अत; अजित हिम्मत बांधकर उसी होटल पर दूध लेने की लिये पहुँचा और होटल मालिक से दूध देने के लिये काफी मिन्नते की और कहाँ,” हजूर मेरे पास केवल 50 रूपये ही है मै बाकी के 150 रूपये लॉक डाउन खुलने के पश्चात दे जाऊँगा |” पर होटल मालिक ने उसकी कोई बात नहीं सुनी और होटल के अंदर चला गया | बेचारा अजित बिना दूध के ही घर की तरफ रुआसा होकर चलने लगा | अजित काफी निराश हो चुका था पर उसने हिम्मत न छोड़ी | अजित जैसे ही आगे एक किलोमीटर आगे बढा तो उसे एक छोटी सी चाय की दुकान दिखाई दी | चाय की दुकान देखते ही उसके मन कुछ आशा की किरण जगी पर इस चाय की दुकान पर चार पांच पुलिस वाले चाय पी रहे थे | पुलिस वालो को देखकर अजित डरने लगा और सोचने लगा कि ये पुलिस वाले लॉक डाउन के नियम तोड़ने के कारण मेरे ऊपर जुर्माना न कर दे और जेल में बंद न कर दे | उसके पास तो केवल 50 रूपये ही है पर वह बड़ी हिम्मत करता हुआ पर साथ में डरता हुआ चाय वाले की दुकान पर पंहुचा | अजित पुलिस वाले से नजरे चुराते हुए चाय वाले से बोला,”मेरी छोटी सी बच्ची भूखी है और उसकी मम्मी हॉस्पिटल में कोरोना के कारण एडमिट है जो की मेरी पत्नि है  पंचशील हॉस्पिटल में नर्स है | मुझे इस बच्ची के लिये आधा लीटर दूध चाहिए | मेरे पास केवल 50 रुपये ही बचे है |” चाय वाले को उस पर कुछ दया आ गई क्योकी उस चाय वाले की भी एक छोटी सी  बच्ची थी जो कि वह अपने माँ के पास ठीक प्रकार से रह रही थी | चाय वाला अपने खोखे के अंदर गया और एक प्लास्टिक की थैली में लगभग एक लीटर दूध भर कर ले आया और बड़ी सहानुभूति दिखाते हुये अजित को दे दिया | अजित ने भी अपनी जेब से 50 रुपये का नोट चाय वाले को देने लगा पर चाय वाले ने वह 50 का नोट नहीं लिया और बोला,मै जानता हूँ कि तुम्हारे पास केवल 50 रूपये ही बचे है और मुझे ऐसा महसूस और दिखाई दे रहा की तुमने भी खाना नहीं खाया है | चाय वाले फिर दुबारा से अपने खोखे के अंदर गया और अपना टिफन खोला और बोला,” इस टिफन में चार रोटी आई है ,दो रोटी तुम खाओगे और दो रोटी मै खाऊंगा “|  चाय वाले ने जबरदस्ती अजित को अपने पास बैठा लिया और उसको भी रोटी खिलाई | रोटी खाने के पश्चात चाय वाला फिर अपने खोखे के अंदर गया और एक गत्ते के कार्टन में कुछ बिस्कुट और नमकीन लाया और जबरदस्ती अजित के हाथ में थमा दिया |

यह सब कुछ पुलिस वाले देख रहे थे | उनमे से एक पुलिस वाला उठा और पुलिस वैन की तरफ जाने लगा | अजित यह देखकर घबरा गया और सोचने लगा कही ये पुलिस वाला मेरा चालन न काट दे और मुझे जेल में न भिजवा दे | परन्तु जब वह पुलिस वाला अजित के पास आया तो उसके हाथ में भी एक डिब्बा था जिसमे शायद कुछ फल आटा दाल व कुछ खाने का सामान  था अजित को दे दिया और उसको पुलिस वैन में बैठा कर उसके घर पर छोड़ कर आया | साथ में अपने जेब से एक पांच सौ को नोट निकाल कर अजित को दिया | अजित को अब विश्वास हो गया कि भगवान अवश्य है जो सबकी रक्षा करता है और उसके खाने पीने की भी व्यवस्था भी करता है | भले ही मैंने अभी तक भगवान नहीं देखा पर आज मैंने चाय वाले और पुलिस के रूप में भगवान् के दर्शन कर लिये है | कुछ दिनों के पश्चात उसकी पत्नि कोरोना से मुक्त आ गयी और फिर से अपने घर व हॉस्पिटल आने जाने लगी |

आर के रस्तोगी

Previous articleराम की अदालत में कुत्ते की फरियाद ।
Next articleऊर्ध्व उठ देख हैं प्रचुर पाते
आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here