आसान नहीं होता।।

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खुद जहर पी कर भी,
दूसरों को अमृत पिलाना ,
आसान नहीं होता।

खुद घुट -घुट कर रोना ,
दूसरों के चेहरे पर ,
मुस्कुराहट लाना ,
आसान नहीं होता ।

खुद पत्थर खाकर भी,
दूसरों को फल देना,
आसान नहीं होता।

हमेशा हां ही करना ,
कभी किसी भी काम को,
मना नहीं करना,
आसान नहीं होता ।

खुद वहीं खड़े रह जाना
आगे और आगे बढ़ने के लिए, दूसरों को रास्ता देते रहना,
आसान नहीं होता ।

हमेशा मुस्कुराते रहना,
मुस्कुराहट के पीछे ,
अपने हर दर्द को छुपा लेना ,
आसान नहीं होता।

दूसरों की खुशी में ही,
अपनी सभी खुशियों की,
तलाश कर लेना,
आसान नहीं होता ।

वे जैसा कहते हैं ,
ठीक वैसा ही करना ,
फिर भी झिड़कियां खाते रहना, आसान नहीं होता ।

अपने घर की चारदीवारी को ही, दुनिया समझ लेना ,
आसान नहीं होता।

इसकी,उसकी ,सबकी,
फिक्र करना और
अपने आप को ही भूल जाना, आसान नहीं होता।

घर में हमेशा रोशनी बनी रहे,

अपने आप को दिये -सा जलाना,

आसान नहीं होता ।

परिवार के उलझे सवालों को, सुलझाते -सुलझाते ,
जिंदगी खपा देना,
आसान नहीं होता ।

घर में कभी पिता का,
कभी पति का, कभी बच्चों का,
इंतज़ार करना,
इंतज़ार में ही जिंदगी बिता देना,
आसान नहीं होता।

जो गलती नहीं की कभी,
उसके लिए भी खुद ,
औरों से बार-बार पूछना ,
मुझसे क्या गलती हुई,
मुझसे क्या गलती हुई ,
लगातार बार-बार,
शारीरिक मानसिक,
पीड़ा सहन करना,
आसान नहीं होता।।

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