बारिश हो इतनी,कि सब नफरते धुल जाये

0
133

बारिश हो इतनी,कि सब नफरते धुल जाये |
आपस के हमारे सब गिले-शिकवे धुल जाये ||

इन्सानियत तरस गयी है,अब मोहब्बत के शैलाब को |
मन-मुटाव को छोड़ कर एक दूजे के गले मिल जाये ||

फट गये है जो दिल,आपस के मन मुटाव से |
सिलाई कभी न उधडे,ऐसे वे अब सिल जाये ||

अमन चैन हो दुनिया में,दुश्मनी किसी से न हो |
दोस्ती के सभी दरवाजे,सभी के लिये खुल जाये ||

जाति-धर्म का कोई भेद न हो,बस एक हिन्दुस्तान हो जाये |
सियासत अब बंद हो,सभी एक दूजे की पार्टी में मिल जाये ||

गुजारिस है रस्तोगी की सभी से,सब एक हो जाये |
फिरका परस्ती छोड़ कर,सब आपस में मिल जाये ||

आर के रस्तोगी 
मो 9971006425

Previous articleआज तक भटकती ये जाति
Next article“पूजा किसकी, क्यों व कैसे करें?”
आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here