बसे है दिन रात जो दिल में मेरे

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बसे है दिन रात जो दिल में मेरे | 
उनका नाम अब बताऊं मै कैसे ||

जो बिल्कुल बोलते नहीं है |
उनसे बात बताऊँ मै कैसे ||

चुरा ली नींद है रातो की जिसने |
उनका ख्वाब अब दिखाऊं मै कैसे ||

तडफा कर चल दिए मुझको |
उन्हें याद अब दिलाऊं मै कैसे ||

छोड़ कर चले गये जो राहो में |
उस राह पर अब जाऊं मै कैसे ||

बस गये है जो आँखों में मेरी |
यह काजल अब लगाऊं मै कैसे ||

बस गये है जो जहन मे मेरे |
उन पर गजल सुनाऊं मै कैसे ||

सलवटे पड़ गयी है चादर पर |
उस दास्ताँ को बताऊं मै कैसे ||

जानते है सब कुछ अनजान है | 
हर बात उनसे छिपाऊ मै कैसे || 

आर के रस्तोगी 
गुरुग्राम (हरियाणा)

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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