जिहाद सदैव शस्त्रविहीन समाज को ही निगलता आया है

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– दिव्य अग्रवाल

हमास जैसी गतिविधियां भारत में प्रतिदिन कहीं न कहीं होती रहती हैं बस उनका प्रारूप भिन्न है। हमास द्वारा इजराइल में जब हमला किया गया उस समय नागरिकों के पास हथियार नहीं थे क्योंकि वे सभी नागरिक एक आयोजन में सम्मिलित होने आये थे । अर्थात यदि उन नागरिकों के पास शस्त्र होते तो हमास की क्षमता नहीं थी की वो कोई भी हमला इजराइल के नागरिकों पर कर सके । यही स्थिति भारत में भी है जब गैर इस्लामिक समाज अपने किसी धार्मिक आयोजन में व्यस्त हो और सुरक्षा का कोई साधन उपलब्ध न हो,जैसे शोभा यात्रा,जागरण आदि, तब  मजहबी कट्टरपंथी अपनी जनसंख्या के दम पर निश्चित ही उपद्रव करता है। भारत में मजहबी कट्टरपंथियों के ऐसे अनेकों स्थान बन चुके हैं जिनमे भारतीय सुरक्षा बलों के लिए भी  प्रवेश करना चुनौतीपूर्ण है तो आम जनमानस का क्या ही हाल होगा । जिस प्रकार हमास एवं  मजहबी  कट्टरपंथ के प्रति भारत में  समर्थन जताया जा रहा है वह चिंताजनक है । दिल्ली का दंगा हो या इंटेलिजेंस के अधिकारी अंकित की निर्मम हत्या , कन्हैया का सर तन से जुदा करना हो या मेवात में सनातनी धार्मिक स्थल पर सुनियोजित हमला करना यह सब मजहबी षड्यंत्र का हिस्सा है । वास्तव में यह कहना मुश्किल है की मजहबी कट्टरपंथियों की क्या योजनाएं हैं और उन्हें कब व् किस समय क्रियान्वित किया जाएगा । कश्मीर से लेकर केरल तक , बंगाल से लेकर दिल्ली तक, मजहबी कटटरपंथ ने न जाने कितनी निर्मम हत्याएं की परन्तु पीड़ित समाज के शस्त्र विहीन होने के कारण उचित प्रतिकार न हो सका।  जिसके चलते भारत के चरमपंथियों को न तो कोई भय है,न कोई पश्चाताप अपितु गैर इस्लामिक समाज के शस्त्र विहीन एवं कमजोर होने के कारण,चरमपंथियों के मंसूबे अपने उदेश्य की ओर अग्रसारित हैं। अतः यदि आत्मरक्षा हेतु पीड़ित समाज को अधिक से अधिक वैध शस्त्र लाइसेंस स्वीकृत कर दिए जाए तो निश्चित ही किसी भी अप्रिय घटना का प्रतिकार करने हेतु सभ्य समाज सदैव सक्षम रहेगा और देश के सुरक्षा बलों का साथ दे सकेगा अन्यथा शस्त्रविहीन समाज का नरसंघार न पहले कभी रुका था , न अब और न भविष्य में रुकेगा।

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