जो काय हो रओ

  एक दिना भुंसारें भुंसारें हमाई नातन अखवार उठा लाई और पूंछन लगी”दद्दा जो दो लाख करोड़ कीत्तो होत”हमने कई तुमई बताओ कित्ते हुंइंयें तुम तो सोई तीसरी पाटी में पड़बे जातीं|सच्ची बात तो जा आयेके मोखों खुदई समझ ने परो तो के दो लाख करोड़ कित्ते होत|पांच सात करोड़ तक तो भेजे में घुस जात‌के भौत रुपैया कहाउत पे जे दो लाख करोड़ सुनकें तो माथो चकरा गओ,अकलई गुम हो गई|नातन ने फिरकें जोर मारो केन लगी दद्दा, एक करोड़,दो करोड़ तीन कर्रॊड़..सौ करोड़..एंसई दो लाख करोड़|हमने कई एंसई कैंसे दो लाख करोड़ ठीक सेँ समझाओ बिन्नू कित्ते रुपैया भये|ऊने कछू देर सोचो माथे पे हात फेरत रई फिर मूड़ खुजाउन लगी और केन लगी ,दद्दा दो लाख में एक करोड को गुणा कर देवें सो सही उत्तर आ जैहे,|बिन्नू हतीं तो हुसयार पेले नंबर आऊत तीं क्लास में|हमने कई बात तो ठीक के रईं बिन्नू दो लाख में एक करोड़ को गुणा कर देंहें सो दो लाख करोड़ तो होई जे हें|बा स्लेट ले आई और गुणा करबे बैठ गई|हमें सोई फुरसत सी मिल गई|हमने सोची जा मौड़ी जो प्रश्न काये पूंछ रई|हमने ओई सें पूंछी जो सवाल तुम हमसें काय पूंछ रईं, तुमाई क्लास में इतने बड़े सवाल सोई पूंछे जात का?बा केन लगी आंहां दद्दाई अखबार में लिखो है और ऊने अखवार मोरी तरफे सरका दओ| फिर ऊ जगा अपनी तनक तनक सीं उंगरियां धर दईं जहाँ दो लाख करोड़ लिखो तो|कन लगी दद्दा देखो जो लिखो|  हमने देखो के एक खबर छपी ती के इसरो घुटाला में सरकार खों दो लाख करोड़ की चपत| हमने पूरी खबर पढ़ डारी|अब मूड़ खुजाबे की मोरी बारी ती|सच्चऊं जो दो लाख करोड़ आय का,कीत्ते रुपैया होत|आजकाल तो रोजई घुटालों की खबर आउत रेत|’छियासठ हजार अरब डालर’सुनकें दिमाक चकरा जात|सुनत हैं के इत्ते रुपैया अपने इते के बड़े नेतन अफसरन,और उद्योग पतियन के विदेशी बैंकन में धरे हैं|मोखों इतिहास की खबर आ गई प्लासी के युद्ध के बाद अंग्रेज सेनापति लार्ड क्लाइव आठ सौ पानी के जहाजों में इते को माल लूटकें इंग्लेंड ले गओ तो| क्लाइव तो विदेशी हतो इते को माल अपने देश में ले गओ,राज धर्म निभा रओ तो पे इते अपनेई भैया हरें इते को माल लूटकें विदेशी बैंकों में काय धर आये जा बात समझ मेंई नईं आई|टूजी स्पेक्ट्रम घुटाला एक लाख सत्तर हजार करोड़ को कामन वेल्थ गेम घुटाला जाने कित्ते लाख करोड़ को हुइये अबे कौनउं खों ठीक सें पता नईं लग पा रओ |पे  शेरनी को दूध पीबे बारो ऊ आदमी  कित्तो बहादुर हुइये जोन बज़ार में बिक्री भाव सें  चौदा गुने दाम में किराये सें सामान ले आउत|15मार्च को दैनिक भास्कर हाथ में लेकें बैठे हैं जीमें लिखो है जोन चीजें बाजार में दो करोड़ अस्सी लाख में आराम सें खरीदीं जा सकत तीं बे चीजें ब्यालीस करोड़ चौंतीस लाख में किराये सें लईं गईं|ऐंसॆ करतब देखकें मोंसें निकर परत के जो काय हो रओ|अंदाज लगा लो के कामन वेल्थ घुटालो कित्ते को हुइये|         एक दिना हम सोई हिसाब लगाबे बैठ गये के दो लाख करोड़ किते हुंइंयें|बचपन में पढ़ी गिनती याद करी‍‍..इकाई, दहाई, सैकड़ा ,हजार, दस हजार, लाख, दस लाख, करोड़ ,दस करोड़,अरब, दस अरब, खरब, दस खरब,नील, दस‌ नील, पदम,दस पदम ,शंख,दस शंख|बस इत्तई पढ़ी ती,ईके अंगारूं हती ने सो कहां सें पढ़ते|दो लाख करोड़ मतलब दो लाख में एक करोड़ को गुणा[200000गुणे10000000]बराबर 2000000000000 मतलब बीस खरब रुपैया भये|इते सारे रुपैया भैया  हरें सरकारी खजानें सें खा गये|ऐंसई हिसाब लगाओ के टूजी स्पेक्ट्रम घुटाले में सत्तरा खरब रुपैया लील लये गये|जोई समझ में नईं आउत के जोन रुपैयों को आंकड़ो पढ़बे सुनबे तक में अटपट्टो सो लगत इते रुपैया लोग कैंसें खा जात| धांधली आय मची| जी की मरजी में जो कछु आउत सो करत रेत| जे तो ऐंसे घुटाले आयें जोन को हो हल्ला हो गओ और मीडिया बारे उचकन लगे विरोधी दल ऊधम करन लगे|ऐसे घुटाले तो रॊजई होत रेत जोन पकड़े नईं जात|लोग बाग बस खाबेई में लगे हैं,सड़क बनाबे‍ में खा जात,पुल बनाबे में खा जात,रेल चलाबे में खा जात मकान बनाबे और गिराबे में खा जात|ऐसो लगत है के पूरे देश में खाबे की होड़ मची होय|  जा बात तो ठीक आये के भगवान ने आदमियन खों बनाओ है के बे खाबें और अच्छे काम करें| पे रोटी खाबे खों बनाओ है पैसा खाबे खों थोड़ी बनाओ|खूब काम करो और जिंदा रेबे के लाने खाओ|   पे भैया हरें तो पैसई पैसा सूंत रये|जहां मौका मिलो सो खाओ|कछू जनों ने तो गैयों  भैंसों को चारो तक खा लओ,कौनऊं कौनऊं ने तारकोल पी लओ कौनऊं ने तोपें खा लईं और कोऊ कोऊ तो मरे सैनिकों के ताबूत तक खा गओ|तनक सी सरम भी नईं लगी|मजा जो  है के इन खबैओं को कछू होत सोई नई‍यां|खा पी कें मस्त डरे हैं|कहूं दूध पीकें दंड पेल रये कहूं दारू पीकें मुर्गा सूंत रये|कहूं धोके धंधे में पकड़े गये सो का होत जमानत तो मिलई जात|कछू दिना कोरट कचेरी हुईये फिर मूंछों पे ताव देकें छूट के बाइज्ज्त घरे आ जात|कौनकी बौ ने दूध पिआओ के इन पैसा डाकारबे बारन को बाल बांको कर सके|अपने देश के संविधान में सोई बड़े चोरन डाकुअन खों बचाबे को पूरो पूरो तरीका बताओ गओ है|मजाल है के कौनऊं अरबपतियों खों जेल की सजा दे पाये|हां गरीबन कमजोरन खों जरूर मुतकीं धारायें बनी है|बे जुर्म कर हें तो सजा तो हुईये|जिनके लिंगा पैसा नईयां जिनको कौनऊं धनी धोरी नईंयां उनखों तो जेल जानेईं पर हे| क्छू दिनों की सजा सें लेकें फाँसी तक को प्रावधान इनके लानें करो गओ है|छोटी मोटी घूस खाबे बारों खों थाने और कोर्ट के रस्ता से जेल भेजो जात है|पे जोन अरबों खरबों रुपैया खात हैं उनके बचाबे के लाने आयोग बिठारो जात है|आयोगों की जाई कोसिस रेत है के बड़े नाजो नखरे में पले पुसे जे बड़े आदमी केंसऊ कें छूट जांयें|कहूं कहूं तो आयोग मुजरिमों खों छोड़बे के लाने प‍ंदरा बीस साल तक बैठे  रेत|इत्ते साल में कछू मुजरिम तो मर खप जात हैं और बाकी के खिलाफ सबूतई नईं मिलत|कबऊं ऐसो सोई होत के कौनौ कर्रो आयोग जुरम सिद्ध करबे की ठान लेत है सो ऊके ऊपरे एक आयोग और  बिठा दओ जात और ऊ जब तक बैठो रेत है जबतक मुजरिम बेगुनाह ने सिद्ध हो जायें|  कबहूं कबहूं छोटे कोर्ट बड़े मुजरिमो खों सजा देबे की कोसिस तो करत हैं पे हमाओ लोकतंत्र इत्तो मजबूत है के बड़े बदमासन खों छोड़बे के लाने बड़े कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट बना दये हैं जहां जाकें ये बिचारे बड़े चोर बेदाग छूटा जात हैं,आखिर समाज में इनकी इज्ज्त को सवाल सोई रेत है|सरकार सोई इनको मामला इत्तो कमजोर बनाउत है के कोर्ट चाहकें भी इनखों सजा नईं दे पाउत|सोने को अंडा देबे बारी मुरगी खों को मारो चाहत|मिलजुरकें खाबे में जोई तो फायदा रेत|कोऊ बीस खरब रुपैया अकेले थोड़ी खा सकत|मिलजुर कें खाओ और जब हल्ल भओ सो सबरे एक दूसरे के लाने बचाबे खों ठाँड़े|ऐसे खाबे को मजई  अलग है ईमें समाजवाद धर्म निर्पेक्षता और विकास की तरपे बढ़त जा रये आधुनिक भारत के दर्सन होत रेत|बीसवीं सदी के मध्यकाल तक तो सोनों चाँदी और लूट पाट को माल धरती में गाड़ के धर दओ जात तो पे ऊमें जा दिक्कत हती के कहूं कौनऊं खों भनक पर गई सो सबरो माल असबाब खोद कें ले उड़त तो और धनी धोरी हाथ मलत रे जात तो|ई मुसीबत को तोड़ विदेशी बैंकन ने निकार दओ |जित्तो चाहो सो धर आओ|स्विस बैंकों ने तो खुली छूट दे दई जित्ते चाहे बच्चा पैदा करो कोऊ खों असली बाप को नाव पता ने पर है,हां कोख को मनमानों किराओ देने पर हे|बस ऐईके भरोसे अरबन खरबन स्विस बेंकन में धरे|कोऊ पुछैया नईयां|अपने देश की व्यवस्था सोई इन खरबपतियों की सहायता करत रेत|इन व्यवस्थापकों से पूंछो काये व्यवस्थापकजी  विदेशों में धरो जो बेईमानी को धन काये नईं बुला लेत जोन इत्तो जादा है के ई देश की सबरी गरीबी दूर हो जेहे तो वे केत हैं के ऐसें कैसें बुलवा लेवें बेईमानी की महनत को पैसा आये फिर जे बेईमान अपने देश केई तो आंयें|फिर इत्ती सी बात के लानें विदेशों सें संबंध काये खराब करें|आतंकवादियों ने जब निर्दोषन खों गोलियन और बमों सें उड़ा दओतॊ तो सोई व्यवस्थापकों ने एक पते की बात कैई ती के जोन निर्दोष मारे जा रये हैं वे तो अपने देश के आंय आंय पे आत‍कवादी सोई ऐई देश के आंय|बात तो सांची कई के जब मरबे बारे और मारबे बारे ऐकई देश के आंये तो फिर कायखों कोऊ खों सजा मिले| डाकू और चोरन के लाने सोई जोई नियम लागू होत|लुटबे बारे और लूटबे बारे दोई ऐई देश के आंये सो लुटेरों खों काये की सजा|बात सोई साँची आये जब अपनेई अपनों खों लूट रये हैं और अपनेईं अपनों खों मार रये हैं तो सजा देबे को का मतलब होत|   आजकाल एक नई बात होत जा रई के जब बदमासनों खों मीडिया के सामने लाओ जात तो बे अकड़ कें चलत और हँसत रेत जैसें कॊनऊं बहादुरी को काम कर कें आये हों| पेलऊं तो शरम के मारें मों लुका लेत ते|ईको एक कारण साफ दिखात के टी वी पे उनखों हँसत देखकें हो सकत है के कौनऊं पार्टी को बुलौआ आ जाये के भैया सांसदी की नईं तो विधायकी की टिकिट ले लो और हमाई पार्टी को उद्धार करो| जा बात तो बिल्कुल सांची आये के बड़े घुटाला करे सें इज्जत भौत बड़ जात|अंग्रेजी में ईखों मार्केट वेल्यू केत| अब जीकी जा मार्केट वेल्यू बढ़ गई ऊखों सबरे हांथन हाथ लेत|सैकड़न केमरा ऊकी फोटू खींचबे खों ठांड़े रेत| अखबारन में पेले पेज पे बड़े बड़े अछरन मे ऊको नाम छपत और फोटू छपत|पुलिस बारे सलाम ठोकन लगत|उनें जब कबऊं रिमांड पे लओ जात सो थाने  में सोई उनकी खूब आवभगत होत|दारू मुरगा सब मिल जात|जरूरत भई सो सुंदरी सोई पौंच जात||जनता सोई सॊचन लगत के जो आदमी नेता बनबे लायक हो गओ|उको मंत्री बनबो  पक्को सो हो जात|पूत के पांव पालना में| आजकल हवा सोई भौत कीमती हो गई है|वायुमंडल में रेबे बारीं तरंगों के बाजार मे‍ भ्रष्टाचार  की भारी भरकम स‍भावनाएं हैं|जे तरंगे अरबों खरबों में नीलाम हो रईं|सेटेलाइट के मार्फत मोबाइल और टेलीविजन की तरंगे की बिक्री को जो धंधो अच्छों अच्छों को समझ में नईं आउत|अरबों खरबों के बारे न्यारे हो जात और कछू भनक नईं परत|जो तो मीडिया बारों ने सूंघ लओ सो टू जी स्पेक्ट्रम घुटालो सामने आ गओ नईं तो सत्तरा खरब रुपैया तो हजम होई गये ते|अब तो लगत है के जो जित्तो जादा खा रओ ऊकी उत्तई जादा इज्जत बढ़त जा रई|ऊ महान सें महान होत जा रओ|मों सें जोई निकरत के जो काय हो रओ|सच्चन खों कोऊ पूंछतई नईंयां एबियों चोट्टों और मक्कारन की जै जै कार हो रई|तुलसी बाबा ने पेले के दईती           जो कह झूठ मस्करी नाना|         कलयुग सोई गुणवंत बखाना|| हंस तिनका कूरा कचरा खा रये और कौआ मोती चुग रये|”रामचंद्र कह गये सिया से ऐसा कलयुग आयेगा  हंस चुगेगा दाना चुनका कौआ मोती खायेगा|”  सबरे आदमी पैसों के पीछे दौड़ रये|जीखों जिते मिलो उतईं सूंत रओ|कऊं जमराज मरबे पे संपत्ती संगे ले जाबे की मंजूरी दे बें तो आसमान में पुटरियैं पुटरियां दिखान लग हें|मरबे पे हर आत्मा की कमर मे पुटरियाबंधी रेहे| कछू बड़ी खरबपति आत्माएं तो स्विस बैंकों से अपनो लाकर तक उखाड़ कें ले जेहें|पे जमराज जो होन नईं दे रये|सो अरबपतियों खों सबरो धन बैंकों में छोड़ कें मरने पर रओ| इते रामदेव बाबा सरीखे संत भ्रष्ट नेतन अफसरन और उद्योगपतियन के पीछे डंडा लेकें पर गये हैं,सरकार खों हकाल रये हैं के इनको जोन धन बिदेशन‌ में जमा है निकार कें ले आओ|बात तो सांची आये |बेईमानी सें कमाये जोन अरबों रुपैया बिदेशन में जमा हैं अगर बो हिंदुस्तान आ जाये तो देश की सब गरीबी दूर हो जाय|कौनऊं ने हिसाब लगाओ है के इन रुपैयों खों इते के आदमियों खों बांटो जाये तो हरएक खों कम सें कम एक लाख रुपैया तो मिलई जेंहें|पे बे पैसा आउत कैंसें हैं|बाबा के हाथ मजबूत करबे की बात सोई हो रई जीसें कान पकरकें काम करा सकें|पांव सोई मजबूत करो चईये जीसें बेईमान चोरों खों लात मार कें भगा सकें|   एक बात सोई सोचने परहे के जो भ्रष्टाचार होत कैंसे है|जब देबे बारो देहे जबई तो लेबे बारो ले पेहे|जब कोऊ देहेई ने तो लेबे बारो कैंसे ले पेहे|जा तो आदमियन की चतुरई आये के अपनो काम बनाबे के लाने और जल्दी काम होबे के लाने घूस दे आउत|लेबे बारे की दाढ़ में एक बेरे खून लगो फिर का है बिना कछू लयें दयें कामईं नईं होत|लेबे बारो पेले तो पूंछ हिलाउत फिर गुर्राउन लगत|खैर जो थोड़ो भौत खाबो तो सनातन सें चलो आ रओ|पे अरबों डालर कोऊ ने खाततो| पेलऊं एक कैबत चलतती के जीने धन खोओ ऊने कछू ने खोओ,जीने स्वास्थ खोओ ऊने क्छू खोओ और जीने चरित्र खोदओ ऊने सब कछू खो दओ|अब जा केबत झूंठी सिद्ध हो रई कायेकें जिनके लिंगा धन है उनके सब एब ढंक जात|ई केबत खों सुधार कें केने परहे के जीने धन खोओ ऊने सब कछू खो दओ|अच्छे चरित्र बारों खों को पूंछ रओ|पैसा बारों की जै जै कार हो रई|बे तो भगवान घाईं पुज रये|कित्ते घुटाले कित्ते हवाले कित्ती कबूतरबाजी कित्ती बेईमानी कित्ती धोकेबाजी जे कलजुग के भगवान का नईं कर रये|ब्रह्मा विष्णू महेस बनकें कैसी कैसी लीलायें कर रये|षडयंत्र बेईमानी चोरी डकेती लूटपाट सबमें अब्बल……..|कित्ती कथायें कहें             हरि  अनंत हरी  कथा अनंता 

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प्रभुदयाल श्रीवास्तव
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

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