जंग-ए-आज़ादी की जुबान हिन्दी

—विनय कुमार विनायक
हिन्दी अहसास है अपनापन का,
हिन्दी इन्कलाब है भारतजन का,
हिन्दी सम्मान है निज वतन का,
हिन्दी अभियान है जन मन का!

जंग-ए-आज़ादी की जुबान हिन्दी,
रविन्द्र का जन मन गान हिन्दी,
बंकिम की बंदे मातरम की बोली,
आजाद, भगतसिंह की जुगलबंदी!

बिस्मिल की शेरों-शायरी हिन्दी,
गांधी के जेल की डायरी हिन्दी,
असफाक की जंगी तैयारी हिन्दी,
बाबू कुंवरसिंह की बिहारी हिन्दी!

खुशरो की खुश खबरी ये हिन्दी,
रसखान के रस से भरी है हिन्दी,
जायसी की पद्मावती सी हिन्दी,
रहीमन निजमन व्यथा है हिन्दी!

सूर की माखन मलाई है हिन्दी,
तुलसी दास की चौपाई है हिन्दी,
कबीर दास की तानाशाही हिन्दी,
मीरा बाई ने जो गाई वो हिन्दी!

भारतेंदु की खड़ीबोली है हिन्दी,
मैथिली, अंगिका, बांगला, उड़िया,
असामी, गोरखाली की ये आली,
पूर्वोत्तर की भालो बंगाली हिन्दी!

तेलंगाना की नई जुबान हिन्दी,
आन्ध्र की मुस्कान है ये हिन्दी,
कर्नाटक की कान है यह हिन्दी,
तमिल की तान, धुन केरल की!

राजस्थानी डिंगल-पिंगल बोली,
पंजाबी सबद कीर्तन गुरु वाणी,
गुजराती का पेम छे भी हिन्दी,
मराठी माय बोली सी ये मौसी!

कश्मीर से कन्याकुमारी तक,
हिन्दी का अलख है चकाचक,
हिन्दी उर्दू की है हम प्याली,
मिश्री की डली, गुलाब कली!

हिन्दी भाषा वीर रस में पली,
विद्यापति के श्रृंगार से चली,
हुंकार दिनकर के स्वभूमि की,
ये हिन्दी इसे अपनों ने छली!
—विनय कुमार विनायक
दुमका, झारखण्ड-814101.

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