आओ बनाए बच्चों को क्रेटिव

बच्चे मन के सच्चे – बच्चे मन के सच्चे , सारे जग की आंख के तारे ये वो नन्हें फूल हैं जो भगवान को लगते प्यारे जी हां बच्चे तो हमेशा ही मन के सच्चे रहें हैं उन्हे कोई बल या छल नहीं आता… आप उन्हें जिस रंग में रंग देते हैं …वो उसी रंग में रंग जाते है…आप सोच रहें होंगे कि हम बच्चों पर ही बातें क्यों किए जा रहें हैं .तो बात ही कुछ ऐसी है कि जो बच्चों से सम्बन्ध रखती है…आज कल के बच्चे …जो हमेशा कम्पयूटर और टी वी से चिपके रहते हैं …जो तरजीह देते हैं तो सिर्फ टी वी और कम्पयूटर से गेम खेलने को …कम्पयूटर से हटते हैं तो वो टी वी देखने लगते है …इससे न तो उनकी क्रेटिविटी बढ़ती है…बल्कि ये मासूम हो जाते हैं कई बिमारियों के शिकार ।

हम उन्हें ऐसा क्या सिखाए जिससे कि उनकी सृजन शक्ति बढ़े और वो हमेशा कुछ नया करने के लिए तत्पर रहें । अगर आप चाहते हैं कि आप के बच्चे कुछ हट के करें तो उन्हें सृजनात्मक कार्य की और प्रेरित करें…जिससे कि वो कुछ नया सीख सकें। मेरे देश की धरती सोना उगले …उगले हीरे मोती जी हां ये धरती वाकई सोना उगलती है जो सारी दुनिया का पेट भरती है…धरती को मां का दर्जा ऐसे ही नहीं दिया गया…इस धरती पर ही खेल कूद कर हम जवान हुए हैं…भई इस मिट्टी में बड़े ही गुण है फिर हम अपने बच्चों को मिट्टी से क्यों नहीं खेलने देते…वैसे तो घरों में आज कल मिट्टी मिलेगी ही नहीं …अगर भूल से बच्चों का कही मिट्टी हाथ लग भी जाए तो हम बच्चों के हाथ कई कई बार धुलवाते हैं कि मिट्टी मे कीटाणु होते हैं…इसलिए बच्चों को मिट्टी से कोसों दूर रखा जाता है…मगर क्या आप जानते हैं कि इस मिट्टी से भी बच्चे बहुत कुछ सीख सकते हैं…जिसकी आप कभी कल्पना भी नहीं कर सकते… उन्हें आप जरा मिट्टी से खेलने तो दीजिए…पहले क्या होता था बच्चे रेत या मिट्टी में खूब खेलते थे …रेत और मिट्टी से खेलते हुए वो मिट्टी के ढेर में पैर रख कर उसे ऊपर से हाथ से थपथाते थे… इस तरह बच्चे घर घर बना कर खेलते थे…ऐसा करने में उन्हें खूब मजा आता था…ये तो थी बच्चों की कल्पना की बात …अगर आप भी चाहते हैं कि आपके बच्चे क्रेटिव बने तो उन्हें मिट्टी से खेलने दीजिए …आप उन्हें मिट्टी के खिलौने बनाना सिखा सकते हो …. जैसे घर में उपयोग होने वाले बर्तन गलास , कटोरी, कप प्लेट यहां तक कि मिट्टी का ट्रैक्टर ट्राली भी बना सकते हैं…गलास बनाना तो बेहद आसान है गूंदी हुई मिट्टी को हाथ से जमीन पर बेलन की तरह बेल लें और अब अंगूठे से गलास को आकार दे दें। इस तरह गमला बनाना भी बड़ा आसान है गमले के लिए मिट्टी को चोरस आकार दें और जमीन पर ही इसे चोरस बना लें अब हाथ के अगूंठे से गमले को आकार दें…यानि कि गमले का मुंह बना लें…तो लीजिए गमला और गिलास तैयार हैं और अब इन्हें धूप में सुखाने के लिए रख दें…कटोरी बनाना भी बड़ा आसान है कटोरी बनाने के लिए मिट्टी को पेड़े की तरह बनाए फिर पेड़े की तरह गोल हुई मिट्टी को आकार देते हुए उसे अंगूठे से ही आकार दें …लीजिए कटोरी भी बन कर तैयार है पलेट बनाने के लिए भी मिट्टी को पेड़े की तरह गोल कर लें अब हाथ से रोटी की तरह इसे दोनों हाथों से थपथपा लें अब इसे जमीन पर रख कर झाड़ू की सींख से इसके चारों और बेल बना लें या अपनी पसन्द का फूल ।लीजिए हो गई प्लेट भी तैयार । इस तरह बच्चों को मिट्टी में खेल कर तो आनन्द आता ही है…वहीं वे खेल खेल में कई चीज़ें बनाना सीख जाते हैं …जिससे बच्चों की सृजन शक्ति तो बढ़ती ही है वहीं छिपी प्रतिभा भी उभर कर सामने आती है।

माएं तो अपने बच्चों को क्रेटिव बनाने में अहम रोल अदा कर सकती हैं आप पूछेंगे कि वो कैसे…जब बहनें रोटी पकाती हैं तो बच्चों को आटे के साथ खेलना सिखा सकती हैं हमारे कहने का मतलब है वो आटे से बहुत सी वस्तुएं बनाना सिखा सकती हैं…जैसे चिड़िया , कबूतर , बैट , बॉल न जाने और क्या क्या बॉल बनाने के लिए तो सिर्फ गोल पेड़ा करने की जरूरत भर है इस तरह चिड़ियां बनाने के लिए गोल पेड़ा कर लें … ये पेड़ा तो बन गया चिड़ियां का पेट और अब गोल हुए आटे से चिड़ियां की चोंच बना लें और इसी तरह पूंछ…अब इन बने हुए इन खिलौनों को आप तवे पर सेक भी सकते हों…इस तरह हर रोज आप अपने बच्चों को कुछ नया सिखा सकोगे और बच्चों में कुछ नया सीखने की ललक भी पैदा होगी। हो गया न आटे के साथ खेलना और खेल खेल में कुछ नया सीखना ।

ये तो था आटे के साथ खेल खेल में कुछ नया सीखने की बात…भई गुड्डे गुड्डियों का खेल तो बचपन में हर किसी को भाता है मैं तो भई खूब खेलीं हूं इन गुड्डे गुड्डियों के साथ…गुड्डे गुड्डियों को बनाना भी है बेहद आसान …इसके लिए जरूरत होती है तो सिर्फ एक झाड़ू की सींख और घर में पड़े फटे पुराने कपड़ों के टुकड़ों की..झाड़ू की सींख का मोटा सिरा बीच से तोड़ ले इस पर कपड़े के छोटे छोटे टुकड़ों को तब तक लपेटते रहें…जब तक वो आपकी ऊंगली जितना मोटा न हो जाए… जब ऊंगली जितनी मोटी सींख हो जाए तो अब स्कैच पैन से गुड्डियां का मुंह बना लें …और अब सुन्दर से कपड़े की गुड़ड़ियां को साड़ी भी पहना दीजिए …इस तरह बना लीजिए गुड्डा । इससे बच्चों को बनाने में तो मजा आएगा ही ……वहीं वे महंगे खिलौनों के लिए भी जिद्द नहीं करेंगे।

भई ये तो थी हाथों की कलाकारी की बात … अब बात करते हैं घर में पड़े फालतू गत्ते की …जो घरों में आम पड़ा मिल ही जाता है इस गत्ते से भी बड़ा कुछ सीखा जा सकता है…इस गत्ते को बेकार में फेंकने की बजाए ..क्यों न कुछ नया सिखाया जाए बच्चों को कुछ हुनर…जो उनके आगे आने वाले जीवन में काम आएगा..गत्ते पर कई कला कृतियां उकेर कर कुछ नया बनाना बच्चों को सिखाया जा सकता है …इस गत्ते से आप झोपड़ी, मेज , कुर्सी मुखौटा भी बना सकते हैं….मुखौटा बनाना तो बेहद आसान है… मुखौटे के पहन कर तो बच्चे बेहद खुश होते हैं …इसे बनाना बहुत ही आसान है गत्ते का एक चोरस टुकड़ा ले लें अब इसके चारों कोनों को गोल काट लें अब इस पर शेर या बिल्ली का चित्र बना ले और देखने के लिए सिर्फ आंखों वाला हिस्सा काट लें ।अब मुखौटे को बांधने के लिए रबड़ की जगह आप पिछले हिस्से के दोनों और छोटा सा छेद कर इसमें मोटा धागा डाल सकते हो … इसे पहन कर तो बच्चों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता…मेज , कुर्सी बनाने के लिए भी चोरस गत्ते के टुकड़ों की जरूरत होती है। मेज को तैयार करने के लिए भी चोरस गत्ता काट लें… अब मेज का ऊपर वाला हिस्सा तो तैयार हो गया …आप मेज की टांगे लगाने के लिए झाड़ू की सींख का इस्तेमाल कर सकतें हो…मेज पर डिजाइन बनाने के लिए आप गत्ते के चारो और बेल बना सकते हो…अब आपकी मेज भी बन कर तैयार हो गई …मेज के अलावा न जाने कितनी ही वस्तुएं आप गत्ते पर बच्चों को बनाना सिखा सकते हैं….जरूरत है तो बस बच्चों का हौंसला बढ़ाने की…उन्हें शाबाशी देने की…फिर देखिए आपके बच्चे की कला को कैसे पंख लगते हैं और बच्चों की छिपी प्रतिभा उभर कर सामने आती है ।

परमजीत कौर कलेर

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