लगाये कितने क़यास,
जानने अपना सकाश;
उड़ने आकाँक्षा का आकाश,
अथवा पाने कुछ अवकाश !
जानने निज इतिहास,
पहचानने मृदु हास;
करने कभी अट्टहास,
जानने अपना अहसास !
आम्र मुकुल का सुहास,
भ्रमर का बढ़ता साहस;
करा देता कुछ प्रयास,
दिखा देता आत्म प्रकाश !
आशाओं से भरा सन्देश,
आलोकित होजाता अनायास;
आलोक का लोक आवास,
लोकातीत को दे जाता सुवास !
उद्घोष से उत्प्रेरित श्वाँस,
बदल जाती शरीर का लिवास;
‘मधु’ का बढ़ जाता विश्वास,
त्रिलोकी में हो जाता निवास !