श्री देवी के अंतिम वाक्य

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संसार एक थियेटर घर है
अनेको पात्र इसमें आते है
अपना अपना रोल निभा कर
अपने घरो को चले जाते है

मैं भी इस थियेटर घर में
अपना रोल निभाने आई थी
मेरा रोल अब खत्म हुआ
घर जाने की बारी आई थी

 

डायरेक्टर ऊपर बैठा हुआ है
सबको डायरेक्शन दे रहा
डायरेक्शन के मुताबिक ही
पात्र अपना रोल कर रहा

पात्र उसकी कठपुतलिया बनी
सबकी डोर उसके हाथ में है
किसको कैसे  नचाये वो
सब कुछ उसके हाथ में है

बोनी एक सफल डायरेक्टर है
एक पति का भी रोल निभा रहे
देखो ये उनका डबल रोल है
कितनी बखूबी से उसे निभा रहे

कर देना क्षमा अब मुझको
अगर गलती की कोई मैंने
स्वीकार करना प्रणाम मेरा
ये अंतिम प्रणाम है तुमको

हो सकता है कभी मैंने
दिल दुखाया हो तुम्हारा
मुझको गले लगा लेना तुम
ये अंतिम मिलन हो हमारा

मत कुरोदो मेरे जीवन को
न अब उसका ध्यान करो
जो होना था सो हो गया
मत मेरा अब अपमान करो

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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