आओ सब मिलकर नव वर्ष मनाएं

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आओ सब मिलकर नव वर्ष मनाएं
सुखद हो जीवन हम सबका
क्लेश पीड़ा दूर हो जाए
स्वप्न हों साकार सभी के
हर्ष से भरपूर हो जाएं
मिलन के सुरों से बजे बांसुरी
ये धरती हरी भरी हो जाए
हों प्रेम से रंजीत सभी
ऐसा कुछ करके दिखलायें
आओ सब मिलकर नव वर्ष मनाएं ||
हम उठें व उठावें जगत को
सृजन का सुर ताल हो
हम सजग हों
सुखद हो जीवन हमारा
उच्च उन्नत भाल हों
अब न कोई अलगाव हो
बस जोड़ने की बात हो
बढ़ न पावे असत हिंसा
शान्त सुरभित प्राण हों
सतत प्रयास और लगन से ही
हम अपना हर कदम बढ़ाएं
आओ सब मिलकर नव वर्ष मनाएं ||
मित्र सखा सत्कार करें सब
जगत तुम्हारा यश गाए
गुलशन सा महके सबका आंगन
हर घर मंदिर सा पावन हो जाए
बह उठे प्रेम की मन्दाकिनि
मन में मिसरी सी घुलती जाए
सबके आँगन हों सुखद सगुन
कोकिल पंचम स्वर में गाए
भूखा प्यासा रहे न कोई
घर घर समता दीप जलाएं
आओ सब मिलकर नव वर्ष मनाएं ||


प्रभात पाण्डेय

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