इश्किया शायरी- फेसबुक पर

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facebookफेसबुक पर लगा है इश्क का बाज़ार,

दो रुपये मे ढ़ाई किलो आज का है भाव,

कवि मित्र लिख रहे हैं मधुमास के गीत,

कवियत्रियों को भी किसी का इंतज़ार है।

इश्क के बाज़ार मे माल बहुत पड़ा है,

कविता ग़ज़ल शायरी सबकी भरमार है,

लूटलो कंमैंट बेशुमार भरलो झोलीयाँ ,

लाइक की बात क्या, झमाझम बरसात है।

इश्किया कविताये लिख लिख कर यहाँ पे,

सैकड़ो कवि लोकप्रिय होते गये फेसबुकी,

इनके बहते आँसुओं पर दोस्त कह रहे है ,

क्या बात है जी, वाह वाह, वाह जी वाह।

फेसबुक पर ये जो इश्क की हवा चली है,

इश्कया तूफान मे उड़ रहा है सबका जिया,

इश्क की गर्मी से चढ़ा गया बुख़ार है।

प्रेम गीत लबों पर हैं ,विरह की रात है,

मिलन होते ही उतरता बुख़ार है।

पत्नी पोस्ट कर दे कविता जल्दी से अब,

क्योकि पति भूखा है, भोजन का इंतजार है,

लेकिन पत्नी को तो अभी,

कंमैंट्स और लाइक्स का इंतज़ार है।

 

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