मनोज कुमार
तीन साल पहले देश ने नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री के तौर पर उम्मीदों के साथ चुना था. देश तब विभिन्न समस्याओं से जूझ रहा था. लोगों के मन में तब की सरकार के खिलाफ आक्रोश था. लगभग निराशा के घोर अंधेरे में भटक रहे लोगों को एक दमदार नेतृत्व की तलाश थी. ऐसे में भाजपा ने नरेन्द्र मोदी को देश के प्रधानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट किया. लोगों को उनमें उम्मीद की किरण दिखी और लगभग तीस साल बाद देश में किसी राजनीतिक दल ने बहुमत के साथ सरकार बनायी तो यह उपलब्धि मोदी सरकार के खाते में जाती है. इन तीन वर्षों में मोदी सरकार को अनेक चुनौतियों और संघर्षों का सामना करना पड़ रहा है. एक तरफ पूर्ववर्ती सरकारों के किए गए कार्य को परिणामोन्नमुखी बनाना था तो दूसरी तरफ स्वयं की जनहित की योजनाओं को देश की जनता के समक्ष इस तरह प्रस्तुत करना था कि लोगों का विश्वास मोदी सरकार पर बनी रहे. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं अत: उनके सामने स्पष्ट था कि देश की करोड़ों जनता की जरूरतें क्या है? उन्हें कैसे पूरा किया जाना है और इसके लिए क्या ठोस कदम उठाये जाएं. यह काम दिखने में जितना सरल और सहज था, वह पूरा करना उतनी बड़ी चुनौती थी. कहते हैं ना कि हौसलों को पंख मिल जाता है सो नरेन्द्र मोदी को देश की जनता का साथ मिला और वे चुनौतियों को धता बताते हुए जनकल्याण की दिशा में आगे बढ़ते दिख रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यों में प्राथमिकता थी देश की महिलाओं को बेहतर जिंदगी मुहय्या कराना. इसके लिए उन्होंने अनेक योजनाओं का श्रीगणेश किया. मोदीजी का मानना है कि समाज में जब महिलाओं को सम्मान और अधिकार दिया जाएगा तभी देश का सर्वांगीण विकास हो सकेगा इस नाते उन्होंने कई ऐसी योजनाओं का सूत्रपात किया जिसके बारे में स्वाधीनता के 70 साल बीत जाने के बाद भी सोचा नहीं गया था. यह उल्लेखनीय योजना है उज्जवला. आमातौर पर भारत के घरों में महिलाओंं के हिस्से में रसोई का काम होता है और रसोई का अर्थ स्वयं को बीमार करना. चूल्हे के समक्ष बैठी स्त्री के फेफड़ों में धुंआ भर जाता है जिससे उसकी तबीयत लगातार खराब होती चली जाती है. ऐसे में महिलाओं, खासतौर पर ग्रामीण महिलाओं को चूल्हे के धुएं से मुक्ति दिलाने के लिए गैस चूल्हा दिलाने की योजना बनायी गई. लक्ष्य था देश की लगभग 5 करोड़ महिलाओं को सुविधायुक्त जीवन देने का. इस क्रम में मोदी सरकार ने लक्ष्य का लगभग 60 फीसदी से अधिक का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है. निश्वित रूप से मोदी सरकार की इस पहल ने महिलाओं को बड़ी राहत दी है.
इसी तरह मोदी सरकार का लक्ष्य देश में बढ़ती लैंगिग विषमता को दूर करना था. इसके लिए वे बेटी बचाओ के पक्षधर तो थे ही, बेटी पढ़ाओ को उन्होंने अपने मिशन में शामिल कर लिया. मोदी सरकार के प्रयासों से भू्रण हत्या के खिलाफ कड़े कानून अमल में लाए गए तो बेटियों को शिक्षित कर उन्हें स्वयं के प्रति जवाबदार और जागरूक बनाने का प्रयास किया गया. बेटियों के शिक्षित होने से न केवल वे अपने प्रति जागरूक हो रही हैं बल्कि समाज को भी जागरूक कर रही है. शिक्षा विकास का द्वार खोलती है और जब बेटियां शिक्षित होती हैं तो समाज और देश शिक्षित होता है. इस तरह मोदी सरकार ने न केवल बेटियों को बचाने का जतन किया बल्कि बेटियों को शिक्षित करने की भी जवाबदारी निभायी. निश्चित रूप से आने वाले समय में बेटियों से गर्व से भर उठेगा समाज.
इसी तरह बेटियों को आर्थिक सहयोग और आत्मविश्वास मिले, इसके लिए भी अनेक किस्म की योजना केन्द्र सरकार ने आरंभ की है. स्टार्टअप में बेटियों के लिए खास प्रयास किए गए हैं. यह सच है कि जो बेटियां घर की जिम्मेदारी सम्हाल सकती हैं, वे अपने उद्योग-धंधे की सफल कप्तान भी बन सकती हैं. आवश्यकता है तो उनके भीतर छिपे उस हुनर को तराशने की जो आने वाले दिनों में उन्हें कामयाब बनाएगी. स्टार्टअप में सरकार ने यही कोशिश की है और परिणाम आने लगा है. महिलाओं में बचत की आदत होती है लेकिन इसे बैंकिंग व्यवस्था से जोडऩे की खास पहल की है. सुकन्या, धनलक्ष्मी नाम से कुछ ऐसी योजनाएं जो महिलाओं को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती हैं. आज की बचत कल का भविष्य, इस बात को महिलाओंं को समझाने में सरकार ने कई कदम उठाये हैं. आर्थिक आत्मनिर्भरता ही महिला सशक्तिकरण की दिशा में केन्द्र सरकार के कारगर उपायों में से एक है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संकल्प लिया है कि स्वच्छ भारत मिशन अक्टूबर 2019 तक पूर्ण होना है. इसके पीछे भी महिलाओं को उन्होंने दृष्टि में रखा है. अब तक अनुभव बताता है कि घर में शौचालय नहीं होने से महिलाओं को खुले में शौच के लिए जाना होता था. कई बार उनकी अस्मिता इस कारण संकट में पड़ जाती थी तो कई बार प्राकृतिक दुर्घटनाओं का शिकार भी होना पड़ता था. घर में शौचालय होने से महिलाओं की निजता पर कोई बाधा नहीं आएगी. इस बात को रेखांकित अवश्य किया जाना चाहिए कि मोदी सरकार की पहल से महिलाओंं में जागृति आई है और शौचालय के पक्ष में उठ खड़ी हुई हैंं. छत्तीसगढ़ राज्य की वृद्व मां ने अपनी जीवनयापन चलाने वाली बकरियां बेचकर शौचालय निर्माण में साथ दिया है. इस तरह तीन वर्षों में मोदी सरकार समग्र विकास के साथ महिला केन्द्रीत योजनाओं को लेकर समाज की दशा और दिशा बदलने में जुट गई है. निश्चित रूप से बदलाव की यह बयार अच्छे दिनों की आहट है.