खास व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति मनोहर पर्रीकर

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 -अनिल अनूप

गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रीकर का रविवार को निधन हो गया। पैंक्रियाटिक कैंसर से पिछले एक साल से जूझ रहे 63 वर्षीय पर्रीकर ने रविवार शाम को अंतिम सांस ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने पर्रीकर के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। केंद्र सरकार ने 18 मार्च को एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। उनका अंतिम संस्कार सोमवार को किया जाएगा। पर्रीकर के निधन से पूरे देश में शोक की लहर है। गोवा में सोमवार को स्‍कूल कॉलेज बंद रहेंगे। मनोहर पर्रीकर का पार्थिव शरीर सोमवार सुबह 9:30 से 10:30 बजे तक पणजी में भाजपा हेडक्वार्टर में रखा जाएगा। उसके बाद 10:30 बजे कला अकादमी ले जाया जाएगा। सुबह 11 से शाम 4 बजे तक आम जनता मनोहर पर्रीकर को श्रद्धांजलि दे सकेंगे।  शाम 5 बजे मनोहर पर्रीकर का अंतिम संस्कार किया जाएगा। पर्रीकर की अंतिम यात्रा में गृह मंत्री राजनाथ सिंह शामिल होंगे।  मनोहर पर्रीकर का जन्म 13 दिसंबर 1955 को मापुसा के एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम गोपालकृष्ण और मां का नाम राधाबाई था। इनका पूरा नाम मनोहर गोपालकृष्ण प्रभु पर्रीकर था। पर्रीकर के एक और भाई अवधूत पर्रीकर भी हैं। उनके दो बेटे हैं। उनकी पत्नी मेधा पर्रीकर की भी मौत कैंसर से ही हो चुकी है। रक्षा मंत्रालय ने भी पूर्व रक्षा मंत्री रहे मनोहर पर्रिकर के निधन पर शोक जताया। गौरतलब है कि पर्रीकर 2014 से 2017 तक देश के रक्षा मंत्री रहे थे।राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पर्रीकर के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। 63 वर्षीय पर्रीकर गंभीर पैंक्रिएटिक बीमारी से जूझ रहे थे। उन्होंने डोना पौला स्थित निजी निवास में अंतिम सांस ली। मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्वीट कर बताया कि डॉक्टरों ने उन्हें बचाने का भरसक प्रयास किया।उल्लेखनीय है कि पर्रीकर पिछले एक साल से बीमार चल रहे थे। पिछले दो दिनों में उनकी सेहत और बिगड़ती चली गई। सेहत बिगड़ने की सूचना मिलने के बाद उनके आवास पर उनके रिश्तेदारों, वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं का आने का सिलसिला शुरू हो गया। राज्य के पुलिस महानिदेशक प्रणब नंदा भी पहुंचे।सादगी, ईमानदारी और मुस्कुराहट भरी भाव भंगिमा मनोहर पर्रीकर की पहचान थी। पर्रीकर के निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह, गायिका लता मंगेशकर, पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, सुषमा स्‍वराज, नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण, थावर चंद गहलोत, मुख्‍तार अब्‍बास अंसारी, मनोज सिन्‍हा, दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, पूर्व मुख्‍यमंत्री शिवराज चौहान, सपा अध्‍यक्ष अखिलेश यादव, शरद यादव, ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया ने भी ट्वीट कर श्रद्धांजलि अर्पित की। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पर्रीकर को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि गोवा और देश के लिए उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। पीएम नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वह एक सच्चे देशभक्त और असाधारण प्रशासक थे। राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा को पीढ़ि‍यों द्वारा याद किया जाएगा। रक्षा मंत्री के रूप में उनके योगदान के लिए देश सदा आभारी रहेगा। जब वह रक्षा मंत्री थे तब भारत ने कई फैसलों को देखा, जिसने भारत की सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाया, स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ाया और पूर्व सैनिकों के जीवन को बेहतर बनाया। राष्ट्र के प्रति उनकी त्रुटिहीन सेवा को पीढ़ियों द्वारा याद किया जाएगा। उनके निधन से गहरा दुख हुआ। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदना। पर्रीकर आधुनिक गोवा के निर्माता थे। अपने मिलनसार व्यक्तित्व और सुलभ स्वभाव की बदौलत वे वर्षों तक राज्य के पसंदीदा नेता बने रहे। उनकी जन-समर्थक नीतियों ने गोवा को प्रगति की उल्लेखनीय ऊंचाइयों को सुनिश्चित किया।भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह ने कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन ही देश के लिए समर्पित कर दिया। पूरी भाजपा पर्रीकर जी के परिवार के साथ है। मैं लाखों भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ और महत्वपूर्ण रूप से गोवा के लोगों के साथ जो उनके परिवार थे, अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। भगवान इस दुखद नुकसान का सामना करने के लिए शोक संतप्त परिवार को शक्ति दे। सुषमा स्‍वराज ने कहा कि मनोहर पर्रीकर के देहांत का समाचार सुनकर बहुत दुःख हुआ। हालांकि वो बहुत समय से बीमार थे तो भी मन इसके लिए तैयार नहीं था कि वह हमें इतनी जल्दी छोड़ जायेंगे। मेरे लिए तो वो भाई की तरह थे इसलिए उनका निधन मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है।राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह  भैया जोशी ने शोक संदेश जारी करते हुए कहा कि गोवा के मुख्यमंत्री और भारत के पूर्व रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर के निधन से एक अध्ययनशील नेता, उत्तम प्रशासक, आदर्श नागरिक और एक निष्ठावान स्वयंसेवक हमने गंवाया है। उनकी दिवंगत आत्मा को सद्गति प्राप्त हो।कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा कि गोवा के सीएम के निधन से बेहद दुखी हूं। वह बीते एक साल से बीमारी से पूरी जीवटता के साथ संघर्ष कर रहे थे। पार्टी लाइन से ऊपर वह सम्मानित नेता थे और गोवा के सबसे अच्छे लोगों में से थे। वह गोवा के सबसे पसंदीदा पुत्रों में से एक थे। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं।  एक साल से पैनक्रियाटिक कैंसर से जूझ रहे 63 वर्षीय मनोहर पर्रीकर सबसे पहले 14 फरवरी, 2018 को बीमार पड़े थे। इसके बाद उन्हें गोवा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। अगले दिन उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल ले जाया गया। कुछ दिनों तक उनका अमेरिका में इलाज चला।पिछले साल 15 सितंबर को उन्हें नई दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती कराया गया। इलाज के बाद पर्रीकर 14 अक्टूबर को गोवा लौट आए थे। उन्होंने 29 जनवरी को गोवा के बजट सत्र में भाग लेने के साथ ही अगले दिन राज्य का बजट भी पेश किया। हाल में गोवा का बजट पेश करने से पहले मनोहर पर्रीकर ने कहा था कि परिस्थितियां ऐसी हैं कि विस्तृत बजट पेश नहीं कर सकता लेकिन मैं बहुत ज्यादा जोश और पूरी तरह होश में हूं। सत्र के अंतिम दिन 31 जनवरी को उन्हें दिल्ली के एम्स में ले जाया गया था। वह पांच फरवरी को गोवा लौट आए। पहले आइआइटी वाले सीएम13 दिसंबर 1955 को जन्मे पर्रीकर ने 1978 में आइआइटी बॉम्बे से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया। वह किसी आईआईटी से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने के बाद देश के किसी राज्य के मुख्यमंत्री बनने वाले पहले शख्स थे। पर्रीकर पहली बार 1994 में पणजी विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए थे। इसके बाद वह लगातार चार बार इस सीट से जीतते रहे।राजनीति में उतरने से पहले पर्रीकर का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से भी जुड़ाव था। वह आरएसएस की उत्‍तर गोवा यूनिट में सक्रिय थे। वर्ष 2000 में वह पहली बार गोवा के मुख्यमंत्री बने। उनकी छवि आम आदमी के सीएम के रूप में थी। अकसर स्कूटी से सीएम दफ्तर जाते उनकी तस्वीरें मीडिया में काफी चर्चित रहीं। हालांकि, उनकी पहली सरकार फरवरी 2002 तक ही चल सकी। पर्रीकर को उनके द्वारा किए गए कार्य और उनकी ईमानदारी के लिए जाना जाता था। एक छोटे से राज्य से अपना राजनीति का सफर शुरू करने वाले पर्रीकर ने अपनी मेहनत के दम पर आज अपना एक नाम बनाया । मनोहर पर्रीकर अंतिम समय तक गोवा के मुख्यमंत्री के पद पर आसीन थे।उन्होंने अपने मुख्यमंत्री पद की शपथ 14 मार्च 2017 को ली। इससे पहले भी वह 2000 से 2005 तक और 2012 से 2014 तक गोवा के मुख्यमंत्री के साथ ही वे बिजनेस सलाहकार समिति के सदस्य भी रह चुके हैं। 2014 में उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देकर भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार में रक्षा मंत्री का पदभार ग्रहण किया। वे पहले ऐसे भारतीय मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने आई आई टी से स्नातक थे।मनोहर पर्रीकर का नाता भारत के गोवा राज्य से है और इनका जन्म इस राज्य के मापुसा गांव में साल 1955 में हुआ था। उनके पिता का नाम गोपाल कृष्ण पर्रीकर और माता का नाम राधा बाई पर्रीकर है। वहीं इस राज्य के लोयोला हाई स्कूल से उन्होंने अपनी शिक्षा हासिल की थी। अपनी 12 वीं की पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने मुंबई में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में दाखिला लिया था और यहां से उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी। वहीं पर्रीकर को हिंदी और अंग्रेजी भाषा के अलावा मराठी भाषा भी बोलनी आती थी।पर्रिकर के गोवा के मुख्यमंत्री बनने के कुछ समय बाद उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई थी। उनकी पत्नी का नाम मेधा पर्रिकर था और पर्रिकर और मेधा की शादी साल 1981 में हुई थी। पर्रिकर के दो बच्चे हैं। जिनमें से पहले बच्चे का नाम उत्पल पर्रिकर है, जबकी दूसरे लड़के का नाम अभिजीत पर्रिकर है। वहीं पर्रिकर के दोनों बच्चों का राजनीति से कोई लेना देना नहीं है। उत्पल बतौर एक इंजीनियर के रूप में कार्य कर रहे हैं, जबकि अभिजीत का खुद का एक व्यापार है।मनोहर पर्रीकर का राजनीतिक सफरपर्रीकर अपने स्कूलों के दिनों से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हो गए थे। अपनी पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने आरएसएस की युवा शाखा के लिए भी काम करना शुरू कर दिया था। वहीं स्कूल से पास होने के बाद उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू कर दी । वहीं अपनी ये पढ़ाई पूरी करने के बाद एक बार फिर उन्होंने आरएसएस को अपनी सेवा देना शुरू कर दिया। जिसके बाद उन्हें भाजपा का सदस्य बनने का मौका मिला और उन्होंने भाजपा की तरफ से पहली बार चुनाव भी लड़ा। भाजपा ने पर्रीकर को साल 1994 में गोवा की पणजी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया। वहीं पर्रीकर को इस चुनाव में जीत मिली। लेकिन भाजपा इन चुनाव में कुछ खास नहीं कर सकी। वहीं पर्रीकर ने गोवा की विधानसभा सभा में विपक्ष नेता की भूमिका भी निभाई हुई है।पहली बार बने गोवा के मुख्यमंत्रीसाल 2000 में गोवा में हुए विधान सभा चुनावों में भाजपा को लोगों का साथ मिला और भाजपा को गोवा की सत्ता में आने का मौका मिला। वहीं सत्ता में आते ही पार्टी ने इस राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर पर्रीकर को चुना। वहीं 24 अक्टूबर को पर्रीकर ने बतौर गोवा का मुख्यमंत्री बन अपना कार्य शुरू कर दिया। हालांकि पर्रीकर के परिवार के हालात उस वक्त सही नहीं चल रहे थे और उनकी पत्नी कैंसर से ग्रस्त थी। पर्रीकर के मुख्यमंत्री बनने के ठीक एक साल बाद उनकी पत्नी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। पत्नी के जाने के बाद पर्रीकर ने गोवा के मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ अपने बच्चों की जिम्मेदारी भी बहुत अच्छे तरीके से निभाई।लेकिन किन्हीं कारणों से उनका ये कार्यकाल ज्यादा समय तक नहीं चल पाया और 27 फरवरी 2002 को उन्हें अपनी ये कुर्सी छोड़नी पड़ी। वहीं 5 जून 2002 को फिर से उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया।मुख्यमंत्री से लेकर देश के रक्षा मंत्री बनने का सफरवहीं साल 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को हार मिली और पर्रीकर को मुख्यमंत्री के पद को छोड़ना पड़ा। जिसके बाद भाजपा को साल 2012 में गोवा में हुए चुनाव में फिर जीत मिली और फिर से भाजपा ने पर्रीकर को मुख्यमंत्री बना दिया। वहीं 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को जीत मिली और पार्टी केंद्र में अपनी सरकार बनाने में कामयाब हुई। वहीं जब देश के रक्षा मंत्री को चुनने की बारी आई, तो भाजपा की पहली पसंद पर्रीकर बने और उन्होंने देश का रक्षा मंत्री बना दिया गया। देश के रक्षा मंत्री बनने के लिए पर्रीकर को अपना मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा और उनकी जगह लक्ष्मीकांत को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया।

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