17 जनवरी 2002 को सिडनी में जब 20 वर्षीय ब्रैंडन मैक्कुलम ने मैदान में प्रवेश किया तो लोग तालियां बजाकर आने वाले इस सितारे का सम्मान कर रहे थे लेकिन मैक्कुलम अपने पहले मैच में कुछ खास नहीं कर पाए और महज 5 रन बनाकर रन आउट हो गए। इस तरह से मैक्कुलम का डेब्यू यादगार नहीं रहा…हालांकि न्यूजीलैंड ने वो मैच 23 रन से जीत लिया था.. लेकिन अभी भी एक सितारे का चमकना बाकी था। अगले ही मैच में मैक्कुलम ने मखाया नतिनी.शान पोलाक स्टीव एलवर्थी और जैक कैलिस जैसे गेंदबाजी आक्रमण के सामने टिककर शानदार 37 रनों की पारी खेली जो बाद में बहुत अहम साबित हुई और न्यूजीलैंड ने साउथ अफ्रीका को रोमांचक मुकाबले में चार विकेट से हरा दिया। ये थी मैक्कुलम के बल्ले की पहली चमक..
वक्त के साथ मैक्कुलम का खेल बदला और वे तेज गेंदबाजों के लिए बेरहम बने गए… उनके पास मैदान के चारो ओर खेलने के लिए सभी शाट थे.. करीब 155 किमी प्रति घंटे की गति से फेंकी जाने वाली गेदों को भी मैक्कुलम बड़ी आसानी से स्वीप कर दिया करते थे।
मैक्कुलम ने जाते –जाते भी खुद को रिकार्ड बुक में दर्ज करा लिया है….दरअसल. मैक्कुलम वनडे क्रिकेट में 200 या उससे ज्यादा छक्के लगाने वालों के विशिष्ट क्लब में शामिल हो गए। मैक्कुलम इस क्लब में शामिल होने वाले ओवरआल चौथे और न्यूजीलैंड के पहले खिलाड़ी बने। मैक्कुलम ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना आखिरी वनडे खेल कर क्रिकेट के इस प्रारुप को अलविदा कह दिया।…वो हालांकि आस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरिज खेल कर अलविदा कह देंगे। ये मैच मैक्कुलम मैक्कुलम के लिए यादगार बना क्योंकि एक तो उन्होंने विश्व कप फाइनल में मिली हार का बदला लिया और दूसरा चैपल डेडली ट्राफी अपने नाम की..
करीब आठ साल पहले फरवरी 2007 में ही न्यूजीलैंड ने आस्ट्रेलिया से आखिरी बार सीरिज जीती थी. उस टीम में मैक्कुलम ने बल्ले से प्रभावशावली प्रदर्शन करते हुए अपनी टीम को जीत दिलाई थी….और इतिहास ने एक बार फिर से खुद को दोहराया बस फर्क इतना था कि इस बार मैक्कुलम के मार्गदर्शन में टीम ने वो करिश्मा कर दिखाया। यूं तो मैक्कुलम क्रिकेट की दुनिया के सबसे आक्रकम बल्लेबाजों में शामिल रहे है उनकी खेल शैली उन्हें आधधुनिक क्रिकेट के आक्रमक बल्लबाजे रहे सहवाग,गेल वार्नर गिलक्रिस्ट की फेहरिस्त में शामिल करती है।
क्रिकेट के सभी प्रारुपों में मैक्कुलम ने अपने खेल से प्रभावित किया है… मैक्कुलम के अगर वनडे करियर पर नजर डाली जाए तो उनका औसत कोई उन्हें बड़ा बल्लेबाज नहीं बताता. मैक्कुलम ने 260 मैचों की 228 पारियों में 30.41 की साधारण औसत से कुल 6083 रन बनाए जिसमे 32 अर्धशतक और पांच शतक शामिल रहे इस दौरान मैक्कुलम का सर्वाधिक स्कोर रहा 166 रन का । लेकिन 96 का असाधारण स्ट्राइक रेट मैक्कुलम को अपने समकालीन बल्लेबाजों से अलग बनाता है…न्यूजीलैंड के लिए वनडे में सर्वाधिक रन बनाने वालों की सूची में वे पूर्व कप्तान स्टीफन फ्लेमिंग और नाथन एस्टल से ही पीछे है….
वो टीम हित में पहले सोचते थे इसी कारण जब वो एडम परोरे के टेस्ट क्रिकेट में किए गए 201 शिकार को पीछे छोड़ने वाले थे तब उन्होंने टीम हित के लिए विकेट कीपिगं छोड़ दी और टीम का भार अपने ऊपर ले लिया और 2012 में कप्तानी करना शुरु कर दिया… इस भूमिका में भी वे सफल भी रहे न्यूजीलैंड टीम उनकी अगुआई में पहली बार विश्व कप के फाइनल में पहुंची हालांकि टीम फाइनल में हार जरुर गई लेकिन जिस तरह से मैक्कुलम ने टीम के स्तर को ऊपर उठाया शानदार था…..
आस्ट्रेलिया के साथ होने वाली टेस्ट सीरिज मैक्कुलम की आखिरी सीरिज होगी। वे टी-20 क्रिकेट को भी अलविदा कह चुके है…. यकीनन पिछले 10 सालों में मैक्कुलम न्यूजीलैंड के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी रहे..वे न्यूजीलैंड के पहले खिलाड़ी बने जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक लगाया…. ऐसा करने वाले वो न्यूजीलैंड के एकमात्र क्रिकेटर है…..सही मायनों में देखा जाए तो वे क्रिकेट के एक सच्चे दूते थे उन्हें खेलते हुए देखना हर क्रिकेट प्रेमी के लिए बेहतरीन लम्हा होता है…
रवि कुमार छवि