मेडिकल की पढ़ाई अब हिंदी में

डॉ. वेदप्रताप वैदिक
आजकल मैं इंदौर में हूं। यहां के अखबारों में छपी एक खबर ऐसी है कि जिस पर पूरे देश का ध्यान जाना चाहिए। केंद्र सरकार का भी और प्रांतीय सरकारों का भी। चिकित्सा के क्षेत्र में यह क्रांतिकारी कदम है। पिछले 50 साल से देश के नेताओं और डाॅक्टरों से मैं आग्रह कर रहा हूं कि मेडिकल की पढ़ाई आप हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में शुरु करें। ताकि उसके कई फायदे देश को एक साथ हों। एक तो पढ़ाई के आसान होने से डाॅक्टरों की संख्या बढ़ेगी। गांव-गांव तक रोगियों का इलाज हो सकेगा। दूसरा, इलाज के नाम पर अंग्रेजी के जादू-टोने से जो ठगी होती है, वह रुकेगी। तीसरा, दवाइयों के दामों में जो लूट-पाट मचती है, वह रुकेगी। हिंदी में नुस्खे लिखे जाएंगे तो वे मरीज के भी पल्ले पड़ेंगे। चौथा, स्वभाषा में पढ़ाई होने पर छात्रों की मौलिकता में वृद्धि होती है। यदि वे अनुसंधान अपनी भाषा में करेंगे तो भारत में पैदा होनेवाले रोगों का मौलिक इलाज़ ढूंढ सकेंगे। विदेशों पर होनेवाली उनकी पूर्ण निर्भरता घटेगी। इन सब बुनियादी कामों की शुरुआत अब मध्यप्रदेश में हो रही है। यहां की मेडिकल युनिवर्सिटी के बोर्ड आॅफ स्टडीज ने फैसला कर लिया है कि सभी चिकित्सा परीक्षाएं अब हिंदी में भी होंगी। मेरी बधाई ! ऐसी अनुमति देनेवाली दिल्ली की मेडिकल कौंसिल को भी धन्यवाद ! और सबसे ज्यादा आभार, धन्यवाद और बधाई भारत के स्वास्थ्य मंत्री जगतप्रकाश नड्ढा को, जिनसे इस मामले में बराबर मेरी बात होती रही और जिन्होंने लगभग दो माह पहले ही मुझसे कहा था कि अब मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में ही नहीं, कई भारतीय भाषाओं में शुरु होने ही वाली है। यह मप्र में सबसे पहले शुरु हुई है, इसलिए मुख्यमंत्री शिवराज चौहान भी बधाई के पात्र हैं। मप्र के डाॅक्टर बंधुओं से मेरा निवेदन है कि वे मेडिकल की हिंदी पाठ्य-पुस्तकें जल्दी से जल्दी तैयार करें ताकि मप्र चिकित्सा-क्रांति का अग्रदूत बन सके।

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  1. विषय पर उनके संक्षेप में छह बार “मेडिकल” शब्द का प्रयोग कर लेखक पाठकों को क्या सन्देश देना चाहते हैं?

  2. “आवरण-पृष्ठ
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    अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल के वेबस्थल पर आपका हार्दिक अभिनंदन। ज्ञान-विज्ञान के सभी क्षेत्रों में शिक्षण, प्रशिक्षण एवं शोध को हिंदी माध्यम से बढ़ाने हेतु 19 दिसंबर, 2011 को मध्यप्रदेश शासन ने इस विश्वविद्यायल की स्थापना की है।

    इस विश्वविद्यालय का उद्देश्य ऐसी युवा पीढ़ी का निर्माण करना है जो समग्र व्यक्तित्व विकास के साथ रोजगार कौशल और चारित्रिक दृष्टि से विश्वस्तरीय हो। विश्वविद्यालय ऐसी शैक्षिक व्यवस्था का सृजन करना चाहता है जो भारतीय ज्ञान तथा आधुनिक ज्ञान में समन्वय करते हुए छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों में ऐसी सोच विकसित कर सके जो भारत केन्द्रित होकर संपूर्ण सृष्टि के कल्याण को प्राथमिकता दे।

    ऐसे विश्वविद्यालय का शिलान्यास 6 जून 2013 को भारत के राष्ट्रपति माननीय श्री प्रणव मुखर्जी के कर-कमलों से ग्राम मुगालिया कोट की 50 एकड़ भूमि पर हो गया है। शिक्षा सत्र 2012-13 में 60 विद्यार्थियों से प्रारंभ होकर इस विश्वविद्यालय में सत्र 2017-18 में लगभग 442 विद्यार्थियों ने अध्ययन हेतु प्रवेश लिया है। अब तक 18 संकायों में 231 से अधिक पाठ्यक्रमों का हिंदी में निर्माण कर लिया गया है। विश्वविद्यालय में प्रत्येक छात्र को हिंदी भाषा के साथ-साथ एक विदेशी भाषा, एक प्रांतीय भाषा एवं संगणक प्रशिक्षण की सुविधा अंशकालीन प्रमाण-पत्र कार्यक्रम के माध्यम से उपलब्ध है। सभी पाठ्यक्रमों में आधुनिक ज्ञान के साथ उस विषय में भारतीय योगदान की जानकारी भी दी जाती है तथा संबंधित विषय में मूल्य आधारित व्यावसायिकता के साथ स्वरोजगार की अवधारणा के संवर्धन पर जोर दिया जाता है।

    यह आश्चर्य है कि 70 वर्ष की स्वतंत्रता के बाद भी हम चिकित्सा, अभियांत्रिकी, विधि, कृषि एवं प्रबंधन जैसे विषय आज भी अंग्रेजी माध्यम से पढ़ा रहे हैं। दुनिया के सभी विकसित राष्ट्र अपनी-अपनी मातृभाषाओं में शिक्षा प्रदान करते हैं- रूस, चीन, जर्मनी, जापान, फ्रांस, नार्वे, फिनलैंड, स्वीडन, इजरायल आदि इसके उदाहरण है।

    मुझे आपको यह जानकारी देते हुए प्रसन्नता है कि अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय ने चिकित्सा के अतिरिक्त सभी पाठ्यक्रम किसी न किसी स्तर पर हिंदी माध्यम से प्रारंभ कर दिए हैं। विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी संस्थानम् ने वर्ष 2016-17 से अभियांत्रिकी (बी.ई.) चार वर्षीय पाठ्यक्रम नागर (सिविल), वैद्युत (इलेक्ट्रिकल) एवं यांत्रिकी (मैकेनिकल) शाखाओं में हिंदी माध्यम से प्रारंभ कर दिया है। सत्र 2017-18 से स्नातक चिकित्सा (एम0बी0बी0एस0) पाठ्यक्रम हिंदी माध्यम से प्रारंभ कर दिया गया है।

    विश्वविद्यालय ने गत चार वर्षों में विशेष अध्ययन एवं अनुसंधान केन्द्रों की स्थापना की है तथा कुछ केन्द्रों में तो उल्लेखनीय कार्य चल रहा है। भारत विद्या अध्ययन एवं अनुसंधान केन्द्र तथा गर्भ संस्कार तपोवन केन्द्र विश्वविद्यालय के प्रमुख आकर्षण है। सत्र 2017-18 में “मूकमाटी-एक जीवन दृष्टि ” विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन चर्चा में रहा। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 14 अक्टूबर 2016 को मूकमाटी के गुजराती संस्करण का विमोचन किया तथा राष्ट्रीय संत आचार्य श्री विद्यासागर जी का आशीर्वाद प्राप्त किया।

    मैं, देश के सभी उन अभिभावकों से आग्रह करता हॅूं जिनके बच्चे अंग्रेजी के भार से पीड़ित होने के कारण उच्च शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाये तथा उन विद्यार्थियों को सलाह देता हॅूं जो अंग्रेजी माध्यम के कारण डॉक्टर, इंजीनियर, प्रशासक, प्रबंधक आदि बनने का सपना साकार नहीं कर पाये, वे विश्वविद्यालय से जुड़ कर अपने उद्देश्य की पूर्ति करें। इस विश्वविद्यालय में अध्ययन करने के लिए उम्र बाधा नहीं है। विश्वविद्यालय में विभिन्न विषयों में प्रशिक्षण प्रमाणपत्र, पत्रोपाधि, स्नातकोत्तर, पत्रोपाधि, स्नातक, स्नातकोत्तर, विद्यानिधि, विद्यावारिधि एवं विद्या वाचस्पति पाठ्यक्रमों में अध्ययन एवं शोध की व्यवस्था है।”
    कुलपति
    अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल

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