पृथ्वी पर अमृत है दूध

दूध का मनुष्य जीवन में सदियों सदियों से बहुत ही महत्वपूर्ण व अहम स्थान रहा है, क्यों कि दूध ही एक ऐसा पदार्थ है जो जन्म के बाद मनुष्य का सबसे पहला भोजन होता है, इसलिए दूध की जीवन में अपनी महत्ता रही है‌।नवजात शिशु के लिए मां का दूध सभी पोषक तत्वों और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली कोशिकाओं का सबसे अच्छा स्रोत है। विश्व के सभी लोग दूध के महत्व को समझें और जागरूक हों, इसीलिए प्रत्येक वर्ष एक जून को विश्व दुग्ध दिवस के रूप में पहचाना जाता है। हम यहां यह बात कह सकते हैं कि दूध को एक ग्लोबल फूड के रूप में स्थापित करने और डेयरी सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए विश्व दुग्ध दिवस यानी वर्ल्ड मिल्क डे की स्थापना की गई थी। हर साल इस दिन को इसलिए मनाया जाता है ताकि दुनिया भर में दूध और डेयरी उत्पादों के विभिन्न फायदों का सक्रियता के साथ अधिकाधिक प्रचारित और प्रसारित किया जा सके। उल्लेखनीय है कि वर्तमान समय में डेयरी एक अरब से भी अधिक लोगों की आजीविका को संभालती है। इस साल वर्ल्ड मिल्क डे 2023 का ध्यान इस बात पर केंद्रित रहेगा कि पौष्टिक आहार और आजीविका देते हुए यह कैसे एनवायरमेंट फूटप्रिंट्स को कम कर रही है। वास्तव में, विश्व दुग्ध दिवस का प्रमुख लक्ष्य लोगों के जीवन में दूध के मूल्य के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना है। उल्लेखनीय है कि अनेक स्थानों पर दूध को एक स्वास्थ्य वर्धक, रोग नाशक, रोगों से बचाव करने वाला , ओज व शक्ति देने वाला पेय कहा गया है। जानकारी देना चाहूंगा कि दूध में लगभग 85 प्रतिशत जल और शेष भाग में खनिज और वसा होता है। यह प्रोटीन, पोटेशियम, कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्निशियम, जस्ता, आयोडीन,लोहा, फोलेट, राइबोफ्लेविन, विटामिन-ए, बी-12, डी जैसे तत्वों के साथ ही और अन्य बहुत से पोषक तत्वों से लबालब होता है। यही एक ऐसा पदार्थ है, जो स्वादिष्ट और रूचिकर होता है तथा जिसे सम्पूर्ण आहार की श्रेणी में रखा जाता है। दूध का नियमित और सही मात्रा में सेवन व्यक्ति को हमेशा उर्जावान और स्वस्थ रखता है। इसके सेवन से शरीर में ठंडक व तरावट रहती है और तनाव दूर होकर स्फूर्ति बढ़ती है।इससे हड्डियां व मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। यह शरीर से विषैले पदार्थों को भी बाहर निकालता है। मानव पोषण में दूध की महत्ता क्या रही है यह बात किसी से छिपी हुई नहीं है। भारत में तो हमेशा हमेशा से गाय के दूध को अमृत माना गया है। गाय का दूध बच्चों के लिए बेहद पौष्टिक माना गया है और बुद्धि के विकास में भी कारगर माना गया है। उल्लेखनीय है कि भारतीय संस्कृति ग्राम संस्कृति है, गो संस्कृति है। गोपालन, गोसंवर्धन, गोरक्षण, गोपूजन और गोदान भारतीयता की पहचान रही है। यहां यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि जब यक्ष ने धर्मराज से प्रश्न किया था कि पृथ्वी पर अमृत कौन-सा है ? तो उन्होंने प्रत्युत्तर दिया था कि-‘दूध’। दूध जैसा पौष्टिक और अत्यन्त गुण वाला ऐसा अन्य कोई पदार्थ नहीं है। दूध को मृत्युलोक का अमृत तक कहा गया है। सभी दूधों में अपनी माँ का दूध श्रेष्ठ है और माँ का दूध कम पडा, वहाँ से गाय का दूध श्रेष्ठ सिद्ध हुआ है। बहरहाल, जानकारी देना चाहूंगा कि संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन ने 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस (वर्ल्ड मिल्क डे) के रूप में अपनाया है। वास्तव में, यह दिन दूध को वैश्विक भोजन के रूप में मान्यता देने और डेयरी उद्योग का जश्न मनाने के संदर्भ में वर्ष 2001 से प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। वास्तव में,विश्व दुग्ध दिवस दूध के गुणों और इसके महत्व को वैश्विक भोजन के रूप में स्वीकार करता है। इस दिन का उद्देश्य डेयरी क्षेत्र से जुड़ी गतिविधियों पर ध्यान आकर्षित करने के अवसर प्रदान करना है। दूध मानव शरीर के लिए आवश्यक सभी स्वस्थ पोषक तत्वों के साथ एक बहुत ऊर्जावान आहार है जो कि हमारे शरीर को तुरंत ऊर्जा(इंस्टेंट एनर्जी) प्रदान करता है, क्योंकि इसमें आवश्यक और गैर-आवश्यक अमीनो एसिड और फैटी एसिड सहित उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन होते हैं। आज दुनिया भर में लगभग 1 अरब लोग डेयरी क्षेत्र पर निर्भर हैं। जानकारी देना चाहूंगा कि पिछले साल विश्व दुग्ध दिवस 2022 की थीम “डेयरी नेट-जीरो” थी। इस साल यह थीम ‘आनंद डेयरी’ रखी गई है। दूध को ग्लोबल फूड का दर्जा दिया जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी,यह एक प्रकार से मानव जीवन के लिए सुपर फूड कहा जा सकता है। बहरहाल, यहां यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि भारत में हर साल नेशनल मिल्क डे 26 नवंबर(डॉक्टर वर्गीज कुरियन का जन्मदिन) को मनाया जाता है। यह इसलिए क्योंकि वर्गीज कुरियन को भारत में श्वेत क्रांति का जनक कहा जाता है, प्यार से लोग उन्हें ‘मिल्क मैन’ के नाम से भी जानते हैं। यह वर्गीज कुरियन की ही देन है कि आज हमारा देश  दुनिया में सबसे ज्यादा दूध का उत्पादन करने वाले देशों में से एक बन चुका है। जानकारी देना चाहूंगा कि भारत 22% वैश्विक दुग्ध उत्पादन के साथ दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है, इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, पाकिस्तान और ब्राज़ील का नंबर आता है। भारत में क्रमशः  उत्तर प्रदेश (14.9%), राजस्थान (14.6%), मध्य प्रदेश (8.6%), गुजरात (7.6%) और आंध्र प्रदेश (7.0%) शीर्ष दूध उत्पादक राज्य हैं।दुनिया में सबसे ज्यादा दूध का उत्पादन करने वाले मुल्कों में पांचवें स्थान पर ब्राजील है, जहां सालाना 3.55 करोड़ टन दूध का उत्पादन होता है। पाकिस्तान में

सालाना 4.56 करोड़ टन दूध (चौथा स्थान), अमेरिका में सालाना 9.86 करोड़ टन दूध का(तीसरा स्थान), यूरोपियन यूनियन में सालाना 16.73 करोड़ टन दूध का (दूसरा स्थान) उत्पादन होता है। भारत में  सालाना 18.61 करोड़ टन दूध का उत्पादन होता है‌। वैसे चीन, ब्राजील,रसिया, जर्मनी, फ्रांस, न्यूजीलैंड, टर्की, यूके, डेनमार्क में भी काफी दूध का उत्पादन होता है। बहरहाल, यहां यह उल्लेखनीय है कि कुरियन ने साल 1970 में श्वेत क्रांति की शुरुआत की, जिसका मकसद भारत में दूध के उत्पादन को बढ़ावा देना था। विश्व दुग्ध दिवस देखा जाए तो अच्छा भोजन, स्वास्थ्य और पोषण, किसानों की अपने समुदायों, ज़मीनों और अपने पशुधन पर निर्भरता, डेयरी क्षेत्र में स्थिरता के साथ ही डेयरी क्षेत्र कैसे आर्थिक विकास और आजीविका में योगदान करता है, के बारे में विशेष रूप से बात करता है। आज के समय में भारत दुग्ध उत्पादन में विश्व में भले ही सबसे अग्रणी देश है, बावजूद इसके अभी भी दुग्ध उत्पादन बढ़ाये जाने की बहुत अधिक संभावनाएं हैं। भारत के नाम जिस प्रकार से विश्व का सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन का रिकार्ड है, उसी प्रकार से देश में विश्व के सर्वाधिक दुधारू पशुओं की संख्या का भी रिकार्ड दर्ज है। लेकिन पशुओं की यह संख्या उत्पादक कम अनउत्पादक ज्यादा है। इसे उत्पादक बनाये जाने की जरूरत है। यहां यह बता दूं कि भारत में दुग्ध उत्पादन से साल 2021 में 8.32 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा मूल्य के 19.848 मिलियन टन दूध का उत्पादन किया गया है। हालांकि, भारतीय दुधारू पशुओं की उत्पादकता दुनिया के ज्यादातर दुग्ध उत्पादक देशों की तुलना में कम है। उसके बावजूद भारत दुग्ध उत्पादन में शीर्ष स्थान पर है। यहां यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारत का अपना विशेष स्थान है और यह विश्व में सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक और दुग्ध उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। आज के समय में भी भारत गांवों का देश ही है। हमारी 72%  से अधिक जनसंख्या ग्रामीण है तथा लगभग 60% लोग आज भी प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से कृषि व्यवसाय से ही जुड़े हुए हैं। ज्यादातर कृषक परिवार आज भी डेयरी उद्योग से जुड़े हैं।सच तो यह है कि डेयरी भारत में सबसे बड़ी कृषि जिंस है। यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 5% का योगदान देता है और 80 मिलियन डेयरी किसानों को प्रत्यक्ष रोज़गार प्रदान करता है। भारतीय दुग्ध उत्पादन से जुड़े महत्वपूर्ण सांख्यिकी आंकड़ों के अनुसार देश में 70% दूध की आपूर्ति छोटे/ सीमांत/ भूमिहीन किसानों से ही होती है। भारत की ग्रामीण अर्थ-व्यवस्था को सुदृढ़ करने में डेयरी-उद्योग की प्रमुख भूमिका है। आज भी लगभग 95% पशुधन किसान ग्रामीण भारत में केंद्रित हैं। आज के समय में, महंगाई, जनसंख्या वृद्धि के साथ ही शहरी  क्षेत्रों को तो छोड़िए ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों का रूझान पशुपालन की तरफ लगातार कम होता चला जा रहा है, जिसे पुनः बढ़ाए जाने की जरूरत है। आज पशुओं के चारा,दाना पानी, उपचार की समस्याएं हैं, सब्सिडी आदि का अभाव है, पशुपालन प्रोत्साहन योजनाओं का अभाव है। वास्तव में, आज हमें

पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने, बेहतर स्वास्थ्य देखभाल और प्रजनन सुविधाओं एवं डेयरी पशुओं के प्रबंधन को सुनिश्चित करने की नितांत व महत्ती आवश्यकता है। पशुओं के लिए बीमा योजनाओं की आवश्यकता है, ग्रामीणों, किसानों को यदि बिना ब्याज का कर्ज आदि की सुविधा हो तो दुग्ध, डेयरी क्षेत्र में क्रांति आ सकती है ‌‌। आज सरकारों को यह चाहिए कि वे पशुपालन एवं डेयरी व्यवसाय के विकास पर पर्याप्त ध्यान दें। प्रगतिशील पशुपालकों को सरकार द्वारा सम्मानित किया जाना चाहिए। प्रशिक्षण और अनुदान से पशुपालकों को निश्चित ही प्रोत्साहन मिलता है। 

(आर्टिकल का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।)

सुनील कुमार महला

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here