और नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री से देश के प्रधानमंत्री तक का सफर तय कर लिया इसी के साथ उनके ऊपर लग रहे तमाम तरह के आरोपों से देश की जनता ने उनको मुक्त कर दिया राजनीतिज्ञों के आरोप प्रत्यारोप में श्री मोदी को जितना दोषी साबित किया गया था, जनता ने उनको उतना ही उजला बना कर रख दिया। आजादी के बाद से लेकर इस 16 वीं लोकसभा में मुस्लिम तुष्टीकरण का जो खेल सियासी पार्टीयों ने खेला था उनको जनता ने करारा जवाब दिया।
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल जैसे दलों ने खुलकर मुस्लिम तुष्टीकरण का कार्ड खेला और परिणाम आप लोगों के सामने है। ऐसी अनेको गलतियां इन पार्टियों ने की जिसका सीधा सीधा लाभ नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी को प्राप्त हुआ। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संध और उनसे जुड़े अनुशांगिक संगठन और तमाम देश के लोग गुजरात दंगों को लेकर मोदी पर किये जा रहे आरोपो को सुन रहे थे, समझ रहे थे परन्तु सबके मन में एक बात जरूर आ रही थी कि सभी चर्चा प्रतिक्रिया पर कर रहे हैं- गोधरा काण्ड पर क्यों नहीं कुछ बोलते। मानव अधिकार आयोग से लेकर अमेरिकी संसद तक ने मोदी को एक अपराधी माना किन्तु वे कोई आरोप सिद्ध नहीं कर पाये। और मोदी गुजरात की जनता की अदालत में गये जहां उनको गुजरात की जनता ने दो बार निर्दोष सिद्ध कर दिया। किन्तु फिर भी विरोधियों के अपने बड़बोले पन में आरोप लगाने से नहीं चुके और मोदी पर हमला बोलते रहे और परिणाम देश की जनता ने उनको निर्दोष साबित करते हुए देश का सर्वोच्च पद सौंप दिया।
मुझे याद है जब नरेन्द्र मोदी ने तीसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री के लिये शपथ ली थी, उस दिन वहां मौजुद गुजरात की जनता ने नारा लगाया था दिल्ली चलो और वो नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिये पहला सार्वजनीक वक्तव्य था जो गुजरात की जनता ने दिया था। उसी के साथ तमाम विरोधियों के स्वर भी नरेंद्र मोदी को लेकर मुखर हो गये थे। किन्तु विरोधियों ने हमेशा एक ही पहलु को निशाना बनाया और नरेन्द्र मोदी का दुसरा चेहरा लोगो के बिच में लोकप्रिय होता गया। विरोधी गुजरात दंगों को भुनाते रहे और मोदी गुजरात विकास के रथ पर बहुत तेजी से आगे बढ़ते गये, वे कहते भी थे की जितना किचड़ उछालोगे, उतना कमल खिलेगा। परन्तु किचड़ उछालना जारी रहा।
और अंत में ….
मोदी पर लगे आरोपों का जनता ने किया इंसाफ
माकपा-कांग्रेस-सपा-राजद-बसपा साफ-साफ-साफ
जीत जाने के मायने ये नहीं कि उन्होंने हत्याएं नहीं करवाईं