लोंगेवाला में मोदी-सन्देश एक चेतावनी भी, सीख भी

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-ः ललित गर्ग:-

राष्ट्र-जीवन को ऊंचाई देनी है, इसलिए गहराई भी जरूरी है। बुनियाद जितनी गहरी होगी, राष्ट्र उतना ही ऊंचा और मजबूत बनेगा। यूं तो राष्ट्रीयता एवं सुरक्षा मूल्यों की श्रेष्ठता से जुड़ा हमारे राष्ट्र का चरित्र स्वयं आदर्श है पर एक साथ बहुत-सी अच्छाइयों का अभ्यास कठिन साधना है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसी राष्ट्र-साधना में साधनारत हैं। वे राष्ट्र-विकास की इस यात्रा में शक्ति, मनोबल, आस्था एवं विश्वास के संकल्पों के साथ आगे बढ़ते हुए देश को सशक्त बना रहे हैं। हर वर्ष की भांति इस वर्ष की दीपावली पर वे राष्ट्र की सुरक्षा को सुनिश्चित करने वाले नायकों के बीच पहुंचे। दीपावली जैसलमेर में सेना और सीमा सुरक्षा बल के जवानों के साथ मनाई। प्रधानमंत्री ने लोंगेवाला में पडौसी देश चीन और पाकिस्तान को चेताया और कहा कि अगर भारत को आजमाया गया तो प्रचंड जवाब दिया जायेगा, भारत की ओर से रत्ती भर भी समझौता नहीं किया जायेगा। यह उद्बोधन दीपावली का प्रेरक एवं हौसल्लों की बुन्दगी को उजागर करने वाला उद्बोधन है, जिसने पडौसी देशों में खलबली मचा दी है।
प्रधानमंत्री का विश्वासभरा सन्देश एक चेतावनी भी है, सीख भी है और स्वयं की तैयारी का प्रकट स्वरूप है। इसी विश्वास में संपूर्ण रचनात्मक एवं राष्ट्र के सशक्तीकरण की शक्तियां उजागर हुई हैं। दुनिया में कोई भी शासक अपनी वैभवता एवं साधन-सुविधाओं के आधार पर बड़ा या छोटा नहीं होता बल्कि अपने विश्वास एवं चरित्र से बड़ा होता है। मोदी की महानता उनके चरित्र से बंधी है और उसी चरित्र में उनका विश्वास निहित है, बंद निर्माण के रास्तों को खोल देने का संकल्प है। मोदी औरों की बैसाखियों पर चलते नहीं, औरों की प्रशंसा पर फूलते नहीं, आलोचनाओं पर पैरों को थामते नहीं है। अपने अनूठे साहस एवं पवित्र उद्देश्यों के लिये ऊंची छलांगे भरते हैं। लोगेवाला में भी उन्होंने ऐसी ही एक छलांग भरते हुए पडौसी देशों के मनसूंबों को नेस्तनाबूंद किया है।
लोंगेवाला पोस्ट सीमा सुरक्षा बल के लिए रणनीतिक रूप से बहुत अहम है। भारत और पाकिस्तान  के बीच सीमाओं पर दनादन और एलओसी पर लद्दाख में भारत और चीन के मध्य तनातनी के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रण क्षेत्र में टैंक पर सवार होकर पाकिस्तान और चीन को दो टूक चेतावनी देते हुए कहा कि भारत की रणनीति साफ है, स्पष्ट है। आज का भारत समझने और समझाने की नीति पर विश्वास करता है लेकिन अगर हमें आजमाने की कोशिश होती है तो जवाब भी उतना ही प्रचंड मिलेगा। हम दुश्मन को घर में घुसकर मारते हैं। उन्होंने चीन का नाम लिए बिना उसकी विस्तारवादी सोच पर करारा प्रहार किया। प्रधानमंत्री के शब्दों में उनके मनोबल की शक्ति का परिचय हमेशा ही दिया है, लेकिन रण क्षेत्र में उनकी मौजूदगी के अर्थ गहरे हैं, साहसभरे हैं एवं भारत की बढ़ती शक्ति के पंखों की उड़ान है। भारत मोदी के नेतृत्व में सतत अभ्यास से पूर्णता तक पहुंचा है। राष्ट्र के सफर में अपने उद्देश्यों के प्रति मोदी के मन में अटूट विश्वास होना देश की सुरक्षा का सबसे बड़ा आश्वासन है। कहा जाता है-आदमी नहीं चलता, उसका विश्वास चलता है। आत्मविश्वास सभी गुणों को एक जगह बांध देता है यानी कि विश्वास की रोशनी में मोदी का संपूर्ण व्यक्तित्व और कर्तृत्व उजागर हो रहा है, जो नये भारत एवं सशक्त भारत का द्योतक है।
नये सपनों का भारत निर्मित करते हुए मोदी सेना को सशक्त भारत का आधार मानते हैं। सेना के बल पर ही राष्ट्र का स्वाभिमान जीवित है। दीपावली या अन्य त्यौहारों पर परिवार से दूर सेना के जवान मोर्चे पर तैनात रहते हैं। जो त्याग, तपस्या, उत्सर्ग, बलिदान जवान करते हैं, उससे देश में एक विश्वास पैदा होता है। प्रधानमंत्री हर वर्ष दीपावली सैनिकों के बीच मनाते हंै, यह एक अनूठी पहल है, वे सीमाओं एवं सैनिकों के संग दीपावली इसलिए मानते हैं ताकि उन्हें भरोसा दिलाया जा सके कि 130 करोड़ देशवासी उनके साथ मजबूती से खड़े हैं। उन्हें जवानों की अपराजेयता एवं साहस पर गर्व है। निश्चित ही प्रधानमंत्री की जवानों के बीच उपस्थित जवानों के मनोबल को बहुगुणित कर देती है और उनका जोश एवं राष्ट्र के लिये मर-मिटने का इरादा अधिक मजबूत हो जाता है। इन विलक्षण क्षणों में सैनिक नयी ऊर्जा से भर जाते हैं और युद्ध हो या प्राकृतिक आपदा, बर्फीली पहाड़ियों पर रहें या फिर तपती दुपहरी में रेगिस्तान में, जवानों में एक नया उत्साह जागता है। जवानों की आंखों में तेरते सशक्त भारत के सपने एवं भारतीय सशस्त्र सेनाओं को एक उभरते लोकतंत्र के एक शानदार संस्थान के रूप में विकसित होते देख हर भारतीय को गर्व होता है। सेना ऐसी संस्था है, जिसे सरकार ही नहीं बल्कि पूरे देश का अगाध विश्वास, प्रेम और स्नेह हासिल है।
भारत बदल रहा है, हौले-हौले नहीं, तेज रफ्तार के साथ ये परिवर्तन जारी है। बदलाव भी ऐसा है जिससे बेहतरी की, सैन्य ताकत की, विकास की, सशक्तिकरण की उम्मीद जागी है। परिवर्तन की ये बयार महसूस की जा सकती है, क्योंकि यह बदलाव ढंका-छुपा नहीं है। कोरोना महामारी के कहर के बावजूद गति पकड़ती अर्थ-व्यवस्था एवं विश्व स्तर पर कूटनीतिक रिश्तों के वितान तक परिवर्तन की छाप गहरे पड़ी है, इसका श्रेय मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व, नीतियों एवं पारदर्शी शासन-व्यवस्था को जाता है। मोेदी की अलौकिक शासन व्यवस्था का ही परिणाम है कि सेना बहुत मजबूत हुई है। राफेल विमानों से लेकर हर आधुनिकतम शस्त्र सेना को मिले हैं। मिसाइलें बनाने में तो भारत अब स्वयं सक्षम हो चुका है। दुनिया समझने लगी है कि भारत अपने हितों की कीमत पर रत्ती भर भी समझौता करने वाला नहीं है। पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट स्थित आतंकवादी कैम्प पर एयर अटैक किया। डोकलाम के बाद लद्दाख में भी चीन के सामने भारत डट कर खड़ा है।
सेना के शौर्य और मजबूती से ही भारत वैश्विक मंचों पर प्रखरता से अपनी बात कहने में सक्षम हुआ है। सेना ने स्वदेशी भावना का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करते हुए सौ से ज्यादा हथियारों और साजो-सामान को विदेश से नहीं मंगवाने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री हथियारों के मामले में आत्मनिर्भरता के प्रबल पक्षधर हैं। पूरा देश जानता है कि राष्ट्र के स्वाभिमान, राष्ट्र की अस्मिता, राष्ट्र की विरासत, राष्ट्र के गौरव पर हमला करने वालों को सेना मुंहतोड़ जवाब देगी। सेना में सरहदें बदल देने की क्षमता है, दुश्मनों को इरादों को ध्वस्त करने का मादा है। सैनिकों की चरण रज किसी मंदिर की विभूति से कम पवित्र नहीं। प्रधानमंत्री की पाकिस्तान और चीन को ललकार के साथ समूचे राष्ट्र में नए जोश का संचार हुआ है। एक सशक्त, अच्छी और सच्ची शासन व्यवस्था के लिये उसके पास उन रास्तों का ज्ञान होना बहुत जरूरी है जो उसे अपने लक्ष्य तक पहुंचाते हैं, सही ज्ञान ही सही दर्शन और सही आचरण दे सकता है।
सेना का विश्वास भारत की सबसे बड़ी ताकत है। विश्वास से भरा सेना का मन परिस्थिति के अनुकूल स्वयं ढलता नहीं बल्कि उन्हें अपने अनुसार ढाल लेता है। विश्वास के अभाव में सफलताएं संभव नहीं, क्योंकि लड़ाई में युद्ध होने से पहले ही हथियार डाल देने वाला सिपाही कभी विजयी नहीं बनता। कार्य प्रारंभ होने से पहले ही यदि मन संदेह, भय, आशंका से भर जाए तो यह बुझदिली है। लेकिन हमारा सौभाग्य है कि राष्ट्रनायक के रूप में मोदी एवं सुरक्षा नायकों के रूप में हमारे सैनिक बदलते भारत की कहानी गढ़ने में लगे हैं। हम क्यों किसी से स्वयं को कम मानें जबकि हमारे भीतर अनंत शक्तियों का स्रोत प्रवाहित है, मोदी जैसा सशक्त नेतृत्व है एवं सीमाओं पर सुरक्षा में डटे सैनिक हैं। जरूरत सिर्फ अहसास की है। एक बार पूरे आत्मविश्वास के साथ स्विच दबा दें, पूरा राष्ट्र-जीवन रोशनी से भर जाएगा।
दीपावली पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर सेनानायकों के विलक्षण, साहसी एवं बुलन्द उपक्रमों की प्रशंसा करते हुए आह्वान किया है कि पराक्रमी बनो। कष्टों से घबराओं नहीं, उन्हें सहो। जोखिमों से खेलना सीखेंगे तभी तो मंजिल तक पहुंच सकेंगे। साहसी बनकर आगे बढ़ें। ‘मैं यह काम कर नहीं सकता’ इस बुझदिली को छोड़कर यह कहना सीखें कि मेरे जीवन-कोश में ‘असंभव’ जैसा शब्द नहीं लिखा है। तभी नये भारत का अभ्युदय दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बनेगा।

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