-बीनू भटनागर-
मम्मी ने आकर, बेटे को जगाया,
‘नींद से जागो, राहुल बाबा!
कुछ (प्रधानमंत्री) बनना है तुमको जो,
थोड़ी तो महनत करनी ही पड़ेगी।‘
‘’क्या करना होगा मम्मी?
पहले भी बहुत महनत की थी फिर भी…’
‘’जो हो गया सो हो गया,
अब आगे की सोचो…
संसद मे ऐसा कुछ करके दिखाओ,
समाचारों का हिस्सा बनके दिखाओ।‘’
‘’मम्मी! मुझे कोई बोलने ही नहीं देता।’’
‘’तो इसबात पर ही शोर मचाओ!’’
फिर संसद में कुआं, कुएं में राहुल,
ख़ूब चीख़े चिल्लाये राहुल,
और शाम को…
मीडिया में छाये रहे बस राहुल!
वीनू भटनागर जी की कविता – “मम्मी ने आकर ..”अच्छी लगी |
शाबाश , मकसद पूरा हो गया , बस आगे भी यही करते रहना है ,सदन को चलने नहीं देना है क्योंकि मोदी हटने वाले नहीं , तो इन्हें काम भो करने दो नहीं हर बात का विरोध करो , चाहे वाजिब हो या गैर वाजिब हो
संसद तो भाजपा भी नहीं चलने देती थी, जब विपक्ष मे थी, पाले बदले हैं और कुछ नहीं। सही कहा, मोदी पाँच साल तक तो नहीं हटेंगे, चाहें कुछ करें या न करें।