शरीर, मन और प्राण में चैतन्यता लाता है संगीत

संगीत की भाषा पूरी दुनिया समझती है और संगीत के बिना जीवन अधूरा अधूरा सा लगता है। संगीत हमें हंसाता है,गुदगुदाता है, अहसास जगाता है, यह हमारी बेजान जिंदगी में जोश, जज्बा भरता है। खुश होने पर हम संगीत का आनंद लेते हैं और दुखी होने पर हम संगीत को अपने हृदय में, अपनी आत्मा में महसूस करते हैं । संगीत अच्छी नींद के लिए उपयुक्त है, यह हमारी याददाश्त को अच्छी बनाता है। यह हमें सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। वास्तव में,संगीत की प्रकृति प्रोत्साहन तथा बढ़ावा देने की भी है, जो सभी नकारात्मक विचारों को हटाकर मनुष्य की एकाग्रता की शक्ति को बढ़ाने का कार्य भी करता है। कहते हैं कि संगीत हमारे साथ जन्म से लेकर मृत्यु तक रहता है। मानव के इतिहास में जब भाषा का जन्म नहीं हुआ था, तब लोग आपस में अपने भाव को आदान-प्रदान संगीत के माध्यम से करते थे। यह मानव जगत को ईश्वर का एक अनुपम दैवीय वरदान है। यदि हम ध्यान दें तो हमारे चारों ओर संगीत है, सिर्फ इसे महसूस करने की आवश्यकता है। प्रकृति में संगीत है, धरती के कण कण में संगीत है। पक्षियों की चहचहाहट, झरनों की कल-कल, बैलों के गले में बंधी घंटियां, मंदिर की घंटियां, पेड़ पौधों वनस्पतियों की सरसराहट,  हवाओं की सनसनाहट, वर्षा की बूंदों की आवाज हमें बताते हैं कि संगीत कहां नहीं है ? अर्थात संगीत सर्वत्र व्याप्त है, विराजमान है। संगीत हमारे मन में ताल और लय की अनुभूति जाग्रत करता है। आज के समय में तो आधुनिक संगीत में कई प्रकार की शैलियों जैसे – पॉप, रॉक, देशी, शास्त्रीय, अर्ध शास्त्रीय, लोक संगीत तथा रैप का समावेश हो गया है। जानकारी देना चाहूंगा कि संगीत से हमारे शरीर, मन और प्राण तीनों में शुद्धता और चैतन्यता आती है। सच तो यह है कि संगीत भावनाओं की अभिव्यक्ति है, संगीत हमारे जीवन को फिर से जीवंत करने की क्षमता रखता है। कहते हैं कि दुनिया में संगीत और किताबों से बेहतरीन कोई भी दोस्त नहीं हो सकता है। संगीत की इन्हीं विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक वर्ष इक्कीस जून को विश्व संगीत दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2023 में 21 जून को बुधवार के दिन 42वां विश्व संगीत दिवस मनाया जा रहा है।भारतीय संस्कृति में तो पौराणिक काल से ही संगीत का बहुत महत्व व अस्तित्व रहा है और समस्त देवता गण इसे एक सूत्र में पिरोते आए हैं। ज्ञान की देवी कही जाने वाली देवी सरस्वती को वीणा वादिनी के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है उन्हें भगवान शिव ने संगीत की शिक्षा दी थी और शिव को वेदों के निर्माता ब्रह्मा ने संगीत का ज्ञान प्राप्त हुआ था। इसके बाद माता सरस्वती से यह कला नारद मुनि को प्राप्त हुई जिन्होंने इसे स्वर्ग लोक की अप्सराओं, गन्धर्वों और किन्नरों तक पहुँचाया। भगवान शिव का डमरु हो या कृष्ण की बांसुरी सब से ही सुर-संगीत निकलता रहा है। इनके अलावा इसमें कबीर, रहीम, तुलसीदास और मीरा जैसे अहम नाम शामिल है।

जीवन में संगीत का बहुत बड़ा महत्व होता है‌, क्यों कि संगीत हमारी आत्मा, हमारे मन-मस्तिष्क को बहुत ही सुकून पहुंचाता है और हमारे मन के बोझ को हल्का कर देने की क्षमता रखता है। यदि हम यह कहें कि संगीत अपने आप में एक चमत्कार की भांति है तो इसमें कोई भी अतिश्योक्ति नहीं होगी। इक्कीस जून साल का सबसे लंबा दिन होता है और इस दिवस को मनाने के पीछे एक कारण शायद यह भी है कि संगीत लंबे समय को आसान बना देता है, क्यों कि जब भी कोई व्यक्ति संगीत सुनता है तो उसे समय के लंबा होने का अहसास नहीं होता। संगीत सुनकर कोई भी व्यक्ति अच्छा समय व्यतीत कर सकता है और यह संगीत ही होता है जो आदमी की ‘मोनोटोनी’ यानी कि बोरियत को दूर करने की क्षमता रखता है। जब हम संगीत सुनते हैं तो हम बोरियत महसूस नहीं करते हैं। यह हमारे तनाव, अवसाद को कम करने में सहायक सिद्ध हो सकता है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि संगीत हमारे मूड को अच्छा करता है और हमारे हृदय को शांत व संयमित रखता है।संगीत सुनकर हम स्वयं को बहुत ही रिलैक्स महसूस कर सकते हैं। यहां तक कि चिकित्सा विज्ञान भी संगीत की महत्ता को काफी हद तक स्वीकार करता है और यह मानता है कि संगीत आदमी को एक अलग ही ‘सूदिंग इफेक्ट ‘ दे सकता है। विभिन्न अध्ययनों से यह पता चला है कि  संगीत शरीर में बदलाव लाने की क्षमताओं को रखता है, जो मानव स्वास्थ्य में सुधार करता है।मानसिक शांति के लिए संगीत को अहम माना गया है। आज की बिजी लाइफस्टाइल(भागमभाग और दौड़-धूप भरी जिंदगी) में लोगों को सुकून के दो पल नहीं मिल पाते हैं। इस सुकून को पाने के लिए संगीत एक बेहतर विकल्प है। अगर आप अकेले हैं तो भी संगीत आपका अच्छा साथी बन सकता है। संगीत दिल को आनंद व खुशी देने का काम करता है। जिस प्रकार से किताबें पढ़कर हम अपने मन को बहला सकते हैं, ठीक उसी प्रकार से संगीत सुनकर हम अपने को खुशी प्रदान कर सकते हैं। संगीत आदमी को कभी भी अकेलापन महसूस नहीं करने देता है और जब कोई भी व्यक्ति संगीत सुनता है तो उसे लगता है कि जैसे वह संगीत से बातचीत कर रहा है, संगीत एक अच्छा साथी है। संगीत थेरेपी के बारे में तो हम सभी ने सुना ही है कि किस प्रकार से संगीत थेरेपी स्वास्थ्य को बेहतर बना सकती है। वास्तव में, संगीत की इसी खासियत को सभी तक पहुंचाने और इसकी इलाज में एक कारगर दवा की तरह काम करने की इसकी क्षमता को लेकर संगीत को समर्पित दुनियाभर में हर साल विश्व संगीत दिवस मनाया जाता है। हम यह भी कह सकते हैं कि 

संगीत दिवस को मनाने के पीछे वास्तविक उद्देश्य दुनियाभर के गायकों और संगीतकारों का संगीत के क्षेत्र में योगदान को मान- सम्मान देना है। संगीत दिवस को मनाने के पीछे एक उद्देश्य यह भी है कि लोग संगीत सुनने, सुनाने के प्रति जागरूक हों और विश्व में सदा शांति बनाए रखें। वर्ल्ड म्यूजिक डे का मकसद अलग-अलग तरीके से म्यूजिक का प्रचार-प्रसार करने के अलावा एक्सपर्ट व नए कलाकारों को इक्क्ठा करके एक मंच पर लाना है।जानकारी देना चाहूंगा कि विश्व संगीत दिवस मनाने की शुरुआत सबसे पहले फ्रांस से हुई थी और साल 1982 में पहली बार विश्व संगीत दिवस मनाया गया था। जानकारी मिलती है कि फ्रांस में 1982 में जब पहला संगीत दिवस मनाया गया था तो इसे विश्व के 32 से ज्यादा देशों का समर्थन मिला था और इस दौरान बहुत से कार्यक्रम आयोजित किए गए थे और इस दिवस को मनाने के लिए पूरी राज जश्न मनाया गया था। कहते हैं कि उस समय के फ्रांस के तत्कालीन सांस्कृतिक मंत्री जैक लैंग ने देश के लोगों की संगीत के प्रति दीवानगी को देखते हुए संगीत दिवस मनाने की घोषणा की थी और इस दिन को ‘फेटे ला म्यूजिक’ कहा गया था।जिसका मतलब ‘म्यूजिक फेस्टिवल’ होता है अथार्त् संगीत समारोह या संगीत का त्योहार। हालांकि इससे पहले अमेरिका के एक म्यूजिशियन योएल कोहेन ने भी 1976 में इस दिवस को लेकर अपना विचार प्रकट किया था।आज भारत समेत विश्व के अनेक देश विश्व संगीत दिवस मनाते हैं, जिनमें क्रमशः इटली, ग्रीस, रूस, अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, पेरू, ब्राजील, इक्वाडोर, मैक्सिको, कनाडा, जापान, चीन, मलेशिया को विशेष रूप से शामिल किया जा सकता हैं। अन्य दिवसों की भांति हर साल विश्व संगीत दिवस की एक खास थीम रखी जाती है। वर्ष 2021 में इसके आयोजन को “मेक म्यूजिक डे” का नाम भी दिया गया था और संगीत दिवस 2022 की थीम ‘चौराहों पर संगीत’ (म्यूजिक एट इंटरसेक्शन्स) रखी गई थी। इस बार 2023 में दो साल के विराम के बाद यूरोपियन फोरम ऑन म्यूजिक (EFM) आखिरकार अपने 11वें संस्करण ‘सस्टेन म्यूजिक‘ के साथ वापस आ गया है जिसे बुडापेस्ट, हंगरी में आयोजित किया जाएगा। जानकारी देना चाहूंगा कि हर साल 21 जून के दिन मेक म्यूजिक कंसर्ट का आयोजन किया जाता है जिसमें दुनिया भर के उत्कृष्ट कलाकारों, संगीतकारों, गायकों, रॉक बैंड, मार्चिंग बैंड और रैपर भी हिस्सा लेते है। इसमें टैलेंटेड लोगों को एक मंच प्रदान किया जाता है जहां पर वह अपने आप और अपनी कला को लोगों तक पहुंचाने के लिए स्वतंत्र होते हैं। यह मेक म्यूजिक कंसर्ट पूरी तरह से मुफ्त और जनता के लिए खुले होते हैं। पिछले दो सालों तक कोविड-19 महामारी के चलते प्रभावित इलाकों में इस उत्सव का आयोजन वर्चुअली या डिजिटली किया गया था। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि संगीत हमारे आत्मा का भोजन भी है ।संगीत हमारे दिल और दिमाग की दवा भी है ।संगीत सुनने से संगीत के साथ ही जब हम ध्यान लगाते हैं तब हमारा मन संगीत की लय के साथ आत्मा और अदृश्य शक्तियों में तालमेल कराने का एक माध्यम बन जाता है उस दृष्टिकोण से भी संगीत हमारे जीवन में अहम भूमिका निभाता है। आज रूस यूक्रेन युद्ध काफी समय से चल रहा है। ऐसे में,आज संपूर्ण विश्व को संगीत की जरूरत है। रुस यूक्रेन युद्ध में बहुत जान माल की हानि हो चुकी है, विश्व को आज संगीत से जोड़ने की जरूरत है, क्यों कि संगीत सकारात्मकता लाता है, परिवर्तन लाता है ‌। जीवन में संगीत का आगमन होना बहुत जरूरी है, क्यों कि देखा जाए तो संगीत ही तो जीवन है। बिना संगीत के जीवन नीरस नीरस सा लगता है। आज आवश्यकता इस बात की है कि संगीत के रसायन से हम संपूर्ण विश्व में शांति की कामना करें, उन्नति, प्रगति और मानवजाति का कल्याण बिना संगीत के नीरसता में नहीं बल्कि संगीत की सकारात्मक ऊर्जा में निहित है।

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