चुनाव राजनीति

डराँव, डराँव नहीं हराओ, हराओ … नरेंदरवा हराओ!

-डॉ. मधुसूदन –
modiji

सबेरे जागकर तनिक बाहर झाँक्यो, तो, क्या सुन रियो हूँ?
जंगल से एक ध्वनि आ रही थीं। समझ नहीं पायो, कि काहेकी ध्वनि है? कुतूहलवश समीप जाकर देख्यो, तो क्या देखता हूँ? एक तालाब के किनारे बहुत सारे मेंढक इकठ्ठा होकर, डराँओ डराँओ के बदले हराओ, “हराओ-हराओ-हराओ” का घोष कर रहे हैं?
एक बूढ़े मेंढक को पूछा, कि, आदरणीय चाचा जी, ये किसको हराने को नारो हैं?
बोले अबे मूरख इतनो भी नहीं जानतो?
ये सारे उस नरेंदरवा को हराओ-हराओ-हराओ कह रहे हैं।
सारे देस में एक ही नारो चल रियो है।
“वन पॉइन्ट एजेण्डा”।
नहीं, एजेण्डा पॉइन्टेड टोवार्ड्स ओन्ली वन मॅन।
एक अकेले को हराने के लिए, सारी उठापटक चली है।

पर ये नरेंदरवा कहाँ है? तो बूढ़े मेंढक चाचा ने तर्जनी से दूर संकेत कर दिखाया एक पेड़ के नीचे नरेंदरवा खड़ा था।
दूर, नरेन्दरवा को पेड़ के नीचे खड़ो कियो है, सर पर सेब भी नहीं रख्यो और सारे तीसमारखाँ तीर मार रिया था।
पर एक भी तीर लग नहीं रियो थो।

एक को नाम दिग्विजय जो कुछ थको-सो दिखाइ देतो थो। एक दूसरो बुढ्ढो सिब्बल कहलातो थो।
एक है, स्वयं घोसित ब्यभिचारी मन्नु सिंघवी, अभी फिरसे नौकरी, नहीं चाकरी में आयो है और नरेंदरवा के पीछे पड्यो है।
और भी कई सारा धनुर्धारी तीर मार रिया था, पर कोई भी तीर लक्ष्य पर लग नहीं रियो थो।

एक झाडुवालों, टोपी-मफलर लपेटकर, खाँसतो खाँसतो, बड़ी-बड़ी चुनौतियाँ बक रियो है। नौटंकी को डायलॉग बोल रियो है। चार-छै टोपीवाला सुण रिया है। सर डुला-डुलाकर तालियाँ भी बजा रिया है।
अब कश्मिर के सारे अब्दुल्ले, पण्डितों को हकाल कर …

मैं ने बीच में ही बात काटकर, पूछा “चाचा ये अकेले नरेंदरवा के ही पीछे क्यों ?”

चाचा पण्डिताऊ मिली-जुली लॅग्वेज में बोले, बेटा इसका गुप्त कारण है।
उसका कारण, इनका डर है, कि, सघळा काळा काम जो इन लोगांने किया है, वो बंद हो जावेगा। कारावास भुगतनो पड़ सकतो है।
देस से बाहर भागनो पड़ सकतो है।
नरेंदरवा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलनो चइए। सारा फ्रण्ट एक ही फ्रण्ट पर लड रिया है; मोदी हराओ, मोदी हराओ, मोदी हराओ।

सारी देसद्रोही पार्टियाँ, चीनवादी, इटलीवादी, अमरु वादी, फोर्ड फाउण्डेशन वादी, सारी पार्टियाँ एकजुट होकर अपणा अस्तित्वकी लड़ाई लड़ रइ है।
इस लिए; ये डराँव डराँव नहीं है, बेटा ये हराओ-हराओ है। और सारा मेंढक अपनी आवाज इस गिरनार के सिंह के सामने डराँव डराँव करके डराने का परयास कर रियो है।

ये नरेंदरवा सबकी छुट्टी करवाके रएगो?

ये नरेंदरवा अवैध कामों में व्यस्त लोगांकी बेकारी बढवा देगो। फिर सारो भारत पछतावेगो।
ये नरेंदरवा से मैं पूछू हूँ, कि ये बेचारा काला धंधावालां (काले धंधेवाले) लोग बेकार हो कर कहाँ जावेगा? इतने सारे लोगां को व्यवसाय डुबायो है, वो, क्या नरेंदरवा को चाचो देगो?
मूरख नहीं जानतो, कि, कितनों की रोटी रोजी को परबंध इस शासन ने कियो है ?

गडे मुरदे उखाड़ने का रेकार्ड।
एक सूत्र है इनका==> कोई अच्छासा गडा मुर्दा उखाड़ो।
किसी को वडनगर भेजकर, उसकी बीवी जशोदाबहन को चाहे जितनी घूस दो।
और, उस से कहलवाओ, कि, कहे “मेरे बाप से दहेज माँगने लगा ये नरेंदरवा, हम ठहरे गरीब, ना दे पाए, तो मुझे वापस मायके भेज दिया। अंदर हो जाएगा। चुनाव का अंत होने तक। फिर बाहर आया, तो, फिर कोई अंतर नहीं पडेगा।
उस जशोदाबेन को मालामाल कर दो। पैसे से कौनसा काम नहीं होता? भारत में हमेशा, तो ऐसे ही होता चला आया है; आज तक का इतिहास यही कहता है।
ये भी हो जाएगा। महाभारत में ही, लिखा है, कि “अर्थस्य पुरुषो दासः” मनुष्य पैसे का दास (गुलाम) होता है।
पर ध्यान रखना, ये चड्डी वालों को उकसाना महा कठिन है।
असंभव ही समझो।
पर बीजेपी को तो, आपस में लड़ाया जा सकता है। प्रधानमंत्री पद की लालसा में सारे लड़ेंगे। प्रधानमंत्री पद के लिए सभी को लड़ाओ। झूट-मूट का प्रवाद फैलाओ, कि अडवाणी को प्रधानमंत्री पद चाहिए था।
अरे अज्ञानी ये हमार मेंढकों की समस्त जाति की, रोटी रोजी का प्रश्न है।

अमरिका को फोर्ड फाउण्डेशन, डालर को पानी की भांति क्यों बहा रह्यो हय?
भारत अब भी तीसरे क्रम पर है। अब नरेंदरवो जीत गयो तो अमरिका को, संसार भर में, सारो बैठो बिठायो ढाँचो बिगड जावेगो। आजकल डॉलर के सामने नरेंदरवा की बढ़त का समाचार ही, रुपए का दाम ऊंचा चढ़ा रिया है। और डॉलर नीचे गिरा रिया है।
अब तुम्हीं बताओ, कि, अमरिका भारत के चुनावी महाभारत में इंटरेस्ट क्यों ले रियो है?

माफिया डरा हुआ है। आतंकवादी आस लगाए बैठा हैं। कालाबाजारी और भ्रष्टाचारी त्राहिमाम पुकार रहे हैं।
भारत में महाकाय अपराधी माफिया का गठबंधन; जो कुछ, नेताओं की जानकारी और अधीक्षकों की निगरानी में चलता-पलता है। अनेक (मल्टाय ट्रिलियन) ट्रिलियन डॉलर लेन-देन वाला, माफ़ियाओं का बड़ा जाल है। यह काले धन से चलनेवाला अवैध व्यापार है। खाद्य पदार्थ, जल, बिजली, प्राकृतिक संसाधन, मुद्रा, स्टाम्प पेपर, अवैध कतलखाने, ऐसे अनेक अवैध कामों में काले लेन-देन से जुड़ा हुआ है। नरेंद्र मोदी ने इनकी टांगे गुजरात में तोड़ दी है। वहां तो, ये बेकार हो चुके हैं।

अमरिका चाहतो है, कि, पाकिस्तान की भांति भारत को शासन भी बिकत ले लियो जाय। अब तक रूपए का दाम गिरा हुआ है। उसे और गिराया जाए। जानो, कि, ७० के दशक में एक डालर= ४.७६ रुपए का भाव था। आज एक डालर=६० से ६२ रुपया चल रहा है। १९४७ में एक डॉलर= एक रुपया था। बहुत प्रगति की भारत ने,

अब तुम्ही बताओ कि अमरिका झाडुवालों को क्यों फण्डींग कर रियो है? ये झाडुवाला भ्रष्टाचार विरोधी नहीं, नरेन्दरवा का विरोधी हैं।

कोई दंगा बंगा करवाओ।
१० जनपथ से बोल रियो हूँ।
यार! इस मोदी के गुजरात में क्या, २००२ के बाद दंगा भी नहीं हुआ? अचरज है।
कोई दंगा बंगा करवाओ।
थोड़ी दंगाखोरी के बिज़नेस में तेजी लाओ।
पर सुना है, कि, वहाँ के बहुतेरे मुसलमान भी नरेंदरवा को साथ दे रहे हैं ?
मुझे तो प्रश्न है, कि, क्या, ये गुजरात के मुसलमान भी बिक चुके हैं? या वे सच्चे मुसलमान भी है, या नहीं?
कोई सुपारी लेनेवाला ढूंढ़ो- नहीं मिलता क्या? पड़ोसी पाकिस्तान कब काम आयेगा ? ऐसे संकट में पड़ोसी पाकिस्तान भी काम न आया तो क्या काम का?
शैतान ने क्या क्या कर रखा है।
अहमदाबाद में २४ घण्टे पानी देता है। क्या लगभग सारे गुजरात में पानी मिलता है?
किंतु इस २४ घण्टोंवाले अहमदाबाद के समाचार पर विश्वास नहीं होता। लगता है, ये जूठा प्रचार किया जा रहा है। कांग्रेसवालों को अहमदाबाद पर झूठ फैलाने के लिए न्यायालय में जाना चाहिए। ये निर्वाचन आयोग क्या कर रहा है?
यहाँ दिल्ली में जब केजरीवालों से ७०० लीटर पानी मिलनेका समाचार था। तो अहमदाबाद में २४ घण्टे पानी? हो ही नहीं सकता!

नर्मदा की नहर के उपर सौर ऊर्जा ग्रहण करने वाली छत, लगा रखी हैं राक्षस ने। एक तो पानी पर छाया करके, सूरज की गरमी से पानी बचाता है; और साथ साथ चालबाज़ सौर ऊर्जा से, बिजली का निर्माण भी कर लेता है। कहाँ से लाता है ऐसी युक्तियाँ, है बड़ा चालाक।
सुनते हैं कि, सूखे कच्छ में भी पानी पहुंचा दिया है। सारी योजनाएँ हमारी ही कांग्रेस की ही थी, पर क्रेडिट नरेंदरवा ले रहा है। यह आइडिया चुराता है।
चूहे अभी ही हमारे जहाज से कूद-कूदकर बाहर भाग रहे हैं। एक ऐसा दिन नहीं जाता, कि, कोई चूहा कूदकर भाग नहीं जाता।

डराँव डराँव नहीं हराओ-हराओ-हराओ… नरेंदरवा हराओ नहीं तो हम मरे!