नरेंद्र मोदी की प्रतीक्षा में उतावला राष्ट्र

आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी की चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष गुजरात के मुख्यमंत्राी नरेंद्र मोदी जबसे बने हैं, तबसे पूरे देश में एक अजीब हलचल देखने को मिल रही है। देशवासियों को लगता है कि अब सब कुछ ठीक होने वाला है। यूपीए सरकार के नेतृत्व में सोये राष्ट्र की जागने की संभावना बन रही है। श्री नरेंद्र मोदी ने अपनी तरफ से अपने लिए किसी प्रकार का प्रचार-प्रसार किया या करवाया हो, ऐसा भी नहीं कहा जा सकता।
श्री मोदी को लेकर आज पूरे राष्ट्र में जिस प्रकार का उत्साह देखने को मिल रहा है, वह स्वतः स्फूर्त है। इसे ऊपर वाले की कृपा माना जाये या देश का सौभाग्य कि श्री नरेंद्र मोदी जैसी शख्सियत का आगाज भारत की राष्ट्रीय राजनीति में हुआ है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि बदलाव की जो संभावना बनी है, उसका वाहक भाजपा ही बन रही है।
चूंकि, हिन्दुस्तान की राजनीति में सभी दल अपने पुराने रवैये एवं स्थापित नेतृत्व के आधार पर ही चल रहे हैं। तमाम दलों में वंशवाद एवं परिवारवाद लगातार परवान चढ़ता जा रहा हैं। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के अंदर यदि एक राज्य का मुख्यमंत्राी स्वाभाविक तरीके से पार्टी की शीर्ष राजनीति में आ जाये तो यही कहा जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी पूर्ण रूप से एक लोकतांत्रिक पार्टी है। समयानुसार यहां स्वतः नेतृत्व परिवर्तन होता रहता है। सामान्य से सामान्य व्यक्ति शीर्ष पदों पर अपनी मेहनत एवं काबिलियत के दम पर पहुंच जाता है। कमोबेश ऐसी स्थिति भारत के किसी अन्य दल में देखने को नहीं मिलती है।
राष्ट्रीय राजनीति में चूंकि, कांग्रेस पार्टी सहित किसी अन्य दल में शीर्ष स्तर पर कोई खास परिवर्तन देखने को नहीं मिल रहा है। यदि किसी दल में कोई परिवर्तन हुआ है तो वह भारतीय जनता पार्टी ही है। चूंकि, भारतीय जनता पार्टी देश का प्रमुख विपक्षी दल है, इसलिए यदि उसमें कोई परिवर्तन या हलचल होगी तो उसकी गूंज पूरे देश में स्वाभाविक है।
श्री नरेंद्र मोदी के आने से पहले भाजपा की जो रीति-नीति थी, क्या उसमें किसी प्रकार के आमूल-चूल परिवर्तन होने की संभावना है, इस बात की चर्चा पूरे देश में है। वैसे भारतीय जनता पार्टी विचारधारा पर आधारित पार्टी है। नेतृत्व परिवर्तन से पार्टी की रीति-नीति एवं विचारधारा में कोई खास परिवर्तन नहीं होता है किंतु चूंकि भारतीय जनता पार्टी देश का प्रमुख विपक्षी दल है। ऐसे में यह बात बिल्कुल महत्वपूर्ण है कि उसका नेतृत्व कौन कर रहा है?
बीजेपी का नेतृत्व अभी तक इस बात पर अधिक जोर दे रहा था कि किसी भी कीमत पर सहयोगी दलों की संख्या बढ़ाई जाये लेकिन जबसे श्री नरेंद्र मोदी भाजपा की शीर्ष भूमिका में आये हैं तबसे पार्टी में इस बात की चर्चा तेजी से होने लगी है कि पहले अपने दम पर स्वतः बहुमत लाने का प्रयास किया जाये। यदि अपने दम पर ही पार्टी को पूर्ण बहुमत मिल जाता है तो बहुत अच्छी बात है। यदि थोड़ी-बहुत कमी रह जाती है तो उसके बाद सोचा जा सकता है किंतु अभी से सिर्फ सहयोगी दलों पर आश्रित रहा जायेगा तो पार्टी की नैया पार नहीं लग सकती है।
श्री नरेंद्र मोदी का साफ तौर पर मानना है कि हमारी पहली प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा सांसदों की संख्या किसी भी कीमत पर कांग्रेस से अधिक की जाये। यदि कांग्रेस को भाजपा से एक सीट भी अधिक मिल जाती है तो वह ‘येन-केन प्रकारेण’ दिल्ली की सत्ता पर कब्जा करने में कामयाब हो जायेगी, इसलिए अभी सारा ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि पार्टी पूरी क्षमता से चुनाव लड़े और आपने सांसदों की संख्या बढ़ाने का काम करे।
इस दृष्टि से यदि विश्लेषण किया जाये तो भारतीय जनता पार्टी में श्री नरेंद्र मोदी एक ऐसे नेता के तौर पर उभरें हैं जिनकी कथनी-करनी में अंतर नहीं रहा है। उन्होंने जो कुछ कहा, करके दिखाया। गुजरात के साथ-साथ उनकी विश्वसनीयता आज पूरे देश में बरकरार है। शायद यही कारण है कि देश का हर तबका उनके नेतृत्व के लिए उतावला हो रहा है। वे सिर्फ भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा एवं रीति-नीति पर ही खरे नहीं उतरे हैं, बल्कि पूरे देश के सामने एक साफ-सुथरी सरकार देने का काम किया है। गुजरात का मुख्यमंत्राी रहते हुए उन्होंने न सिर्फ गुजरात के लोगों का दिल जीता है, बल्कि पूरे देश में अपनी एक अमिट छाप छोड़ी है।
श्री मोदी के नेतृत्व में गुजरात में विकास का एक ऐसा मॉडल पेश हुआ है, जिसे जानने एवं समझने के लिए पूरा देश उत्सुक है। उनके नेतृत्व में गुजरात में सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार बहुत कम हुआ है। गुजरात में घूमते हुए लोग अपने आप को काफी सुरक्षित महसूस करते हैं। गुजरात में अमीर-गरीब हर कोई अपने आपको महफूज महसूस करता है। कारपोरेट घरानों के लिए निवेश के मामले में गुजरात सबसे सुरक्षित राज्य साबित हो रहा है।
श्री नरेंद्र मोदी के विरोध में कुछ लोग तर्क देते हैं और उनका यह मानना है कि श्री मोदी के आने के बाद देश का सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की आशंका है तो मैं ऐसे लोगों को बताना चाहता हूं कि इस समय गुजरात में जिस प्रकार का अमन-चैन का माहौल है उससे और राज्यों को प्रेरणा मिल रही है। गुजरात में लोग बिना किसी खौफ के अपना काम कर रहे हैं। महिलाएं देर रात तक बिना किसी भय के कहीं भी आ-जा रही हैं। गुजरात की शख्त कानून व्यवस्था के कारण ही विदेशी कारोबारी गुजरात में पूंजी का निवेश कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में आज जिस पार्टी की सरकार है, वह पार्टी अपने आपको धर्मनिरपेक्षता का सबसे बड़ा झंडाबरदार समझती है। आज उत्तर प्रदेश में देखा जाये तो यह बात आसानी से समझी जा सकती है कि वहां किस कदर अमन-चैन एवं सौहार्द का वातावरण है। तनाव चाहे जिस वजह से भी पैदा हो, किंतु उसे नियंत्रित करने की जिम्मेदारी किसी भी कीमत पर राज्य सरकार की होती है। सरकार यदि सौहार्द बनाये रखने में कामयाब नहीं होती है तो यह उसकी नाकामी मानी जायेगी। यदि इस लिहाज से भी देखा जाये तो श्री नरेंद्र मोदी बहुत सफल मुख्यमंत्राी साबित हुए हैं।
श्री नरेंद्र मोदी के बारे में कुछ लोगों का ऐसा भी मानना है कि एक राज्य का शासन चलाने एवं पूरे देश का शासन चलाने में बहुत अंतर है। ऐसे लोगों को यह बात समझनी चाहिए कि किसी भी राज्य का मुख्यमंत्राी चाहे वह छोटे राज्य का हो या बड़े, भारतीय राजनीति का अभिन्न अंग होता है। समय-समय पर राष्ट्रीय स्तर पर राज्य एवं मुख्यमंत्रियों की रेटिंग होती है। प्रशासनिक दृष्टि से राष्ट्रीय स्तर पर उनकी हमेशा मीटिंग होती रहती है। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से राज्य देश की राष्ट्रीय धारा से अनवरत जुड़े रहते हैं। ऐसे में यदि यह कहा जाये कि श्री मोदी देश नहीं चला सकते तो इसे कहीं से भी उचित नहीं कहा जा सकता है। गुजरात को जिस तरह लोगों ने तरक्की करते देखा है, उससे लोगों में यह उम्मीद जगी है कि यदि श्री मोदी को राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व करने का मौका मिले तो उसका लाभ पूरे देश को मिल सकता है।
प्रधानमंत्राी या मुख्यमंत्राी प्रत्यक्ष रूप से न तो हर काम कर सकते हैं, न ही हर काम का निरीक्षण कर सकते हैं किंतु शासन-प्रशासन में नेतृत्व की एक ‘हनक’ होती है। इसी ‘हनक’ से शासन-प्रशासन सुचारु रूप से संचालित होता है। यदि किसी भी व्यक्ति के मन में यह भय हो कि यदि वह कोई गलत काम करेगा तो उसकी सजा उसे अवश्य मिलेगी तो वह गलत काम करने से पहले सौ बार सोचेगा। गुजरात के मुख्यमंत्राी के प्रति लोगों के मन में इसी प्रकार की धारणा है कि राज्य में किसी प्रकार की गड़बड़ी होने पर कोई बख्शा नहीं जायेगा। यही कारण है कि गुजरात में कानून व्यवस्था अपने हाथ में लेने की हिम्मत कोई नहीं करता।
आज देश में कहीं भी कोई आतंकी घटना घटित होती है या हमारे सैनिकों का सिर काटकर पाकिस्तानी सैनिक ले जाते हैं तो मन में यही भाव पैदा होता है कि काश हमारे देश में भी कोई ऐसी सरकार होती जो पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देती। इस संबंध में यदि श्री नरेंद्र मोदी की चर्चा की जाये तो पूरे देश को इस बात का विश्वास है कि उनकी देख-रेख में देश की सीमाएं सुरक्षित होंगी और दुश्मनों की इतनी हिम्मत नहीं होगी कि वह भारत की तरफ आंख उठाकर देख सकें।
आज यूपीए सरकार में आये दिन यदि भ्रष्टाचार के नये-नये कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं तो उसका यही कारण है कि प्रधानमंत्राी डॉ. मनमोहन सिंह की शासन में इतनी ‘हनक’ ही नहीं है कि भ्रष्टाचारियों के मन में इस बात का खौफ पैदा हो कि पकड़े जाने पर किसी भी कीमत पर बख्शे नहीं जायेंगे। गुजरात में कोई भ्रष्टाचार करके देखे तो उसे स्वतः समझ में आ जायेगा कि उसका क्या अंजाम होता है? एक बहुत ही प्रचलित कहावत है कि शासन-प्रशासन ‘हनक’ से चलता है। एक कुशल शासक के रूप में श्री मोदी की जो ‘हनक’ है, उसे पूरा देश जानता है। जो लोग यह कहते हैं कि श्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय राजनीति के नये खिलाड़ी हैं तो उन्हें यह बात अच्छी तरह समझनी चाहिए कि गुजरात का मुख्यमंत्राी बनने से पहले वे भारतीय जनता पार्टी में राष्ट्रीय स्तर पर ही काम कर रहे थे।
गौरतलब है कि श्री मोदी भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्राी रह चुके हैं। आज यदि देश-विदेश के उद्योगपति श्री मोदी की नीतियों से प्रसन्न हैं तो इसका सीधा-सा अर्थ है कि वे भी देश में एक मजबूत नेता का नेतृत्व चाहते हैं। जो कमी प्रधानमंत्राी डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व के कारण उत्पन्न हुई है, वह श्री मोदी पूरी कर सकते हैं ऐसा विश्वास पूरे देशवासियों को है।
नेतृत्व की बात की जाये तो प्रधानमंत्राी डॉ. मनमोहन सिंह दस साल से लगातार प्रधानमंत्राी हैं, पांच साल तक वित्तमंत्राी रहे और पांच साल तक राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे फिर भी उनके बारे में यही कहा जाता है कि वे गैर राजनीतिक व्यक्ति हैं। किसी भी व्यक्ति को पूरी तरह राजनैतिक बनने के लिए कितना समय चाहिए? यदि इसके लिए प्रधानमंत्राी डॉ. मनमोहन सिंह को उदाहरण के तौर पर सामने रखा जाये तो इस सवाल का जवाब मिलना असंभव है।
कहने का आशय यही है कि इतने दिनों तक राष्ट्रीय राजनीति में रहने के बावजूद वे अभी राजनीति को समझ नहीं पाये हैं किंतु मेरा मानना है कि श्री मोदी के साथ ऐसा नहीं है। उन्हें गुजरात के साथ-साथ पूरे देश की चिंता रही है, इसीलिए आज पूरा देश उनके नेतृत्व के लिए इंतजार कर रहा है। निश्चित रूप से इसे ईश्वरीय कृपा ही कहा जायेगा कि भारत को श्री मोदी का नेतृत्व मिलेगा और सब कुछ ठीक होता चला जायेगा।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि श्री मोदी की पूरे देश में जो विश्वसनीयता है, वह एक-दो दिन में नहीं बनी। इसके लिए उन्होंने एक लंबा सफर तय किया है। प्रामाणिकता की कसौटी पर वे खरा उतरे हैं इसीलिए आज उनके प्रति लोगों में जो दीवानगी देखने को मिल रही है, उसका लाभ भविष्य में राष्ट्र को निश्चित रूप से मिलेगा। श्री मोदी के नेतृत्व में भारत फिर से अपना गौरव हासिल करेगा, ऐसा पूरे देश की जनता को यकीन है।
अरूण कुमार जैन

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