कश्मीर में नई सुबह का आगाज , ख़त्म हुआ एक इतिहास – – – !

 प्रभुनाथ शुक्ल

जम्मू-कश्मीर पर केंद्र सरकार का फैसला अपने आप में ऐतिहास है। पूरे देश में जश्न का महौल है। लेकिन इस फैसले से वोटबैंक की राजनीति करने वालों को गहरा आघात पहुंचा है। कश्मीर पर सारी अटकलें और संशय खत्म हो गए हैं। मोदी सरकार के मिशन कश्मीर की सारी तस्वीर साफ हो गई है। जिसकी आशंका जतायी जा रही थी वहीं हुआ। सरकार राज्य से धारा-370 हटाने के लिए कदम बढ़ा दिया। गृहमंत्री अमितशाह ने संसद में इसे हटाने की सिफारिश भी पेश कर दिए। जम्मू-कश्मीर को विशेष नागरिक सुविधा देने वाली धारा-35 ए को खत्म कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर राज्य अब एक और हिस्से बंट जाएगा, दूसरा राज्य लद्दाख होगा।निश्चित तौर पर केंद्र की मोदी सरकार का राष्टीय सुरक्षा पर बड़ा फैसला आया है। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा और सुविधाएं देने वाली धारा 35 को खत्म कर उसे भारतीय गणराज्य के सामान नागरिक अधिकारों से जोड़ दिया गया है। अब आप वहां जमींन भी खरीद सकते और शादियां भी कर सकते हैं। क्योंकि 35 ए का आदेश राष्टपति की तरफ से दिया गया था। लिहाजा उसे उन्हीं तरीके से खत्म कर दिया गया है। मोदी सरकार के निर्णय से कांग्रेस और पूरा विपक्ष सख्ते हैं। लेकिन पूरा देश सरकार के साथ खड़ा है। क्योंकि कश्मीर एक देश एक कानूनी की तरफ बढ़ रहा है। गृहमंत्री अमितशाह राज्यसभा में यह संवैधानिक संशोधन पेश कर कश्मीरी नेताओं और अलगाव वादियों को जमींन दिखा दिया है। लिहाजा अब धारा-370 का भी कलंक जल्द मिट जाएगा। देश के लिए गौरव की बात है। कांग्रेस तुष्टीकरण की नीति अपना कर सिर्फ वोटबैंक की राजनीति करती रही जिसकी नतीजा है वह पूरे देश से खत्म हो गई और कश्मीर आज वह साफ नीति नहीं बना पायी है।
राज्यसभा में गृहमंत्री अमितशाह की तरफ से धारा-35 ए खत्म होने की सूचना देश की राजनीति में भूचाल आ गया है, लेकिन सरकार को कोई खतरा नहीं है। क्योंकि सरकार के पास बहुमत से अधिक अंक हैं। लिहाजा विपक्ष के पास सिर पीटने के अलावा कोई मुद्दा नहीं है। दूसरी बात सरकार ने इस तरह का कोई गलत कदम भी नहीं उठाया है जिसके खिलाफ देश के लोग हों। देश के लोगों की जो इच्छा थी सरकार ने वही काम किया है। लेकिन प्रतिपक्ष के सीने पर सांप लोटने लगा है। क्योंकि विपक्ष के पास सिर्फ सिर पीटने के अलावा उसके पास कुछ नहीं है। संसद में केवल वह घड़ियाली आंसू बहा रहा है। मोदी सरकार के साहसिक फैसले ने विपक्ष के नेताओं और कश्मीर के अलगाव वादियों को अलग-थलग कर दिया है। सरकार के इस फैसले के बाद अलगाव वादियों और आतंवादियों की सक्रियता देश और जम्मू-कश्मीर में बढ़ सकती है। पाकिस्तान के साथ भारत विरोधी इस्लामिक देश अस्थिर करने की साजिश रच सकते हैं। वैश्विक मंच पर अफवाहें फैलायी जा सकती हैं। भारत विरोधी मुहिम में लगे लोग वैश्विक एकजुटता दिखा सकते हैं। लेकिन अब दौर गुजर गया है भारत हर स्थिति का मुकाबला करने में सक्षम है।कश्मीर में किसी भी हालात से निपटने के लिए सरकार ने पूरा इंतजाम कर लिया है। पूरे जम्मू-कश्मीर को सेना के हवाले कर दिया गया है। नागरिक सुरक्षा और सतर्कता को लेकर सारे आदेश पहले ही जारी किए जा चुके हैं। मीडिया और प्रबुद्ध वर्ग पहले ही यह आशंका जता रहा था कि सरकार कश्मीर पर साहसिक निर्णय ले सकती है। 
भारत सरकार के तत्कालीन राष्टपति डा. राजेंद्र प्रसाद ने धारा-370 के तहत कश्मीर के नागरिकों को विशेष सुविधा के लिए 14 मई 1954 को धारा 35 एक का विशेष आदेश जारी किया था। 1956 में जम्मू-कश्मीर के संविधान में वहां की नागरिकता को परिभाषित किया गया। जिसके अनुसार 1954 के पूर्व या यह कानून लागू होने के 10 साल पहले से जो लोग कश्मीर में निवास कर रहे हैं यहां के नागरिक माने जाएंगे। राज्य को मिले इस विशेष दर्जे के अनुसार देश के दूसरे राज्य का वहां कोई भी व्यक्ति यहां जमींन नहीं खरीद सकता था और न ही वहां की नागरिकता हासिल कर सकता था। शरणार्थियों को वहां सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती थी। वोट देने का अधिकार नहीं था। स्कूलों में उनके बच्चों का दाखिल तक नहीं हो सकता था। वहां की लड़की अगर किसी बाहरी व्यक्ति से शादी कर लिया तो उसे वहां की नाागरिकता नहीं मिलती थी। हालांकि यह कानून संसद के जरिए नहीं पारित था। यह केवल राष्टपति की तरफ से दिया गया विशेष अधिकार था। जिसे मोदी सरकार ने साहत दिखाते हुए राष्टपति के जरिए ही खत्म कर दिया। निश्च तौर पर अपने आप में यह बड़ा और ऐतिहासिक फैसला है।
जम्मू-कश्मीर राज्य को विभाजित कर भाजपा ने कश्मीर और पाकिस्तान राग अलापने वाले नेताओं को जमींन दिखा दिया है। लद्दाख को अलग राज्य बनाकर वहां सीटों को नए जरिए से परिसीमित कर लोकतंत्र की नई जमींन तैयार की जाएगी। देश के सुरक्षा के लिहाज से भी सरकार ने यह बड़ा कदम उठाया है। कोई भी व्यक्ति सरकार के फैसले विरोध में नहीं खड़ा है। सिर्फ चुनावी और वोट बैंक की राजनीति करने वाले आंसू बहा रहे हैं। सरकार की इस नीति से कश्मीर अब पूरे नियंत्रण में होगा। अलगाववादी अपने आप बिल में घुस जाएंगे। आतंकवाद का सफाया होगा। क्योंकि नये गठन के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख पर केंद्र का सीधा नियंत्रण होगा। राज्य सरकार उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं कर पाएगी। कश्मीर देश की सुरक्षा के लिहाज से अहम राज्य है। पाकिस्तान और चीन की कुटिल नीति की वजह से देश की सामरिक सुरक्षा के लिए वहां स्थितियां अनुकुल नहीं थी। लेकिन सरकार के इस निर्णय के बाद स्थितियां बदलेंगी और इस फैसले से जम्मू-कश्मीर का सारा नियंत्रण केंद्र सरकार के अधीन होगा। सरकार ने इस फैसले ने अमेरिका को भी जमींन दिखाई है। जिसमें अमेरिकी राष्टपति डोनाल्ड टंप कश्मीर मसले पर मघ्यस्तता का राग अलाप रहे थे। भारत सरकार का यह फैसला दुनिया को एक नया संदेश देने में कामयाब हुआ है। इसके अलावा पाकिस्तान और चीन के लिए भी कड़ा संदेश है। 
मोदी सरकार कश्मीर के राजनैतिक दलों, अलगाव वादियों, आतंकवादियों और पाकिस्तान से निपटने के लिए सारी तैयारी कर लिया है। जम्मू-कश्मीर में भारी तादात में फोर्स तैनात कर दी गयी है। नागरिक सुरक्षा को देखते हुए सारी हिदायतें पहले की जारी की जा चुकी थीं। भारतीय लोकतंत्र के लिए यह दिन बेहद खास है। इतिहास की भूल को सुधारते हुए राष्टहित में यह कदम स्वागत योग्य है। इस मसले पर सरकार की जीतनी तारीफ की जाय वह कम है। कश्मीर से 370 हटने का भी रास्ता साफ हो गया है। देश में अब एक साफ-सुथरी राजनीति का दौर शुरु हुआ है। अब लोकतंत्र को सिर्फ सत्ता तक पहहुंचने का जरिया समझना बड़ी भूल होगी। देश की जनता जो चाहती है उसे सरकारों को हरहाल में पूरा करना होगा। अ बवह दौर आ गया है जब अलगाव वादियों को वंदेमातरम् और जयहिंद बोलना होगा। जम्मू-कश्मीर में अब सिर्फ भारतीय तिरंगा लहराएगा। जम्मू-कश्मीर को एक नयी आजादी मिली है। इसका स्वागत करना चाहिए। सरकार को अलगाव वादियों को सबक सीखाना चाहिए। लेकिन नागरिक अधिकारों का दमन न हो इसका विशेष खयाल रखना होगा। 

 ! ! समाप्त! ! 

 स्वतंत्र लेखक और पत्रकार 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

12,753 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress