नया सफ़र

0
266

life1लगता है जैसे

वे कर रहे हों एक तैयारी

आज शायद उनकी

आ गयी है बारी

क्या खोया, क्या पाया

ठीक से समझ रहे हैं

गुजरा हुआ एक एक पल

फिर से जैसे जी रहे हैं

कभी ख़ुशी,

तो कभी गम के आंसू

स्वतः निकल रहे हैं

डाक्टरों ने

जवाब दे दिया है

बेतार माध्यम ने

तुरंत यह खबर

परिजनों को दे दिया है

एक एक कर

सब आने लगे हैं

पहुँचते ही

उन्हें छू कर रोने लगे हैं

घर भर गया है

माहौल ग़मगीन

हो गया है

आंसू से फर्श तक

गीला हो गया है

तभी उनकी

लड़खड़ाती  आवाज  गूंजती है

काहे  का यह रोना धोना

हर किसी को तो

एक-न-एक दिन है जाना

मैंने तो फिर भी

खेली है लम्बी पारी

बस अब तो

एक नये सफ़र की है तैयारी  !

Previous articleराखी का त्यौहार‌
Next articleमोदी का पटेल प्रेम
स्वतंत्र लेखन अब तक धर्मयुग, दिनमान, कादम्बिनी, नवनीत, कहानीकार, समग्रता, जीवन साहित्य, अवकाश, हिंदी एक्सप्रेस, राष्ट्रधर्म, सरिता, मुक्त, स्वतंत्र भारत सुमन, अक्षर पर्व, योजना, नवभारत टाइम्स, हिन्दुस्तान, प्रभात खबर, जागरण, आज, प्रदीप, राष्ट्रदूत, नंदन सहित विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में अनेक रचनाएँ प्रकाशित ।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,024 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress