मेरे जीने की रफ्तार कम तो नहीं- श्यामल सुमन

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mere jivanमौत आती है आने दे डर है किसे, मेरे जीने की रफ्तार कम तो नहीं

बाँटते ही रहो प्यार घटता नहीं, माप लेना तू सौ बार कम तो नहीं

 

गम छुपाने की तरकीब का है चलन, लोग चिलमन बनाते हैं मुस्कान की

पार गम के उतर वक्त से जूझकर, अपनी हिम्मत पे अधिकार कम तो नहीं

 

था कहाँ कल भी वश में ना कल आएगा, हर किसी के लिए आज अनमोल है

कई रोते मिले आज, कल के लिए, उनके चिन्तन का आधार कम तो नहीं

 

लोग धरती पे आते हैं रिश्तों के सँग, और बनाते हैं रिश्ते कई उम्र भर

टूट जाते कई उनमे क्यों सोचना, कहीं आपस का व्यापार कम तो नहीं

 

जिन्दगी होश में है तो सब कुछ सही, बोझ माना तो हर पल रुलाती हमे

ये समझकर अगर तू न समझा सुमन, तेरी खुशियों का संसार कम तो नहीं।

 

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