—विनय कुमार विनायक
हे मानव अपनी दुर्गति के लिए
ईश्वर खुदा रब को कसूरवार नहीं ठहराना
ईश्वर ने सद्गति का पूरा सरंजाम कर दिया है!
हे मानव ईश्वर को अकाल मृत्यु के लिए
जिम्मेदार नहीं ठहराना बदनाम नहीं करना
ईश्वर ने संपूर्ण जीवन का इंतजाम कर रखा है!
हे मानव ईश्वर को अपनी नुकसान के लिए
इल्जाम ना लगाना खुद को दुष्कर्म से बचाना
ईश्वर ने स्वाभाविक मौत का वरदान दे रखा है!
अपनी मृत्यु का कारण जीव स्वयं होता है
व्यर्थ ही मानव ईश्वर या प्रकृति को कोसता है
मानव अपनी बुराइयों को पहचान नहीं पाता है!
हे मानव अपनी नाश और दुर्दशा के लिए
ईश्वर को कभी नहीं कोसना ना आड़े हाथ लेना
आदमी अगर दुःखी है तो अपनी सोच के कारण से!
हे मानव अपनी मानवता को बचाए रखना
मानवता को कुचलने वाला कोई भगवान नहीं होता है
मानवता को बचाना या मारना मानव का ही काम होता है!
हे मानव तुम जो भी हो सोच की वजह से हो
वैसी सोच नहीं रखना जो हर जगह तबाही मचाती हो
समय-समय में सोच सुधारो सोच ही भाई या कसाई बनाती है!
—विनय कुमार विनायक