एक गाँव है मेरा | ( किसी की यादें )
एक गाँव है मेरा
जहाँ शाम है , और है सबेरा
जहाँ ठंडी हवाओ में उड़ती होंगी तितलियाँ
यादों की स्वर में गूंजता होगा घर आंगन मेरा
एक गाँव है मेरा
जहाँ शाम है और है सबेरा
गाँव में लगें मेले
होंगे मिठाईयां और होंगे ठेले
लगा होगा झुला
जिस पे जुलता होगा यार मेरा
एक गाँव है मेरा
जहाँ शाम है और है सबेरा
राह तकता होगा बापू मेरा
सिसकती होंगी माँ की आंखे
याद में मेरे
कहती होंगी इन्तीजार है तेरा
एक गाँव है मेरा
जहाँ शाम है और है सबेरा राकेश कुमार पटेल ( बाबू )