दुलीचंद कालीरमन
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जब से राजनीतिक रूप से होश संभाला था | भारत की राजनीतिक व्यवस्था पढ़ते-
पढ़ते एक शब्द कान में शीशे की तरह पड़ता था और वह था धारा-370 | “कश्मीर से
लेकर कन्याकुमारी तक भारत एक है”- यह नारा जब भी लगाते थे तो दिल दिमाग में
कहीं न कहीं धारा-370 की टीस उठती थी |
केंद्र में अनेक सरकारी आई और गई लेकिन इस धारा-370 में अपने पैर समय के
साथ-इतने मजबूत कर लिए थे कि कश्मीर के लोगों के दिलों में भारत के प्रति प्रेम के
बीच यह धारा आकर खड़ी हो जाती थी | समय के साथ यह फलती फूलती गई इसकी
अन्य एक शाखा धारा 35-A के नाम से जानी जाने लगी जो भारतीय संविधान में
राष्ट्रपति के आदेश से शामिल कर ली गई थी |
क्योंकि नरेंद्र मोदी सरकार का नारा है कि “सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास”
| लेकिन इस नारे पर धारा-370 खरी नहीं उतरती थी | इस धारा को सबका विश्वास
नहीं था केवल अलगाववादी मानसिकता के लोग तथा स्वार्थी राजनीतिक दल इसके
साथ खड़े थे | इससे सबका विकास भी नहीं हुआ क्योंकि लद्दाख और जम्मू संभाग के
संसाधनों का अपहरण केवल कश्मीर घाटी द्वारा कर लिया जाता था | इसके द्वारा
सबका विश्वास भी नहीं जीता जा सका तभी तो लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाने के
बाद लेह में उत्सव जैसा माहौल बन गया था |
जब भी इस धारा के निराकरण की बात होती थी या “टेलीविजन के शेर” बहस करते थे
तो यह बड़ी पेचीदा लगती थी | हर भारतीय मन मसोसकर रह जाता था कि कब जम्मू-
कश्मीर में कोई राष्ट्रवादी सरकार बनेगी कब वह अपना धारा-370 को हटाने का
प्रस्ताव पास करके केंद्र सरकार को भेजेंगे | कब केंद्र सरकार उसे संसद में पास करेगी
और तब जाकर धारा-370 को हटाया जा सकेगा | यह झूठ इतनी बार और इतने तरीके
से बोला गया कि हम खुद भी इस पर यकीन करने लग गए थे |
इस श्री अमर नाथ यात्रा चल रही थी | लाखों श्रद्धालु अमरनाथ गुफा के दर्शन कर चुके
थे | बर्फ से बने शिवलिंग देखने में तो शांत लग रहा था लेकिन जब कश्मीर में अगस्त
के प्रथम सप्ताह में अतिरिक्त केंद्रीय बलों की टुकड़िया हवाई मार्ग से उतरने लगी तो
कहीं ना कहीं शिव-तांडव की तैयारी लगने लगी थी | “राजनीतिक अशांत आत्माएं”
घबराने लगी | कभी दिल्ली तो कभी कश्मीर के सत्ता के गलियारों में भिन्न-
भिन्नआने लगी | उनको यह तो पता था कि “शिव-तांडव” होगा लेकिन यह नहीं पता
था कि किस राग पर होगा | कुछ फुर्सत यह बुद्धिजीवी टाइप लोग अनुमान लगाने लगे
कि मौसम आता यही बजाया जाएगा |
इधर दिल्ली में कुछ और ही पक रहा था | दो तो लगातार बाहर आ रहा था लेकिन क्या
रहा है ? खुशबू से पहचान पाना मुश्किल था | लेकिन इतना जरूर पता लग रहा था कि
कुछ स्वादिष्ट पक रहा था | 5 अगस्त को आखिरकार गृह मंत्री अमित शाह जी ने
राज्यसभा में फरमा दिया की धारा-370 नहीं रही और यह जिस रास्ते आई थी उसी
रास्ते चली गई (राष्ट्रपति के आदेश द्वारा) | जम्मू कश्मीर भी 2 केंद्र शासित प्रदेशों
में बांटने का प्रस्ताव पास हो गया कुछ भाई लोग जो धारा 35-A की तैयारी करके आए
थे वह बहुत नाराज हुए जैसे कमजोर विद्यार्थी सिलेबस से बाहर आजा आने का आने
पर होता है |
कांग्रेस पार्टी को अपने विवेक नहीं अपितु दायित्वों को प्राथमिकता दी | उन्होंने सोचा
कि हम विरोधी दल हैं इसलिए विरोध करना परम धर्म है | मामला चाहे राष्ट्रहित का
हॉकी का ही क्यों ना हो | कुछ महा क्यों को यूएनओ भी याद आया | कुछ राजनीतिक
दुकानदारों के गले रुद्ध हो गए तो कुछ ने अपने आपा खो खो कर कपड़े तक फाड़ लिए
|
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल जी कश्मीर में डेरा डाल चुके थे और तब
तक नहीं लौटे जब तक धारा-370 की अस्थियां डल झील में प्रवाहित नहीं कर दी गई
और धारा-370 और 35A का दसवां करवा कर ही दिल्ली लौटे |
ईद पाकिस्तान गया था जाने और दो में कम पर अंत सी को 2 देशों को भी बेचारा क्या
कहकर चंदा मांगेगा पाकिस्तान की यही सबसे बड़ी समस्या हो गई है | अंदर की बात
यही सुनने में आ रही है कि मियां इमरान खान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से
बहुत नाराज हैं क्योंकि उनके मुंह से गलती से “मोदी के साथ मध्यस्था की बात” जो
निकली | शायद इसी कारण धारा-370 का जनाजा उठ गया | लेकिन जो हुआ अच्छा
हुआ | भोलेनाथ माफ करें कुछ भक्तों की यात्रा धरी रह गई |लेकिन वह वक्त उन झूठ
बोलने वालों को ढूंढ रहे हैं जो आज तक यही कहते थे कि धारा-370 का जोड़ बहुत
मजबूत है यह टूटेगा नहीं | आखिर झूठ की भी कोई हद होती है |
118/22, कर्ण विहार , करनाल (हरियाणा )
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