पाकिस्तान को जवाब देने का सही समय

राजनीति नहीं, राष्ट्रनीति ही सर्वोपरि
सुरेश हिन्दुस्थानी
कहते हैं कि किसी से एक बार गलती हो तो उसे नादानी कहा जाएगा, लेकिन बार बार एक ही प्रकार की गलती करे तो उसे मूर्ख ही कहा जाएगा या फिर ऐसा कहा कहा जाएगा कि वह जानकर ही गलती कर रहा है। जब जानते हुए भी गलती की जाती है तो सामने वाले को गुस्सा आना स्वाभाविक है। भारत को तत्काल गुस्सा नहीं आया, यह भारत के संस्कार हैं, लेकिन पाकिस्तान निरंतर गलती पर गलती किए जा रहा है। वह जान बूझकर कुत्सित इरादों वाली गलती करता चला जा रहा है। पिछली गलतियों से सबक नहीं लेना, यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि पाकिस्तान अपने रवैये में सुधार नहीं कर सकता। पाकिस्तान आज भी उसी प्रकार की गलती करने पर आमादा है, जो वह हमेशा ही करता आया है। पाकिस्तान की इस हरकत का जवाब देने का समय अब आ चुका है, और भारत को बिना देर किए जवाब देना चाहिए।
भारत में हर घटना को राजनीतिक रूप से देखने का जो खेल चल रहा है, उससे तो ऐसा ही लगता है कि देश के राजनीतिक दलों को राष्ट्रीय नीति का ज्ञान तक नहीं है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर राजनीति कभी भी नहीं की जाना चाहिए, जिस देश में सुरक्षा के मुद्दों पर राजनीति शुरू हो जाती है, उस देश का वास्तविक स्वरूप समाप्त होता जाता है। कांगे्रस पार्टी के नेता राहुल गांधी ने पाकिस्तान के मुद्दे पर केन्द्र सरकार की आलोचना की, यह ठीक बात नहीं है। उन्हें कम से कम राष्ट्रीय सुरक्षा के इस विषय पर राष्ट्र नीति का पालन करते हुए बयान देना चाहिए। ऐसे बयानों से विदेशों में भारत की छवि धूमिल होती है। इसके विपरीत दूसरे देशों में सुरक्षा के विषय पर एक स्पष्ट नीति होती है। भारत में सुरक्षा के मुद्दे पर राजनीति नहीं, बल्कि राष्ट्र नीति का ध्यान रखना चाहिए।
लगता है कि पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आएगा। पाकिस्तानी सेना ने एक बार फिर भारतीय सीमा पर जिस पैमाने पर गोलीबारी शुरू की है, उससे उसकी मंशा उजागर हो रही है। यह पाकिस्तान की कमजोरी ही कही जाएगी कि जब भारत द्वारा उसकी इस हरकत का जवाब देने की तैयारी की जाती है तो वह मैदान छोड़कर चूहे के बिल में घुस जाता है। लेकिन अब सीमा पर जो हालात पाकिस्तान द्वारा निर्मित किए जा रहे हैं, उससे ऐसा तो लगने लगा है कि भारत को उचित जवाब देना चाहिए। बार बार की झंझटों से मुक्ति का यही सकारात्मक और सार्थक जवाब है।
पाकिस्तान ने नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बन जाने के बाद से भारत में आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने की नीति को ही अपनाया है, उसके पीछे पाकिस्तान की अपनी मजबूरी हो सकती है, क्योंकि पाकिस्तान ने जिस प्रकार से नरेन्द्र मोदी को पाकिस्तान का दुश्मन प्रचारित किया है, और पाकिस्तान चाहता है कि नरेन्द्र मोदी हमारी ओर से हो रही गोलीबारी का जवाब दे। इसके बाद पाकिस्तान को यह कहने का अवसर मिल जाएगा कि नरेन्द्र मोदी पाकिस्तान का विरोधी है। इसके विपरीत सत्य तो यह है कि पाकिस्तान का हर नागरिक आज भारत का विरोधी है, उसके पीछे कारण यह है कि वहां के नेताओं ने भारत के खिलाफ हमेशा ही जहर उगला है, इससे पाकिस्तान के नागरिकों को लगता है कि हमारी ओर से सीमा पर गोलाबारी नहीं की गई तो एक दिन भारत, पाकिस्तान को खा जाएगा। वर्तमान में भारत का विरोध करना पाकिस्तान के नेताओं की मजबूरी बन गया है, क्योंकि वहां की जनता इसी प्रकार की भाषा सुनने की आदी हो चुकी है।
भारत और पाकिस्तान में अच्छे संबंध स्थापित कराने को लेकर कई देश भी यही बयान देते हैं कि दोनों को वार्ता के माध्यम से अपनी समस्या का हल निकालना चाहिए, यह तो ठीक है लेकिन वह देश पाकिस्तान से यह क्यों नहीं कहते कि सीमा पर गोलीबारी का खेल खत्म करे और वार्ता के लिए वातावरण बनाए। वास्तव में पाकिस्तान को वह ऐसा नहीं कह सकते और अगर ऐसा कह भी दें तो पाकिस्तान उनकी बात को कभी नहीं मानेगा। क्योंकि पाकिस्तान में भारत का विरोध सत्ता केन्द्रित राजनीति का मुख्य मुद्दा बन चुका है।
पाकिस्तान द्वारा सीमा पर गोलीबारी किए जाने के अपने निहितार्थ हो सकते हैं। लगातार गोलीबारी करने के पीछे भारतीय सेना का ध्यान बंटाना होता है। इसमें सबसे प्रमुख बात यह होती है कि जब पाकिस्तान जम्मू कश्मीर की सीमा पर गोलीबारी करता है तब अन्य सीमावर्ती राज्यों में घुसपैठ की कोशिश की जाती है। क्योंकि सेना, सरकार और मीडियाकर्मियों का ध्यान केवल जम्मू कश्मीर तक केन्द्रित होकर रह जाता है। इसमें एक बात यह भी दिखाई देती है कि जब जम्मू कश्मीर में बाढ़ के हालात बने थे, तब पाकिस्तान समर्थित अलगाववादी नेताओं की सक्रियता में कमी आई थी। अपने प्रभाव का असर कम होते देखकर अलगाववादी नेताओं के पाकिस्तानी आकाओं ने फिर से आतंक फैलाकर जम्मू कश्मीर में पहले जैसे हालात निर्मित किए जाने की कार्रवाई प्रारंभ कर दी है।
सीमा पर जिस प्रकार से भारत के नागरिक और वीर सैनिक अपनी जान गंवा रहे हैं, उससे सीमावर्ती क्षेत्रों में भय का वातावरण पैदा हो गया है। हालांकि भारत सरकार ने यह साफ कर दिया है कि यह खेल अब ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगा, और पाकिस्तान को उचित जवाब दिया जाएगा। भारतीय जवानों ने जब उसे उसी की भाषा में जवाब दिया तब पाक सेना सीमा पर शांति बहाली के लिए फ्लैग मिटिंग के लिए आगे आई थी। इस बार भी गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि पाक के इस हरकत का कैसे जवाब देना है वह भारतीय सेना को अच्छी तरह पता है। इसके साथ ही उन्होंने पाक को सख्ता चेतावनी देते हुए कहा है कि पाकिस्तानी सेना को बार-बार संघर्ष विराम का उल्लंघन बंद करना होगा। उसे समझना होगा कि अब भारत में जमीनी हालात बदल चुके हैं। दरअसल, पाक को जब भी भारत में आतंकवादियों की घुसपैठ करानी होती है तब इस तरह की गोलीबारी की घटना सामने आती है। इस तरह उसका मकसद सरहद पर गश्त कर रहे जवानों का ध्यान भटका कर आतंकियों को भारतीय सीमा में प्रवेश करना होता है। इस बार भी पाकिस्तान की कोशिश है कि किसी तरह गोलीबारी की आड़ में आतंकवादियों को भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करवा दिया जाए। पाकिस्तान को समझना होगा कि हिंसा से किसी का भला नहीं होने वाला। आतंकवाद पर उसका दोहरा चरित्र दुनिया के सामने उजागर हो गया है। जिस आतंकवाद को उसने भारत सहित दुनिया में हिंसा फैलाने के लिए पोषित किया, वही आज पाकिस्तान तालिबान के रूप में उसके लिए खतरा बन गया है, परंतु इससे वह सीख नहीं ले रहा है और आज भी आतंकवाद का सबसे बड़ा पनाहगार बना हुआ है। पाक सेना और आईएसआई इनका भारत के खिलाफ इस्तेमाल करती हैं। एक तरफ वह भारत के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है और दूसरी ओर दुनिया से कह रहा है कि वह भी आतंकवाद से पीडि़त है। उसे आतंकवाद पर यह दोहरी नीति बंद करनी होगी।
पाकिस्तान जब भी ऐसी हरकत करता है तो वह भारत का सामना करने की हिम्मत भी नहीं कर पाता, और जब उसके पीछे हटने की बारी आती है तो पाकिस्तान उसे अपनी हार के रूप में स्वीकार करता है और फिर प्रारंभ होता है, पाकिस्तान का सियासी षड्यंत्र। जिसमें वह संयुक्त राष्ट्र संघ के समक्ष अपना रोना रोने लगता है। पाकिस्तान की हरकतें हमेशा ही आ बैल मुझे मार वाली ही रहीं हैं। अब सवाल यह भी है भारत कब तक पाकिस्तान के इस चरित्र को सहन करता रहेगा?

1 COMMENT

  1. 1947 के बटवारे में पाकिस्तान बना यह देश कभी भी जिम्मेदार पड़ोसी नहीं रहा । उस राष्ट्र के नियंता भी यह सोचते हैं की भारत
    के रहने वाले सहिष्णु हैं और उसकी नापाक हरकतों को सदैव अनदेखी करते रहेगें ।
    अब भारत की सरकार बदल चुकी है यह उसे भान होना चाहिए कि
    कांग्रेस के दब्बू मनमोहन सिंह जा चुके है ,1965 व् 1971 के युद्ध में भी इसीप्रकार के उसका रवईया था।

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