पेपर हो रहे लीक, क्या सिस्टम है वीक ?

आज देश में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न –पत्र लीक होने का खबरें आए दिन चर्चा में बनी रहतीं हैं। प्रश्न पत्र लीक आज बहुत बड़ी समस्या बन गई है। प्रश्न पत्र लीक होने के तमाम खबरें इस बात की तरफ इशारा करती हैं कि कहीं न कहीं लापरवाही के कारण ही ज्यादातर प्रश्न पत्र आज लीक हो रहे हैं। पुख्ता व अच्छी व्यवस्थाओं के बीच भी आज लगातार प्रश्न-पत्र लीक हो रहे हैं, आखिर इसका कारण क्या है ? वास्तव में इसका कारण है अधिकारियों, कर्मचारियों की मिलीभगत। यह बात तय है कि किसी भी परीक्षा से पहले प्रश्न पत्र बाहर आ जाने का मुख्य कारण सम्बंधित अधिकारियों की लापरवाही का भी नतीजा ही होता है। लेकिन यह बहुत ही हैरानी की बात है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति होने के बावजूद सरकारें कबूतर की भांति आंखे मूंदकर बैठी रहती हैं जब तक ऐसी घटना दुबारा तूल न पकड़े। पेपर लीक पर  हंगामा मचता है तो पांच-चार आरोपियों को पकड़ कर कर्तव्य की इतिश्री कर ली जाती है। बहरहाल, आज बात भले ही राजस्थान जैसे बड़े राज्य की हो, उत्तर प्रदेश की हो,हिमाचल प्रदेश की हो, बिहार की हो, मध्य प्रदेश की हो, गुजरात की हो, झारखंड की हो, हरियाणा की हो या देश के किसी भी राज्य की हो, प्रतियोगी परीक्षाओं के पर्चे लीक होते हैं तो यह बहुत ही अफसोसजनक बात है। भर्ती परीक्षाओं के प्रश्न पत्र लीक होने से आज हजारों-लाखों युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है। यह पहली बार नहीं है कि पेपर लीक की घटनाएं देखने को मिल रही हैं, आजकल तो आए दिन पेपर लीक की घटनाएं सामने आने लगीं हैं। शासन, प्रशासन पेपर लीक की घटनाओं को रोक पाने में आखिर क्यों कामयाब नहीं हो पा रहे हैं, इस पर चिंतन किया जाना बहुत आवश्यक है। पेपर लीक होते हैं तो उन युवाओं का क्या होता है जो रात–दिन परीक्षा की तैयारियों में अपना समय, धन व मेहनत लगा रहे हैं और नौकरी की आस लिए मेहनत करते हैं। आज अभ्यर्थियों की मेहनत पर परीक्षा माफिया,चोर गिरोहों के कारनामे पल में पानी फेर देते हैं।यह विडंबना ही है कि कभी नीट,कभी रीट(शिक्षक पात्रता परीक्षा), कभी टेट, कभी शिक्षक भर्ती, कभी लोक सेवा आयोगों, कभी बोर्ड, कभी पुलिस भर्ती परीक्षा, कभी यूजीसी नेट तक के पेपर्स लीक हो जाते हैं। बहुत ही विडंबना की बात है कि आज हर कहीं प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर्स धड़ल्ले से लीक हो जाते हैं और इन पेपर्स को लीक करवाकर पेपर चोर गिरोह लाखों करोड़ों रुपये कमाते हैं और बहुत बार तो ये पुलिस की भी पकड़ में नहीं आ पाते हैं और यदि पकड़ में आ भी जाते हैं तो किसी न किसी तरीक़े से पुलिस की, कानून की गिरफ्त से छूट जाने में कामयाब हो जाते हैं। आज जरूरत इस बात की है कि ऐसे बेरोजगारों से खिलवाड़ करने वाले लोगों, पेपर चोर गिरोहों, पेपर आउट कराने वाले माफियाओं के नापाक मंसूबों पर पानी फेरने की जरूरत है, इन्हें ध्वस्त करने की आवश्यकता है। कितनी विडंबना की बात है कि आज लोक सेवा आयोगों तक के पेपर्स को लीक किया जा रहा है। पिछले काफी समय से राजस्थान लोक सेवा आयोग की विश्वसनीयता को लेकर भी, जैसा कि बार बार पेपर्स आउट हो रहे हैं, सवाल खड़े हो गए हैं।

राजस्थान लोक सेवा आयोग की विश्वसनीयता को लेकर सरकार व खुद आयोग की ओर से दावे पर दावे किए जाते रहे हैं, लेऐ द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा के पेपर लीक प्रकरण में आयोग के एक सदस्य की संलिप्तता ने इन दावों की सरेआम धज्जियां उधेड़ कर रख दी है। इस प्रकरण में आए दिन जिस तरह से खुलासे पर खुलासे सामने आते जा रहे हैं वे कहीं न कहीं आयोग की विश्वसनीयता, कार्यप्रणाली और गोपनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं। यह बहुत ही संवेदनशील है कि किसी भी परीक्षा के लिए हजारों लाखों अभ्यर्थी अपना कीमती समय, पैसा लगाकर सालों साल तक जी-तोड़ मेहनत करते हैं और पेपर्स चोर गिरोहों, माफियाओं द्वारा पेपर्स को आउट करवाकर लाखों-करोड़ों रुपये का धंधा किया जाता है।

कोई भी सरकार भले ही यह भरोसा दिलाने की भरपूर कोशिश करे कि युवाओं के हितों से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी, सख्त कानून बनाया जाएगा, लेकिन क्या तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों को उनका कीमती समय, धन व उनकी मेहनत को वापस लौटाया जा सकता है ? हाल ही में राजस्थान में द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा प्रकरण के खुलासे के बाद आयोग की ओर से कराई गई अब तक की सभी परीक्षाओं व साक्षात्कार प्रक्रियाओं पर भी सवाल उठना स्वाभाविक और लाजिमी ही है। लोक सेवा आयोग संवैधानिक संस्थाएं होती हैं और इन संवैधानिक संस्थाओं में बेदाग,निष्पक्ष और ईमानदार छवि के लोगों को ही नियुक्त करने की अपेक्षाएं की जाती हैं लेकिन यह विडंबना ही कही जा सकती है कि आज ऐसी संस्थाओं के लोग ही पेपर लीक प्रकरणों में शामिल मिलते हैं। ऐसे में, लोक सेवा आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं में अध्यक्ष व सदस्य के रूप में की जाने वाली नियुक्तियों पर भी कहीं न कहीं सवाल जरूर ही उठते हैं। आज विभिन्न राजनीतिक रसूख, बड़ी पहुंच रखने वाले लोग ऐसी संवैधानिक संस्थाओं के विभिन्न पदों पर किसी न किसी प्रकार से बैठ पाने में कामयाब हो जाते हैं और फिर वे अपने पदों का दुरूपयोग करते हैं। पेपर्स लीक तो बहुत बड़ा अपराध है। वैसे, यहाँ सवाल यह भी उठता है कि क्या कोई अकेला व्यक्ति पेपर लीक करने जैसा बड़ा दुस्साहस कर सकता है ? सच तो यह है कि आयोग में ही विभिन्न कार्मिक- अफसरों (कर्मचारियों/अधिकारियों) की मिलीभगत के बिना ऐसा संभव नहीं हो सकता है। जानकारी देना चाहूंगा कि 28 नवंबर 2021 में यूपीटीईटी का पेपर लीक होने के बाद परीक्षा निरस्त कर दी गई थी। इस मामले में निलंबित तत्कालीन सचिव नियामक परीक्षा प्राधिकारी पेपर छपाई का ठेका लेने वाले एक व्यक्ति समेत करीब 50 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। सच तो यह है कि आज बाड़ ही खेत को खा रही है। रक्षक ही भक्षक बन गए हैं। जब पेपर आयोजित करवाने वाली संस्थाओं के लोग ही पेपर्स को आउट करने के धंधे में लिप्त होंगे तो दूसरों का तो कहना ही क्या है ? ऐसे लोग काली कमाई से (पेपर्स लीक के धंधे से होने वाली कमाई) से बड़े बड़े साम्राज्य खड़े कर रहे हैं और इनकी मिलीभगत बड़े बड़े लोगों तक हैं। हो सकता है कि इनमें किसी सफेदपोश या किसी बड़े रसूख वाले व्यक्ति या व्यक्तियों का भी हाथ भी हो। किसी भी तरह की संभावनाओं से यहाँ इंकार नहीं किया जा सकता है। वास्तव में,  ऐसे लोगों की काली कमाई से तैयार साम्राज्य हर हाल में ध्वस्त होना चाहिए और आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि कोई भी इस तरह के अपराध को करने से पहले सौ बार सोचने के लिए मजबूर हो जाए। यह बहुत ही विडंबना और चिंता की बात है कि आज परीक्षा प्रणाली की खामियों को दुरुस्त करने के ठोस व पुख्ता प्रयास नहीं होते। आज पेपर लीक मास्टर माइंडस को पकड़ना बहुत ही जरूरी है, क्यों कि पेपर लीक होने से ऐसे अभ्यर्थी भी परीक्षाओं में चयनित(पेपर खरीद कर) हो जाते हैं जो कि बिल्कुल भी योग्य नहीं होते हैं। आज जरूरत इस बात की है कि परीक्षा तंत्र को ऐसा बनाया जाना चाहिए, जिससे प्रश्न–पत्र के पहले ही बाहर आने या आउट होने की कोई भी गुंजाइश न बने और पेपर आउट गिरोहों की वजह से हजारों-लाखों विधार्थियों का भविष्य बाधित न होने पाए। वास्तव में आज हर स्तर पर यह सुनिश्चित किया जाने की बहुत ज्यादा आवश्यकता है कि समूची परीक्षा प्रक्रिया बेदाग रहे जिससे कि परीक्षा देने वाले छात्रों में विश्वास कायम रह सके, उनमें परीक्षा प्रणाली, पेपर आउट की कोई शंका नहीं होनी चाहिए। वास्तव में, निष्पक्ष परीक्षा प्रणाली, ईमानदारी से आयोजित करवाई गई परीक्षा(पेपर्स की पूर्ण सुरक्षा) से ही छात्रों में परीक्षाओं के प्रति विश्वास पैदा हो सकता है कि कहीं भी कोई गड़बड़ी की संभावना नहीं है। जानकारी देना चाहूंगा कि विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स, अखबारों के अनुसार देश के विभिन्न भागों में  पिछले कुछ सालों में हर साल पेपर लीक के बहुत से मामले दर्ज हुए हैं ,लेकिन सजा बहुत ही कम लोगों को हुई है। जिनको सजा होती भी है वे भी अक्सर रसूल, साम दाम दंड भेद अपनाते हुए छूट ही जाते हैं। ऐसे में सवाल यह उठते हैं कि क्या संबन्धित अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत के बिना इस तरह प्रश्नपत्र लीक हो सकते हैं ? वास्तव में, एक प्रश्न पत्र का लीक होना कई बार युवाओं के भीतर असुरक्षा और अस्थिरता की भावना पैदा कर सकता है और इसका बहुत ज्यादा असर पड़ता है। विभिन्न परीक्षाओं के पेपर लीक होने के मामलों को रोका जा सकता है, जरूरत है तो बस दृढ़ इच्छाशक्ति, ईमानदारी व इस दिशा में काम करने की। परीक्षाओं के पेपर्स आउट होने से रोकने के लिए पेपर्स को स्थानीय पुलिस थानों की सुरक्षा में रखा जा सकता है। प्रश्नपत्र छपने के बाद यदि प्रश्न पत्रों को स्थानीय पुलिस थानों में रखा जाए और वहीं से उन प्रश्न पत्रों को परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाए जाएं तो पेपर्स आउट होने से बचाये जा सकते हैं। पेपर लीक मामले को रोकने के लिए सरकार को सख्ती करनी होगी, ताकि पेपर आउट करने वालों में कानून का भय हमेशा बना रहे। इसके अलावा, आयोग तथा बोर्ड या पेपर लेने वाली बॉडीज को भी अपनी सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करना होगा ताकि विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ न हो सके। एक कदम इस दिशा में यह भी हो सकता है कि विभिन्न सरकारी अध्यापकों, व्याख्याताओं और प्रशासनिक अधिकारियों को निजी संस्थानों, कोचिंग संस्थानों में पढ़ाने पर रोक लगे। जो पेपर लीक कर युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं, उनकी संपत्ति जप्त होनी चाहिए। ऐसे लोगों के खिलाफ कठोर कारावास और जुर्माने का प्रावधान होना चाहिए। इस दिशा में पिछले कुछ समय में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पेपर लीक करने वालों की संपत्ति जब्त की गई और सख्त कार्रवाई की गई। यह स्वागत योग्य है। इससे पेपर लीक करने वाले लोगों के हौंसले निश्चित ही पस्त हुए हैं और कानून का भय भी है। इसके अतिरिक्त, किसी भी भर्ती के लिए दो परीक्षाओं का आयोजन किया जाए, जिनमें एक पात्रता परीक्षा हों तथा दूसरी मुख्य भर्ती परीक्षा हो। पात्रता परीक्षा के अंक मुख्य भर्ती परीक्षा में नहीं जोड़े जाएं। इससे मुख्य परीक्षा में परीक्षार्थियों की संख्या भी कम हो जाएगी और पेपर आउट होने की संभावना न के बराबर होगी। वास्तव में, इससे नियंत्रण एवं निरीक्षण भी आसानी से हो सकेगा। आज बहुत से राज्यों में ऐसा किया भी जाने लगा है। पेपर लीक होना मेहनती युवाओं के साथ विश्वासघात है। इसे रोकने के लिए यदि संभव हो सके तो प्रत्येक पारी के अलग-अलग प्रकार के पेपर बनवाए जाएं और स्केलिंग की जाए। साथ ही हर स्तर पर सरकारी एजेंसी की जवाबदेही के उच्च मानक तय किए जाएं। शीर्ष स्तर पर एक ही अधिकारी को बार-बार परीक्षा की जिम्मेदारी न दी जाए। इन्हें हर बार बदला जाए और कानून का त्वरित और सख्ती से पालन किया जाए। ईमानदारी से काम न करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।पेपर लीक को रोकने के लिए सरकार में दृढ़ इच्छाशक्ति, संकल्प का होना जरूरी है। इस तरह के मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक अदालतों में की जानी चाहिए। इससे मामलों का निपटान जल्दी होगा, दोषियों को सख्त सजा मिलेगी और कानून के भय से परीक्षाओं के पेपर्स आउट होने से बच पाएंगे। वास्तव में, आज बेरोजगारी के इस भयानक दौर में युवा सालों साल रात-दिन पढ़ाई करके विविध प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं, लेकिन पेपर माफिया इन युवाओं के भविष्य को पूरी तरह से बर्बाद करने पर आमादा हैं। बहुत ही दुखद है कि कुछ सरकारी अधिकारी तक भी इस अपराध में लिप्त होते हैं। नकल रोकने के लिए कानून तो बनते हैं, लेकिन उन पर अमूमन अमल नहीं होता। कानूनों पर हर हाल में अमल किया जाना बहुत ही जरूरी है। वैसे, सरकार सही तकनीक का इस्तेमाल करके भी(ऑनलाइन पेपर आयोजित करके) पेपर्स आउट होने से रोक सकती है। इतना ही नहीं, आज साइबर सुरक्षा प्रोटोकॉल पर भी फिर से विचार करने और अपराधियों(दोषियों) को दंडित करने के लिए और अधिक कड़े(सख्त) कानून बनाने की जरूरत है। पेपर लीक रोकने का एक और उपाय यह है कि परीक्षा हाल में बायोमेट्रिक मशीनों का उपयोग किया जाना चाहिए। यदि हम ऐसा कर पाए तो कोई दोराय नहीं है कि परीक्षाओं के पर्चे आउट होने से न रोके जा सकें।

सुनील कुमार महला

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here