पत्रकारिता : मानक नहीं मान्यता बदलना होगी

journalistअर्पण जैन “अविचल”
तेज गति से चलने वाले जनजीवन में पत्रकारो और पत्रकारिता का महत्व क्षणे-क्षणे कमतर होता जा रहा है, जनसामान्य ना जाने क्यू वर्तमान में पत्रकारो को हेय की दृष्टि से देखने की आदत डाल रहा है? ना जाने किस भय से आक्रांतित है जनमानस, या ना जाने पत्रकारो ने कौन सी भूल कर दी, या कौनसा ऐसा अपराध हो गया इस कुनबे से जो आज मानस पटल से पत्रकारो को सम्मान उतना नहीं मिल पा रहा है, जितना आज़ादी के पहले और बाद के कुछ सालो तक मिला | इस क्षणभंगूर दुनिया को कितनी ही आज़ादी का पाठ पत्रकारो ने पड़ाया, कितना मानवीय दृष्टिकोण के साथ हर संभव प्रयासो द्वारा उनके दुख को कम किया , अपनी हर भूमिका में जनहित किया / करवाया , किंतु आज विडंबना यह है की पत्रकार पहले से और दूरी बना रहे है जनता के साथ |

कबीरदास ने कहा भी है
“बुरा जो देखन में चला , बुरा ना मिलिया कोई |
जो दिल खोजा आपना , मुझसे बुरा ना कोई || ”
आज पत्रकारिता के वास्तविक मूल्यो का हास भी कही ना कही इस दूरी का कारण बना हुआ है | कबीर दास जी की उपरोक्त पंक्तिया पत्रकारो को उनके अंदर और मूल्‍यो की कामिया देखने को मजबूर कर रही है |
जब आज़ादी की पैरवी करने वाले हाथो में क़लम थी तब दुनिया उसे सलाम करती थी, किंतु दिन गुज़रते गये , साल गुज़रे और पत्रकारिता पर जब तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व: इंदिरा गाँधी ने सेंसरशिप लागू कर के उसी क़लम वाले हाथो से अनैतिकता का दामन थमवाना चाहा तभी से शायद पत्रकारिता के वास्तविक मूल्यो का क्षरण शुरू हो गया, धीमें धीमें पत्रकारिता पथभ्रष्ट होती गई ….. ऐसा नहीं है की कुनबे के सभी धारणाये कलंकित हो गई किंतु जब उंगली एक बार उठती है तो सारा कुनबा ही मतिभ्रष्ट माना जाता है |
चेष्टा बहुत की किंतु काल को यही मंजूर था , पत्रकारिता के भाग्य में समय के साथ पित पत्रकारिता ने जन्म ले लिया और बाद में स्टिंग आधारित , पेज थ्री के आयाम गड़ती पत्रकारिता नज़र आने लगी | हालत इस तरह होने लग गये की अब पत्रकार होना कोई गर्व का विषय नहीं रहने लगा , और यहा तक की जनता के बीच में नया तमगा मिलने भी लग गया पत्रकारो का … आख़िर दुर्भाग्य ही रहा है पत्रकारिता की , क्यूकी जिसने स्वाधीनता की नीव में अपना पसीना डाला हो , रक्त को श्याही बना कर सिंचन किया हो आज़ादी का, वही कुनबा आज मूल्यहीन , दिशाहीन नज़र आने लग रहा है |
पत्रकारो को अपने स्वरूप के चिंतन की वर्तमान समय में अत्यंत आवश्यकता है वरना काल के गर्भ में पत्रकारिता महज इतिहास का एक पन्ना बन कर रह जाएगी और आने वाली पीडी उससे कुछ सीखने की बजाए कन्नी काटना पसंद करने लगेगी |
पत्रकारिता के मानक तो बाबू विष्णुपराड़कर जी , गणेश शंकर विद्यार्थी , राजा राम मोहन राय, माखनलाल चतुर्वेदी , प्रभाष जोशी, राजेंद्र माथुर जैसी हस्तियो ने तय कर के वर्तमान के लिए राहे बनाई थी किंतु आज के समय में वे मानक केवल किताबो में सीमटे गुलाब जो की तरह दम तोड़ रहे है | उन मानक के अनुसार यदि आज भी पत्रकारिता चलती तो शायद मूल्‍यो का क्षरण नहीं होता , ना कोई आत्मसम्मान को ठेस पहुचाता, किंतु पीढ़ी ने भविष्य के चकाचौंध में अपने मूल्‍यो के साथ समझोता करना शुरू कर दिया , उसी का परिणाम हुआ की आज पत्रकारिता दिशा के भटकाव महसूस कर रही है |
आज के दौर में पत्रकारिता के मानक जो नये बन रहे है वो आने वाली पीढ़ी  के साथ भी न्याय नहीं कर रहे है, वर्तमान की कलम ने भविष्य के अध्याय जो लिखने लगे है वो कालांतर में शर्म का विषय बन कर रह जाएँगे | अब तो कोई राजेंद्र माथुर , माखन लाल चतुर्वेदी नहीं बनना चाहता, कोई संघर्ष कर के अस्तिस्व नहीं बचना चाहता ……
हालात इतने बदतर होते जा रहे है की सोच कर भी सिहरन उठ जाती है ,किस दौर में आ गई पत्रकारिता , कैसे कैसे हालत बन गये , आख़िर क्या ज़रूरत थी मानको के साथ खिलवाड़ करने की , कौन सा अध्याय लिख आई ये पीढ़ी पत्रकारिता की अवधारणा में ? आज जनता के साथ पुन: तालमेंल बेठाने के लिए पत्रकारो को पुन: पेज थ्री आधारित पत्रकारिता को त्याग कर मूल्यानुगत पत्रकारिता की तरफ रुख़ करना होगा, धारणए बदलना होगी मान्यतेए बदलना होगी , तब ही जा कर कही जिंदा रह पाएगी वास्तविक पत्रकारिता अन्यथा परिणाम हम आज भी भुगत रहे है आने वाली पीडिया भी भुगतेगी |
अब समय स्वरूप के पुन: विवेचन का है , इतिहास की किताबो को पुन: खोल कर पड़ने का है , उन्हे आत्मसात करने का है, जिंदा रहने के लिए जिस तरह आक्सीजन की आवश्यकता होती है वैसे ही भविष्य में पत्रकार बने रहने के लिए मन में बेठी धारणाओ को निकल फेकना होगा , मान्यताओ को बदलना होगा तभी जा कर हम भविष्य के लिए आदर्श बन पाएँगे अन्यथा ढाक के तीन पात……
(अर्पण जैन “अविचल” )

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,669 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress