—विनय कुमार विनायक
मुसकुराकर जीना सीख लो
कि शांति की शुरुआत
मुस्कुराते चेहरे से ही होती है!
मुखौटा लगाना छोड़ दो
कि रिश्ते की शुरुआत
मासूमियत भरे सूरत से ही होती है!
धर्म को बीच में आने नहीं दो
कि दोस्ती की शुरुआत
धर्म नहीं विचार के मिलन से होती है!
मजहब को ओढ़ना बिछाना छोड़ दो
कि मानवता की सोच
मजहबी उन्माद के कारण मर जाती है!
बात बात में ईश्वर को ना पुकारो
कि प्यार की शुरुआत
बिना किसी साखी गवाह की होती है!
पराई जाति से नफ़रत नहीं करो
कि सबसे अधिक ईर्ष्या
अपनी जाति मजहबी रिश्तों में होती है!
वेशभूषा भाषा के पचड़े में ना पड़ो
कि सबसे अधिक पिछड़ापन
स्वभाषा वेशभूषा में सिमटने से होती है!
—विनय कुमार विनायक